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भारत बंद : पटना में आगजनी, तोड़फोड़, मारपीट और सड़क व रेल ट्रैक जाम

पटना : सोमवार को भारत बंद के दौरान राज्य के सभी विपक्षी राजनीतिक दलों ने डाकबंगला चौराहे पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की जद्दोजहद की.बंदी के दौरान डाकबंगला चौराहा लगभग छह घंटे तक सियासी जोर आजमाइश का अखाड़ा बना रहा. सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक लगभग एक दर्जन बंद […]

पटना : सोमवार को भारत बंद के दौरान राज्य के सभी विपक्षी राजनीतिक दलों ने डाकबंगला चौराहे पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की जद्दोजहद की.बंदी के दौरान डाकबंगला चौराहा लगभग छह घंटे तक सियासी जोर आजमाइश का अखाड़ा बना रहा. सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक लगभग एक दर्जन बंद समर्थक राजनीतिक व अन्य व संगठनों ने अपनी पूरी ताकत डाकबंगला चौराहे पर झोंक दी. इस दौरान फ्रेजर रोड, इनकम टैक्स से डाकबंगला चौराहा, गांधी मैदान से पटना जंक्शन जाने वाले मार्ग व न्यू डाकबंगला रोड से डाकबंगला चौराहा आने वाले मार्ग पूर्ण रूप से बंद रहे.
दिन चढ़ते जमते गये दल
सबसे पहले बंद को प्रभावी बनाने की शुरुआत जाप कार्यकर्ताओं ने की. चौराहे को बंद कराने का प्रयास किया. लगभग साढ़े दस बजे कई कार्यकर्ता उग्र भी हुए. इस दौरान एक बाइक सवार को डंडे से पीटा गया.
एक कार का शीशा भी तोड़ा गया. महिलाओं का एक दल बीच चौराहे पर बैठ गया. इसके बाद दिन चढ़ने के साथ राजद, कांग्रेस, हम, रांकपा, सीपीआई, सपा के अलावा छोटे दल मसलन लोकतांत्रिक विकास पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल से लेकर अन्य पार्टियां जमती गयीं.
विरोध के अलग-अलग तरीके
बंद समर्थकों ने कई अलग-अलग तरीकों से पेट्रोल-डीजल के मूल्य वृद्धि का विरोध किया. कई दल के लोग बैलगाड़ियों पर सवार हो कर आये थे. कोई ठेला गाड़ी, तो किसी ने घोड़ा गाड़ी का प्रयोग किया था. इसके अलावा ई-रिक्शा के साथ भी कई पार्टियों ने अपना मार्च निकाला. कई कार्यकर्ता ऑटो और बाइक को रस्सी के सहारे खींच कर विरोध दर्ज करा रहे थे. डाकबंगला चौराहा को छोड़ दिया जाये, तो पूरे शहर में अन्य जगहों पर सन्नाटा ही पसरा रहा.
कई वाहनों में की तोड़-फोड़ जापलो समर्थकों का उत्पात
पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन पर उतरे पप्पू यादव की पार्टी जापलो के कार्यकर्ताओं ने पुरानी बाईपास पर राजेंद्र नगर टर्मिनल के पास जम कर उत्पात मचाया. जापलो कार्यकर्ता सोमवार की सुबह से ही सड़क पर उतर पड़े. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सड़क को जाम कर दिया. उस ओर से गुजरने वाले वाहनों को निशाना बनाया. वाहनों पर लाठी-डंडे से प्रहार कर तोड़-फोड़ किया.
इसके साथ ही गुजरने वाले राहगीरों से बदतमीजी की. घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस टीम पहुंची, लेकिन फिर भी कार्यकर्ताओं का हंगामा जारी था. इस हंगामे के कारण पुरानी बाईपास पर अपनी दुकानों को बंद कर दिया. वाहनों का परिचालन भी ठप हो गया. पत्रकार नगर थानाध्यक्ष संजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. सीसीटीवी कैमरे के वीडियो फुटेज से पहचान की जा रही है.
इस तरह मचाया उत्पात
रेलवे कारखाना हरनौत के कर्मचारियों को लेकर बस को राजेंद्र नगर टर्मिनल के पास जापलो कार्यकर्ताओं ने घेर लिया और बस पर ताबड़तोड़ लाठियां चलाने लगे. इसके बाद बस के आगे व साइड का शीशा पूरी तरह तोड़ दिया.
कार्यकर्ताओं ने राजेंद्र नगर सब्जी मंडी के पास पार्किंग में लगी तीन-चार सिटी राइड बस के शीशे फोड़ दिये. इस दौरान अन्य वाहनों को भी निशाना बनाया और तोड़-फोड़ की.
कार्यकर्ताओं ने राजेंद्र नगर टर्मिनल की ओर से गुजरने वाली किसी भी गाड़ी को नहीं छोड़ा. सभी में तोड़-फोड़ की. विद्युत विभाग के जीएम की गाड़ी में भी कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ की.
कोतवाली थाने के स्टेशन गोलंबर पर प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिसकर्मी के साथ मारपीट की. बताया जाता है कि प्रदर्शनकारी लगातार राहगीरों को परेशान कर रहे थे, एक पुलिसकर्मी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस पर एक प्रदर्शनकारी ने मारपीट शुरू कर दी. अन्य प्रदर्शनकारी भी पहुंच गये.
बंद LIVE
सुबह करीब नौ बजे बाेरिंग रोड चौराहे से राजापुर पुल मार्ग पर पुलिस की गाड़ी सड़क से जलते टायरों की आग बुझाकर रास्ता साफ करने की कोशिश कर रही थी. पुलिस को इतना ही पता था कि मोहल्ले के लोगों ने इसे अंजाम दिया है. बोरिंग रोड चौराहे पर पुलिस और कांग्रेसियों में नोकझोंक चल रही थी.
शिवपुरी तिराहा मंदिर के समीप आधा दर्जन युवाओं ने सड़क पर ही पेट्रोल उड़ेलकर उसमें आग लगा दी थी. इससे दो बाइक सवारों के साथ बड़ा हादसा होते -होते बचा. डाक बंगला और गांधी मैदान जाने वाले राजधानी के हर रास्ते में भारत बंद के समर्थक नजर आ रहे थे. राहगीरों को घर वापस कर दे रहे थे.
अमरपुरा के राजकीय विद्यालय में कक्षा नौ में पढ़ने वाला अमर भी पिता के साथ डाक बंगला चाैराहे पर डटा हुआ था. 50 बसंत देख चुकीं सुमित्रा और मरनी देवी के घर दोपहिया वाहन नहीं है. गैस भी नहीं है. वह राशन और काम न मिलने के विरोध में झंडा लेकर खड़ी थीं. नौबतपुर के सद्दन चौहान के साथ सुभाष मांझी ‘ महंगाई बंद कर सस्ताई दो’ का नारा लगा रहे थे. बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ था.
भारत बंद को सफल बनाने में राजद ने पूरी ताकत लगा दी लेकिन इसके रूप अलग-अलग थे. राजद संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद ने आईटी गोलंबर से डाक बंगला तक मार्च किया. यहां से गांधी मैदान और गांधी मैदान से फिर डाक बंगला तक मार्च किया.
हमने उनसे पूछा कि आप अकेले? तपाक से बोले – सब पसीना बहा रहे हैं. एड़ी पसीने से भीगेगी तभी दिल्ली हिलेगी. सस्ता पेट्रोल देने में मोदी सरकार पाकिस्तान, श्रीलंका-नेपाल से भी पीछे है. उसके बाद वे नारे लगाने लगते हैं.
आईएसएफ के कार्यकर्ता डाक बंगला चौराहे पर भारत बंद को सफल बनाने के लिए एकजुट हुये थे. केंद्र सरकार के खिलाफ ताल ठोंक रहे थे लेकिन ताल के साथ. तौशीक आलम ढपली बजाकर शब्दों से यलगार कर रहे थे. एआईएसएफ के राज्य सचिव सुशील कुमार उनका साथ दे रहे थे. बाकी लोग झंडा बैनर लेकर बीच-बीच में हौसला बढ़ा रहे थे.
पप्पू यादव सहित कई अज्ञात पर प्राथमिकी
सुबह 8:40 बजे के करीब जन अधिकार पार्टी के संरक्षक व सांसद पप्पू यादव टर्मिनल पहुंचे और समर्थकों के साथ ट्रेन के आगे खड़े होकर प्रदर्शन करने लगे. 1:15 घंटे तक रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन किया गया. इस दौरान दर्जनों ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा और यात्री परेशान हुए. इस मामले में पप्पू यादव सहित अज्ञात प्रदर्शनकारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी. सांसद को गिरफ्तार किया गया और बेल बांड देने के बाद छोड़ा गया.
बंद से पढ़ाई पर पड़ता है असर, करनी पड़ती हैं अतिरिक्त कक्षाएं
राजनीतिक बंद के आह्वान से खास तौर पर स्कूली बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खास तौर पर बंद के दौरान बच्चे अगर कहीं फंस जायें. लिहाजा बंद से पहले ही अभिभावक और स्कूल दोनों ही बंद की गतिविधियों से बच्चों को बचाने के लिये अवकाश घोषित कर देते हैं.
पिछले कुछ एक माह में ही पटना में चौथी बार सोमवार को बंद करायागया. रविवार के बाद सोमवार की छुट्टी अखर जाती है. बच्चों का सिलेबस पिछड़ता है. अतिरिक्त होम वर्क करना पड़ता है.
बंदी का परिणाम यह होता है कि अतिरिक्त कक्षाएं करनी पड़ती हैं. यहां तक कि पिछले चैप्टर को भी पढ़ना पड़ता है. इससे पढ़ाई का तारतम्य बिगड़ता है.
—आशीष कुमार
स्कूलों को बंद आदि से अलग रखा जाना चाहिए. क्योंकि सिलेबस पूरा करने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं करनी पड़ती हैं. इससे रिवीजन के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है.
—मनीष कुमार
बंद के कारण सिलेबस पिछडने से पढ़ाई डिस्टर्ब हो जाती है. आगे के चैप्टर को पूरा करने के बाद अतिरिक्त कक्षाएं, फिर पिछले चैप्टर पूरे करने पड़ते हैं.
—निवेदिता कुमारी
मान लिया जाये कि दो महीने के अंतराल में चार दिन बंदी हो गयी, तो सिलेबस चार दिन पीछे चला जाता है. एक्स्ट्रा क्लास से इसकी भरपाई करनी पड़ती है.
—अनिकेत कुमार
समय से सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है. पढ़ाई का टाइम-टेबुल बिगड़ जाता है. इससे परीक्षा की तैयारी प्रभावित होती है. बंद में दिखाई जाने वाली घटनाएं हमें डरा देती हैं.
—शैलेश कुमार
बार-बार बंदी का अप्रत्यक्ष प्रभाव भी है. इस कारण शिक्षण संस्थान बंद होने से पढ़ाई का शिड्यूल बिगड़ने लगता है, जिससे परीक्षा की तैयारियां प्रभावित होती हैं.
—मुस्कान
बंदी के कारण होनेवाले नुकसान के अलावा इसे सकारात्मक रूप में भी लिया जाना चाहिए. छुट्टी होने के कारण बंदी के दिन सेल्फ स्टडी पर ध्यान दें तो बेहतर होगा.
—राहुल गिरि

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