28.1 C
Ranchi
Thursday, March 28, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

बिहार के उतार-चढ़ाव को समझने वाले अमिताभ कांत के बयान को इस नजरिये से देख रहे हैं, पढ़ें

पटना : बिहार के विकास और इसके पिछड़ेपन को लेकर इन दिनों एक बहस छिड़ गयी है. इस बहस के मुख्य किरदार बने हैं नीति आयोग के अमिताभ कांत. हालांकि, बिहार और दूसरे राज्यों के बारे में बयान पर बवाल मचने के बाद नीति आयोग के सीइओ अमिताभ कांत ने बुधवार को सफाई भी दीहै. […]

पटना : बिहार के विकास और इसके पिछड़ेपन को लेकर इन दिनों एक बहस छिड़ गयी है. इस बहस के मुख्य किरदार बने हैं नीति आयोग के अमिताभ कांत. हालांकि, बिहार और दूसरे राज्यों के बारे में बयान पर बवाल मचने के बाद नीति आयोग के सीइओ अमिताभ कांत ने बुधवार को सफाई भी दीहै. अमिताभ कांत ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि बिहार राज्य के बारे में मेरे वक्तव्यों का गलत अर्थ निकाला जा रहा है. वहीं बिहार को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार और मानवतावादी चिंतकऔर भागलपुर के चर्चित चेहरों में एक मुकुटधारी अग्रवालकाकांत केबयानपर कुछ और ही कहना है.

उनका कहना है कि हमें उनके बयान को सकारात्मक दृष्टि से देखने की आवश्यकता है और हम उसे अपनी कसौटी में कसे कि क्या वास्तविक मे ऐसा है ? हमारा तो यह मानना है कि बिहार को इरादतन पिछड़ा बनानेमें केंद्र सरकार का विशेष हाथ रहा है. जिसने आजादी के बाद के वर्षों में इस राज्य की हर मामले मे उपेक्षा की है. क्या हम आजादी मिलने के समय अन्य राज्यों के मुकाबले आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत पिछड़े हुये थे, तो उत्तर होगा नहीं. 1965 तक हम देश के अत्यंत पिछड़े राज्यो मे नहीं थे. प्रति व्यक्ति आय के मामले में उत्कल और मध्य प्रदेश हमसे पीछे थे, लेकिन केंद्र के भेद भाव नीति और योजना आयोग द्वारा इसकी आर्थिक आवश्यकताओं को कमतर आंकने का ही नतीजा है कि हम अन्य राज्यों के मुकाबले पिछड़ गये.

उनकाकहनाहै कि आज अगर पंजाब या अन्य कोई राज्य आर्थिक दृष्टि से संपन्न है, तो उन्हें संपन्न बनाने में केंद्र सरकार की भागीदारी रही है, जिसका लाभ हमें नहींमिलपाया. कृषि मामले को ही लें, हमारे राज्य में 173 लाख हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है, जिसमें खेती योग्य मात्र 71 लाख हेक्टेयर भूमि है, खेती योग्य भूमि में मात्र 36 लाख हेक्टेयर सिंचित है. कभी केंद्र ने योजनागत मदद नहीं की. जिससे यहां अधिक नहरें बने, खेतों में सिंचाई की सुविधा बढ़े. अगर आज बिहार कृषि उपज मेंकीर्तिमान स्थापित कर रहा है, तो यह उपलब्धिउसके अपने बलबूते की है. अगर क्षेत्रीयविषमताके हम शिकारहुए, तो उसके लिए केंद्र सरकार पूरी तरह जिम्मेदारहै. क्योंकि प्रथम पांच वर्षीय योजना से अंतिम पांच वर्षीययोजना काल तक हमारी वास्तविक आवश्यकताओं का सही आंकलन नहीं किया गया और बाढ़-सुखाड़ को प्रति वर्ष झेलने वाले इस राज्य को केंद्र से मांग के मुकाबले काफी कम अनुदान और आर्थिक सहायता मिली.

वह कहते हैं कि एक ओर किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बिहार सरकार कृषि कैबिनेट का गठन कर कृषि, पशुपालन, मतस्य पालन आदि दूसरे क्षेत्रों में बुनियादी संरचनाओं को विकसित करने की योजना पर काम करती रही, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार इस क्षेत्र में जितनी आर्थिक मदद मिलनी चाहिए, उसमें कटौती करती रही. उद्योगों को ही ले लीजिए, वर्ष 2000 में झारखंड के अलग हो जाने के बाद लगभग सारे बड़े उद्योग वहां चले गये. खनिज और कोयला की रायल्टी बंद हो गयी. एक ओर कोयले और लोहे पर माल भाड़ा की समान नीति लागू किये जाने से आर्थिक दृष्टि से बिहार जर्जर हो चुका था, तो दूसरी ओर यहां के खनिज पदार्थ, कोयला आदि के हाथ से निकाल जो पर उसे दोहरा धक्का लगा. ऐसी अवस्था में आर्थिक रूप से जर्जर बिहार को केंद्र से विशेष आर्थिक सहायता की जरूरत थी, लेकिन क्या वह मिली ? अगर आज बिहार सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से आगे बढ़ रहा है, इसमे उसके अपने संसाधनों की ही प्रमुखता है.

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद वर्षों में उद्योग के मामले में मामले में हमारा 7वां स्थाना था, जो अब फिसल कर 21वां हो गया. पूंजी निवेश की रफ्तार कम है. केंद्र ने इस स्थिति से उबरने में कोई विशेष दिलचस्पी नहीं ली. आर्थिक और सामाजिक विकास कृषि, कृषि आधारित उद्योगों,पशुपालन, मछ्ली पालन आदि पर विशेषतः निर्भर हैं. इस राज्य में बेरोजगार युवाओं को बड़े पैमाने पर स्वनियोजन देने ,सूक्षम, लघु और मध्यम क्षेत्रों में उद्योग स्थापना के लिए अधिक से अधिक पूंजी निवेश, विशेषतः खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में, बैंकों की वर्तमान सीडी रेशियो के प्रतिशत में वृद्धि, आदि ऐसे सवाल हैं जिसका समाधान केंद्र का उदार आर्थिक सहयोग से ही हो सकता है. अच्छा होता कि अभिताभ इस राज्य को देश के पिछड़ेपन के लिए दोषी ठहराने की बजाय नीति आयोग और केंद्रीय सरकार द्वारा इस राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में सहयोग की संभावनायों पर चिंतन करते.

यह भी पढ़ें-
बिहार ने कई मामलों में देश में स्थापित की नजीर, जानें

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें