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बंद पड़ीं मिलें व कल-कारखाने नहीं बन पा रहे चुनावी मुद्दे

प्रमोद झा राज्य की दो दर्जन से अधिक मिलें अरसे से बंद पड़ी हैं, नेता वादे तो करते हैं, पर धरातल पर नहीं उतर पाते हैं पटना : राज्य में बंद पड़ी मिलों व कल कारखाने को चालू करने को लेकर राजनेता तो बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन सारे वादे धरातल पर नहीं उतर पाते […]

प्रमोद झा
राज्य की दो दर्जन से अधिक मिलें अरसे से बंद पड़ी हैं, नेता वादे तो करते हैं, पर धरातल पर नहीं उतर पाते हैं
पटना : राज्य में बंद पड़ी मिलों व कल कारखाने को चालू करने को लेकर राजनेता तो बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन सारे वादे धरातल पर नहीं उतर पाते हैं. राज्य के दो दर्जन से अधिक मिलें अरसे से बंद पड़ी हैं. लेकिन, कोई भी दल इसे मुद्दा नहीं बना रहा. राज्यवासियों को उम्मीद थी चुनाव के दौरान बंद पड़े दरभंगा अशोक पेपर मिल, बैजनाथपुर पेपर मिल, भागलपुर सुत मिल, डालमियानगर उद्योग, बरौनी खाद कारखाना, भागलपुर की सूत मिलें सहित अन्य उद्योगों को चालू करने की घोषणा होगी. लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हो रही.
1983 से बंद है अशोक पेपर मिल : 1983 से बंद पड़े दरभंगा जिला के हायाघाट प्रखंड स्थित अशोक पेपर मिल को चालू करने की घोषणा कई बार हुई. कुछ कागजी खानापूर्ति भी हुई. लेकिन मिल चालू नहीं हो सकी. केंद्र सरकार की पहल पर फ्रांस से मिल को चालू करने का समझौता हुआ. लेकिन मिल प्रबंधन की नीति कारगर नहीं होने की वजह से वह नहीं चली.
1975 में बनी बैजनाथपुर पेपर मिल सहरसा-मधेपुरा मुख्य सड़क के किनारे बैजनाथपुर में वर्ष 1975 में इलाके के लोगों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से पेपर मिल स्थापित हुआ. लेकिन पेपर मिल कभी चालू नहीं हो सकी. मिल की मशीनें जंग खाकर बरबाद हो गयी
हैं.लोकसभा या विधानसभा चुनाव आते ही इसकी चर्चा अवश्य होती है, लेकिन सिर्फ आश्वासन के सिवा अब तक कुछ नहीं मिला. वर्ष 2012 में सूबे की तत्कालीन उद्योग मंत्री रेणु कुशवाहा ने जब पेपर मिल का निरीक्षण किया तो उम्मीद जगी कि मिल शुरू हो सकती है, लेकिन मामला फिर ठंडे बस्ते में दर्ज हो गया.
बरौनी खाद कारखाना : पिछले 20 वर्षो से बंद पड़े बरौनी खाद कारखाना के चालू होने की कई बार घोषणाएं हो चुकी हैं. चालू कब होगी इसे लेकर ठोस काम अब तक नहीं दिख रहा है. लगभग सात हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्माण होने वाले बरौनी हिंदुस्तान उर्वरक व रसायन कारखाना के जनवरी 2021 में निर्माण कार्य पूरा होने की बात चर्चा में है. निर्माण के पांच माह बाद मई 2021 में कारखाने से यूरिया खाद का उत्पादन भी शुरू होने का दावा किया गया है. कारखाना चालू हो जाये तो लगभग दो हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की आस है.
डालमियानगर का कारखाना
करीब 40 साल तक बिहार के उद्योग जगत का चिराग रहा डालमिया नगर समूह 35 सालों से रौनक वापस पाने की बाट जोह रहा है. जुलाई 1984 में जब इस कारखाने में तालाबंदी हुई तो बीस हजार कर्मचारी सड़क पर आ गये थे. करीब 27 साल बंद रहने के बाद कारखाने को रेलवे ने खरीदा तो लोगों में आशा का संचार हुआ था. रेलवे ने यहां हाइ एक्सल लोड वैगन, कपलर व अन्य प्रकार के कल पूर्जों के निर्माण के औद्योगिक परिसर का 22 नवंबर 2008 को शिलान्यास किया था. यूपीए वन सरकार में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने कारखाना खोलने के लिए 2009-10 के रेल बजट में पांच हजार करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया था. इसके बावजूद अब तक यहां कोई प्रगति नहीं हुई.
भागलपुर की सूत मिल : भागलपुर के लोग 24 साल से बंद अलीगंज को-ऑपरेटिव सूत मिल के फिर से चालू होने की बाट जोह रहा है. मिल को चालू कराने के लिए प्राइवेट पार्टी को लीज पर देने का निर्णय लिया गया, लेकिन मामला जस का तस रह गया.

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