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सूखाग्रस्त प्रखंडों की घोषणा पर सरकार जल्द करेगी फैसला, सूखापीड़ितों को भी मिलेगी हर संभव सहायता

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़पीड़ितों की तरह ही सूखापीड़ितों को भी हर संभव सरकारी सहायता दी जायेगी. मुख्यमंत्री ने रविवार को राज्य में सूखे की स्थिति की समीक्षा की. दोपहर ढाई बजे के करीब शुरू हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने बारी-बारी से सभी डीएम से सूखे और धान की रोपनी की […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़पीड़ितों की तरह ही सूखापीड़ितों को भी हर संभव सरकारी सहायता दी जायेगी. मुख्यमंत्री ने रविवार को राज्य में सूखे की स्थिति की समीक्षा की.
दोपहर ढाई बजे के करीब शुरू हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने बारी-बारी से सभी डीएम से सूखे और धान की रोपनी की जानकारी ली. करीब छह घंटे तक चली बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सूखे की स्थिति से निबटने के लिए कई निर्देश दिये. बैठक के दौरान कृषि विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष सूखे की स्थिति को लेकर प्रेजेंटेशन भी दिया. सीएम ने मौसम विज्ञान के प्रतिनिधियों से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि दक्षिण बिहार में सूखे के हालात बन रहे हैं.
उन्होंने सभी डीएम को अपने-अपने इलाकों में प्रखंड और पंचायतवार सूखे की जल्द आकलन कराने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि आगे अच्छी वर्षा होती है तो स्थिति बेहतर हो सकती है. उन्होंने कहा कि डीजल सब्सिडी के तहत प्रति लीटर 60 रुपये का अनुदान सरकार दे रही है. इसका लाभ सभी किसानों को दिलाने के लिए सभी जिला कृषि पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया.
वैकल्पिक फसल लगाने की भी व्यवस्था की जाये. इसके लिए जिन फसलों का चयन किया जायेगा, उसकी मार्केटिंग की संभावना को देखकर निर्णय लेने का निर्देश दिया. सीएम ने कहा कि सूखे की संभावना वाले इलाके में किस प्रकार की सहायता की जाये, इस पर विचार किया जाना चाहिए. जो किसान फसल नहीं लगा पाये, उसकी सहायता और वैकल्पिक रोजगार के बारे में भी संभावना तलाशने को कहा.
सीएम ने सभी डीएम से कहा, एक समय सीमा में सूखे का आकलन करा लें और किस तरह से पीड़ितों को सहायता की जा सकती है, इसका निर्णय किया जायेगा. सीएम ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत दो अक्तूबर तक सभी पंचायतों में कोई-न-कोई काम शुरू किया जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य में वर्षा की कमी है, भूजल नीचे जा रहा है. पर्यावरण संरक्षण का काम जरूरी है, इसके लिए पेड़ लगाने पर उन्होंने बल दिया. तालाब और कुआें का जीर्णोद्धार करने और किसी भी निर्माण कार्य में पेड़ को नहीं काटने का निर्देश दिया. सीएम ने कृषि विभाग को फसल चक्र के बारे में जल्द योजना बनाने को कहा. इससे जल संरक्षण भी होगा और फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा.
यह जल-जीवन-हरियाली का ही भाग है. बैठक में बताया गया कि अब तक राज्य में 604.9 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य बारिश 681.8 मिमी से कम है. 18 अगस्त से पांच सितंबर तक सामान्य वर्षा की संभावना जतायी गयी है. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि 14 अगस्त को अर्थ नेटवर्क कंपनी के साथ चार वर्षों के लिए वज्रपात आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली के संबंध में करार किया गया है. इसके तहत सात जगह सासाराम, नवादा, पटना, खगड़िया, पूर्णिया, मोतिहारी और दरभंगा मेें इसके सेंसर 15 अक्तूबर तक लगाये जायेंगे. एक सेंसर दो सौ किमी तक का रेंज कवर करेगा. उन्होंने बताया कि तीन और चार अगस्त को सभी जिलों में प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिवों की रिपोर्ट मिली है.
इसके अनुसार बाढ़पीड़ित 17 लाख 51 हजाार 284 परिवारों को ग्रेच्युटस रिलीफ के 1050 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है. बचे परिवारों को भी 25 अगस्त तक यह राशि उनके खाते में भेज दी जायेगी. कृषि वभाग के सचिव एन श्रवण कुमार ने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाके में बालू जमा होनेे और डीजल अनुदान के बारे में जानकारी दी. उन्होेने कहा कि पूरे राज्य में 76.98% रोपनी हुई है.
जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिलावार तटबंधों की जानकारी दी. बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, कृषि मंत्री डाॅ प्रेम कुमार और जल संसाधन मंत्री संजय झा, मुख्य सचिव दीपक कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
सूखाग्रस्त प्रखंडों की घोषणा पर सरकार जल्द करेगी फैसला
पटना : राज्य सरकार सूखाग्रस्त प्रखंडों की घोषणा पर जल्द निर्णय ले सकती है. समीक्षा बैठक में माना गया कि दक्षिण बिहार के कई जिले सूखे की चपेट में हैं. बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी डीएम को एक समय सीमा के अंदर पंचायतवार सूखे का आकलन करवाने का निर्देश दिया.
बताया जा रहा है कि पंचायतवार आकलन के बाद सरकार सूखाग्रस्त प्रखंडों की घोषण करेगी, जिसके बाद वहां के िकसानों को सहायता दी जायेगी. नवादा, जमुई, गया, जहानाबाद. पटना, बांका. नालंदा, भागलपुर और मुंगेर जिलों के कई प्रखंडों में अब भी 20% से कम रोपनी हुई है.

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