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Friday, March 29, 2024

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गहराता जल संकट : वाटर लेवल गिरा, 19 जिलों के 102 प्रखंडों में हालत गंभीर

कृष्ण कुमार एक सप्ताह में पांच से सात सेंमी हुई गिरावट पटना : राज्य के आधे हिस्से का ग्राउंड वाटर लेवल (भूजल स्तर) पिछले एक सप्ताह में पांच से सात सेंमी नीचे चला गया है. राज्य में फिलहाल 19 जिलों के 102 प्रखंडों में ग्राउंड वाटर लेवल की हालत गंभीर है. ये ब्लॉक क्रिटिकल और […]

कृष्ण कुमार
एक सप्ताह में पांच से सात सेंमी हुई गिरावट
पटना : राज्य के आधे हिस्से का ग्राउंड वाटर लेवल (भूजल स्तर) पिछले एक सप्ताह में पांच से सात सेंमी नीचे चला गया है. राज्य में फिलहाल 19 जिलों के 102 प्रखंडों में ग्राउंड वाटर लेवल की हालत गंभीर है. ये ब्लॉक क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल जोन में शामिल हैं. जहानाबाद जिले में हालात ज्यादा ही गंभीर हैं.
पूरे जिले को क्रिटिकल जोन में शामिल किया गया है. वहां बाेरिंग करने की मनाही है. वहीं, राज्य में अब तक ग्राउंड वाटर लेवल मैनेजमेंट की कोई पॉलिसी नहीं रहने के कारण जल संरक्षण और ग्राउंड वाटर रिचार्ज पर काम नहीं हो रहा है. अभी तो ठंड का मौसम है. अगर यही हालत रहे तो गर्मी के मौसम में जल संकट की गंभीर हालत पैदा हो सकती है. सूत्रों का कहना है कि हाल के वर्षों में बारिश की कमी के कारण सिंचाई के लिए ग्राउंड वाटर पर निर्भरता बढ़ गयी है. वहीं, पेयजल का पानी भी ग्राउंड वाटर से ही निकाला जा रहा है.
इस कारण पूरे राज्य का ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे जा रहा है. करीब डेढ़ दशक पहले बिहार में 1200 से 1500 मिमी बारिश होती थी. इस कारण सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाता था. साथ ही बारिश का पानी जमीन के अंदर जाकर ग्राउंड वाटर लेवल को बढ़ा देता था. ऐसे में सिंचाई और पेयजल के लिए ग्राउंड वाटर निकाले जाने पर भी उसमें कमी नहीं होती थी.
सूत्रों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान राज्य के 19 जिले के प्रखंडों में ग्राउंड वाटर लेवल में सामान्य रूप से करीब पांच से सात सेंटीमीटर की कमी पायी गयी है. ये सभी जिले क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल जोन में पाये गये हैं. हालांकि केंद्रीय ग्राउंड वाटर बोर्ड ने अभी इसकी घोषणा नहीं की है. इनमें जहानाबाद, जमुई, गया, नवादा, अरवल, वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, बेगूसराय, खगड़िया, भोजपुर, सारण, गोपालगंज, शेखपुरा और मुंगेर शामिल हैं.
क्या है मानक
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी जगह का ग्राउंड वाटर 70% तक निकालना ही सुरक्षित माना जाता है. वहीं 70 से 90% तक ग्राउंड वाटर निकालना सेमी क्रिटिकल जोन में आ जाता है, क्योंकि वह पूरी तरह रिचार्ज नहीं हो पाता. वहीं 90% से अधिक ग्राउंड वाटर निकालना क्रिटिकल जोन में आता है. उस स्थान से जितना पानी निकाला जाता है, उससे बहुत कम पानी जमीन के अंदर जा पाता है.
क्या होगा ग्राउंड वाटर लेवल मैनेजमेंट पॉलिसी में
ग्राउंड वाटर लेवल मैनेजमेंट पॉलिसी में ग्राउंड वाटर निकालने और उसे रिचार्ज करने की व्यवस्था की जायेगी. इसके तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जायेगा. साथ ही पेयजल और सिंचाइ के लिए ग्राउंड वाटर निकालने की निगरानी होगी.
ये ही हालात रहे तो गर्मी में हो सकता गंभीर जल संकट
राज्य में 13 वर्षों से 400 से 700 मिमी तक कम हो रही बारिश
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में पिछले 13 वर्षों से औसत बारिश 800 मिमी से थोड़ी अधिक हो रही है, जबकि डेढ़ दशक पहले राज्य में 1200 से 1500 मिमी बारिश होती थी. इस तरह बारिश में कमी होने से सिंचाई व पेयजल के लिए ग्राउंड वाटर पर निर्भरता बढ़ी है.
साथ ही कम बारिश होने से जमीन के अंदर कम पानी जा रहा है. ऐसे में जमीन के नीचे से जितनी मात्रा में पानी निकाला जा रहा है, उतनी मात्रा में उसकी भरपाई नहीं हो पा रही है.
इन 19 जिलों में हालात गंभीर
जहानाबाद, जमुई, गया, नवादा, अरवल, वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, बेगूसराय, खगड़िया, भोजपुर, सारण, गोपालगंज, शेखपुरा और मुंगेर.
बोले विशेषज्ञ
लोग ऐसा मानते हैं कि बिहार में जमीन के अंदर पानी की भरमार है. सच यह है कि बारिश की कमी से सिंचाई और पेयजल के लिए ग्राउंड वाटर पर निर्भरता बढ़ी है. उसका दोहन हाे रहा है. इससे ग्राउंड वाटर लेवल में लगातार कमी हो रही है. इस विषय पर राज्य सरकार को नीति बनाकर काम करना चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए.
-फादर रॉबर्ट एथिकल, पर्यावरणविद व तरुमित्रा के निदेशक
ये हैं कारण
बारिश की मात्रा में कमी
बोरिंग से अधिक सिंचाई
जल संचय का अभाव
बरसाती पानी का ग्राउंड वाटर लेवल तक नहीं पहुंचना
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