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बाल बजट पेश करने वाला बिहार है तीसरा राज्य, एसओपी में पहला, बच्चों पर खर्च होंगे 20889 करोड़

पटना : राज्य सरकार द्वारा अगले साल 2020-21 के लिए पेश किये जाने वाले बजट में इस बार भी बाल बजट पेश किया जायेगा. बाल बजट पेश करने वाला बिहार देश का तीसरा राज्य होगा, जबकि इस मामले में एसओपी तैयार करने वाला पहला राज्य होगा. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को बाल बजट […]

पटना : राज्य सरकार द्वारा अगले साल 2020-21 के लिए पेश किये जाने वाले बजट में इस बार भी बाल बजट पेश किया जायेगा. बाल बजट पेश करने वाला बिहार देश का तीसरा राज्य होगा, जबकि इस मामले में एसओपी तैयार करने वाला पहला राज्य होगा. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को बाल बजट को लेकर आयोजित बैठक में कहा है कि राज्य सरकार बच्चों के समुचित विकास, पालन-पोषण और सुरक्षा को लेकर सहज है.

इन्हीं बातों का ध्यान रखते हुए वित्तीय वर्ष 2013-14 से बाल बजट पेश करने की प्रक्रिया शुरू हुई. बिहार देश में असम और केरल के बाद तीसरा राज्य है, जहां बाल बजट पेश होता है, जबकि इस बजट को तैयार करने के लिए पहली बार एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गयी है.
उपमुख्यमंत्री ने वित्त विभाग, आद्री और यूनिसेफ की मदद से तैयार एसओपी का लोकार्पण किया. इस दौरान डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य सरकार बाल बजट में प्रति वर्ष 18 प्रतिशत और बाल बजट के खर्च में 26 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी कर रही है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसके लिए 20889 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.
इसमें सबसे ज्यादा रुपये दो विभागों समाज कल्याण और स्वास्थ्य विभाग के तहत खर्च किया जाता है. पहले आठ विभागों में बच्चों से संबंधित योजनाओं को मिलाकर बाल बजट तैयार किया जाता था.
अब इसमें 16 विभाग शामिल किये गये हैं. बाल बजट मुख्य बजट का ही हिस्सा है.
डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने सभी विभागों के लिए बाल बजट तैयार करने से संबंधित एसओपी का किया उद्घाटन
राज्य में बच्चों से संबंधित योजनाओं के बजट में सालाना 18% की हुई बढ़ोतरी, खर्च 26% बढ़ा
शिक्षा के साथ बच्चों की सुरक्षा पर जोर
डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य में शिशु मृत्यु दर (आइएमआर) 68 से घटकर 35 पर आ गयी है, जो राष्ट्रीय औसत के करीब है. बिहार में शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों की संख्या चार करोड़ 98 लाख है, जिनमें दो करोड़ 35 लाख बच्चियां और दो करोड़ 62 लाख बच्चे हैं.
राज्य में बच्चे खासकर बच्चियों को सिर्फ शिक्षा देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें उपेक्षा, हिंसा, यौनशोषण व प्रताड़ना समेत अन्य सभी बातों से पूरी तरह से सुरक्षित रखना है. उन्होंने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष से बाल बजट के परिणाम की भी समीक्षा की जायेगी. बाल बजट से संबंधित कुछ योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें सबसे ज्यादा खर्च होता है. 2018-19 के दौरान आइसीडीएस में 986 करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान है. पूरक पोषाहार पर प्रति बच्चा आठ रुपये का प्रावधान है.
वित्त प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि एसओपी को लेकर सभी संबंधित 16 विभागों को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा ताकि ये बाल बजट को बेहतरीन तरीके से तैयार कर सकें. इस कार्यक्रम में वित्त सचिव राहुल सिंह, एससी-एसटी विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा, गृह (विशेष) के विशेष सचिव सुनील कुमार, उपसचिव संजीव मित्तल, उपसचिव एके ठाकुर, यूनिसेफ के बिहार प्रमुख असादुर रहमान, आद्री के निदेशक प्रो पीपी घोष व वरना गांगुली समेत अन्य मौजूद थे.

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