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जल संकट से निबटने के लिए सरकार बनायेगी नीति, विधानमंडल के मॉनसून सत्र में पेश होगा वाटर कंजर्वेशन बिल

ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए मिलकर करें काम: सीएम पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में पेयजल संकट और घटते ग्राउंड वाटर लेवल पर चिंता जाहिर करते हुए अधिकारियों को पानी का सदुपयोग करने के लिए योजनाएं बनाने का निर्देश दिया. शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पर सिंचाई और लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक […]

ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए मिलकर करें काम: सीएम
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में पेयजल संकट और घटते ग्राउंड वाटर लेवल पर चिंता जाहिर करते हुए अधिकारियों को पानी का सदुपयोग करने के लिए योजनाएं बनाने का निर्देश दिया. शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पर सिंचाई और लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम ने अधिकारियों को ग्राउंड वाटर के रिचार्ज के लिए काम करने का टास्क दिया.
जल संकट से निबटने के लिए वाटर कंजर्वेशन बिल-2019 भी लाया जायेगा. विधानमंडल के माॅनसून सत्र के दौरान ही इस बिल को पेश किया जायेगा. बैठक में वाटर कंजर्वेशन बिल के प्रावधानों पर भी चर्चा हुई. सीएम ने कहा कि लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करना होगा कि वे नल का जल और बिजली का दुरुपयोग नहीं करें.
बैठक में मौजूद लघु जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने मुख्यमंत्री को आहर-पइन स्कीम के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि द बिहार ग्राउंड वाटर कंजर्वेशन बिल-2019 के माध्यम से पानी के महत्व के बारे में लोगों को बताया जायेगा. साथ ही इसमें ग्राउंड वाटर की क्षति रोकने, इसके लिए विभिन्न विभागों को आपस में सामंजस्य बनाने, अथॉरिटी के अधिकार और कार्यों का विस्तार से उल्लेख किया गया है. इस समीक्षा के दौरान जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना को पांच चरणों में पूरा करना है, इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मिल चुकी है.
इसमें कुछ चरणों का काम पूरा हुआ है, बाकी चरणों को तेजी से पूर्ण करने के लिए भी कार्य किया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने भूमि अधिग्रहण, एंटी फ्लड स्वीस, इन्बैकमेंट आदि के निर्माण के बारे में भी जानकारी दी.बैठक में जल संसाधन मंत्री संजय झा, लघु जल संसाधन मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, लघु जल संसाणन विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक, महाधिवक्ता ललित किशोर और जल संसाधन विभाग के तकनीकी सलाहकार इंदू भूषण कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
जल संरक्षण की व्यवस्था शुरू करेगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी सरकारी भवनों, ऊंचे स्थलों, स्कूलों, सार्वजनिक संस्थानों के छतों पर जल संरक्षण की व्यवस्था शुरू करेगी.
जल संरक्षण के बाद उसको शुद्ध कर पीने के साथ अन्य जरूरतों के लिए उपयोग किया जा सकेगा. पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार कर उन पर सौर प्लेट लगाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाये. उन्होंने पीएचइडी को सार्वजनिक चापाकलों को ठीक कराने का निर्देश दिया. राज्य की छोटी नदियों में पानी के प्रवाह को सुनिश्चित करने और चेक डैम बनाने का भी उन्होंने निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हर घर नल का जल योजना चलायी जा रही है. लोगों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कृषि फीडर का कनेक्शन दिया जा रहा है.
सभी विभाग बनाएं भविष्य की योजना
द बिहार ग्राउंड वाटर कंजर्वेशन बिल-2019 पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए जल संसाधन विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पंचायती राज विभाग, विधि विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, शहरी विकास विभाग, कृषि विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, वन विभाग एवं संबंधित विभाग आपस में बैठकर भविष्य की योजना बना लें जिससे कि इसे बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया जा सके.
विधानमंडल के मॉनसून सत्र में पेश होगा वाटर कंजर्वेशन बिल-2019
बागमती बाढ़ प्रबंधन के लिए शीघ्र पूरा होगा भूमि अधिग्रहण का कार्य
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना को बेहतर ढंग से पूरा करने का जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि अधिकारी साइट पर जाकर देख लें, इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर लें और तेजी से काम को पूरा करें. जहां काम बचे हैं, वहां भूमि अधिग्रहण का काम भी जल्द शुरू करें.
इसके लिए जल संसाधन विभाग अपने इंजीनियरों को भी ट्रेनिंग दे. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूर्ण होने से उस क्षेत्र के लोगों को संतुष्टि होगी.
पानी बचाइए, वरना जीवन नहीं बचेगा
पानी के बिना जीवन संभव नहीं है. यह बात हम सभी जानते हैं. इसे पूरी तरह मानना भी होगा. पानी बचाने के लिए जो भी प्रयास हमें करने चाहिए, वह हम पूरी तरह नहीं कर रहे हैं. चाहे वह घरों में पानी की बर्बादी हो या अन्य जगहों पर, हमें इसे रोकना होगा. हालात दिनों दिन चिंताजनक होते जा रहे हैं.
यदि जल व्यर्थ बहेगा तो आगे वाले समय में जल्द ही पानी की कमी एक महासंकट बन जायेगा. अब तो मानसून ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में वर्षा जल संरक्षण की भी बहुत आवश्यकता है. जरूरत है कि जिम्मेदार विभाग आम लोगों की भागीदारी से जल संरक्षण के लिए उपयुक्त व्यवस्था करें. कुएं, तालाब, बांध का निर्माण कराएं और उनका रख-रखाव करें. साथ ही पेड़ भी लगाएं.

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