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यात्री बताते रहे यहां पड़ी है लाश, पर टीटीई व पुलिसकर्मी बने रहे अनजान

पटना : इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि ट्रेन में एक यात्री का शव 1800 किमी घूमता रहा. रेलवे प्रबंधन को सूचना होने के बाद भी उसे नहीं उतारा गया. रेलवे पुलिस ने तो इस मामले को संज्ञान में लेना भी उचित नहीं समझा. चौंका देनेवाली बात यह रही कि पटना से कोटा पहुंची ट्रेन […]

पटना : इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि ट्रेन में एक यात्री का शव 1800 किमी घूमता रहा. रेलवे प्रबंधन को सूचना होने के बाद भी उसे नहीं उतारा गया. रेलवे पुलिस ने तो इस मामले को संज्ञान में लेना भी उचित नहीं समझा. चौंका देनेवाली बात यह रही कि पटना से कोटा पहुंची ट्रेन की सफाई भी कागजों में हो गयी़
लेकिन, शव उसी में पड़ा रहा. बात साफ है कि या तो सफाई हुई ही नहीं, अगर हुई भी तो सफाई कर्मचारियों ने घोर असंवेदनशीलता का परिचय दिया. हद तो तब हो गयी कि ट्रेन के टीटीई और पुलिस स्क्वाड यात्रियों के बताने के बाद भी जानबूझ कर अनजान बने रहे. जानकारी के मुताबिक 25 मई को पटना जंक्शन से रवाना होनेवाली पटना-कोटा एक्सप्रेस रात्रि के 2:15 बजे कानपुर स्टेशन पहुंची.
इस ट्रेन से आगरा जाने के लिए कानपुर के आनंद नगर निवासी संजय अग्रवाल स्लीपर कोच में सवार हुए. कानपुर-आगरा के बीच यात्री अग्रवाल शौचालय गये. शौचालय में ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गयी. शौचालय में मृतक यात्री का शव कोटा पहुंचा.
वहीं ट्रेन 26 मई को दो घंटे की देरी से कोटा स्टेशन से खुली और 27 मई को चार घंटे की देरी से रात्रि 9:30 बजे पटना पहुंची.मेंटेनेंस के लिए जब ट्रेन राजेंद्र नगर कोचिंग कॉम्प्लेक्स गयी, तो शौचालय में शव मिलने से बात सामने आयी.
सफाईकर्मियों ने की काम में कोताही
लंबी दूरी की ट्रेनें जब अंतिम स्टेशन पहुंचती हैं, तो यात्रियों के उतरने के बाद मेंटेनेंस के लिए यार्ड में ले जाया जाता है. मेंटेनेंस कार्य छह घंटे में पूरा किया जाता है, फिर ट्रेन रवाना होने के लिए प्लेटफॉर्म पर पहुंचती है.
इस घटना के बाद फिर रेलवे के मेंटेनेंस की पोल खुल गयी है. कोटा में किस तरह मेंटेनेंस व साफ-सफाई की गयी कि किसी कर्मी को शौचालय बंद नहीं दिखा. आलम यह है कि मेंटेनेंस कार्य जैसे-तैसे कर दिया जाता है और सफर में यात्री परेशान होने को मजबूर होते रहते हैं.
स्कॉर्ट टीम भी नहीं देख सका बंद दरवाजा : पटना कोटा एक्सप्रेस में पटना से ही स्कॉर्ट टीम की तैनाती है, जो मुगलसराय तक जाती है. इसके बाद मुगलसराय, वाराणसी, कानपुर, टुंडला, आगरा आदि जगहों पर स्कॉर्ट टीम ट्रेन में चढ़ती है. लेकिन, इस स्कॉर्ट टीम को कानपुर से कोटा और कोटा से पटना तक शौचालय बंद नहीं दिखा.
हालांकि, इस दौरान कई यात्रियों ने स्कॉर्ट टीम के साथ साथ टीटीई को भी शौचालय बंद होने की सूचना दी, लेकिन किसी रेलवे कर्मी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और शव ट्रेन में घूमते हुए पटना पहुंचा.
की जा रही है जांच
स्लीपर कोच के शौचालय में हमेशा यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है. इसके साथ ही कोटा में ट्रेन का मेंटेनेंस कार्य किया गया होगा. इसके बावजूद शौचालय में शव की सूचना नहीं मिली. यह गंभीर बात है. इसको लेकर जांच टीम बनायी गयी है. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी.
राजेश कुमार, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल
कई टीटीई और पुलिस गार्ड बदले फिर भी 40 घंटे बाद उतारा गया शव
रेलवे की लापरवाही से 1800 किलोमीटर घूमता रहा यात्री का शव
सामने आया भारतीय रेलवे का असंवेदनशील चेहरा
कोटा में कागजों में ही कर दी गयी सफाई

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