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Thursday, March 28, 2024

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डेंगू से किशोर की मौत, डॉक्टरों से भिड़े परिजन, हड़ताल पर गये जूनियर डॉक्टर

पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में भर्ती किशोर की मौत के बाद नाराज परिजनों ने हंगामा किया. परिजनों ने विभागाध्यक्ष के कक्ष में तोड़फोड़ की और इमरजेंसी में रखे बीएसटी पुर्जा को फाड़ दिया. इस दौरान जूनियर डॉक्टर और परिजन एक दूसरे से भिड़ गये. परिजनों का […]

पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में भर्ती किशोर की मौत के बाद नाराज परिजनों ने हंगामा किया. परिजनों ने विभागाध्यक्ष के कक्ष में तोड़फोड़ की और इमरजेंसी में रखे बीएसटी पुर्जा को फाड़ दिया. इस दौरान जूनियर डॉक्टर और परिजन एक दूसरे से भिड़ गये.

परिजनों का आरोप है कि इलाज में लापरवाही से किशोर की मौत हो गयी. मौके पर पहुंची आलमगंज व दूसरे थानों की पुलिस ने मामले को शांत कराया. इधर, जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि परिजनों ने उनसे मारपीट की और उनके मोबाइल व चेन भी छीन लिये.
घटना से आक्रोशित जूनियर डॉक्टर कार्य बहिष्कार करते हुए नौ सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये. आलमगंज दारोगा धर्मेंद्र कुमार के अनुसार इस मामले में डॉक्टर व मृतक के परिजनों ने अलग-अलग लिखित आवेदन दिया है.
डेंगू पीड़ित किशोर 10 को हुआ था भर्ती : जानकारी के अनुसार खुसरूपुर निवासी हृदय सिंह के 13 वर्षीय पुत्र रजनीश को परिजनों ने 10 नवंबर को डॉ सुनील कुमार की यूनिट में भर्ती कराया था. विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार सिंह की मानें, तो मरीज डेंगू शाक्स सिड्रोम से पीड़ित था. मरीज की स्थिति गंभीर थी, उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था.
लेकिन, उसे बचाया नहीं जा सका. उपचार में किसी तरह की कोताही नहीं बरती गयी है. दोपहर लगभग ढाई बजे उपचार के दौरान रजनीश की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा. पिता हृदय सिंह व रिश्तेदार रिंकू देवी का आरोप है कि इलाज में चिकित्सकों ने लापरवाही बरती है.
सीनियर डॉक्टरों ने संभाला काम
पटना सिटी. हंगामे की सूचना पाकर कॉलेज प्राचार्य डॉ विजय कुमार गुप्ता, अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक सह उपाधीक्षक डॉ गोपाल कृष्ण पहुंचे. प्रभारी अधीक्षक ने बताया कि विभागाध्यक्षों के साथ बैठक इमरजेंसी व वार्ड में भर्ती मरीजों की देखरेख का दायित्व सीनियर डॉक्टरों को सौंप दिया गया है.
वहीं, एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमण व सचिव राहुल शेखर ने बताया कि शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष व अस्पताल अधीक्षक इस्तीफा दें.
अस्पताल में तैनात सुरक्षा कार्ड की कंपनी को हटा कर प्रभावी एजेंसी को सौंपा जाये, सीसीटीवी कैमरे लगें, सिक्योरिटी अलार्म सिस्टम, सायरन दुरुस्त हाे. खराब पड़े उपकरण सही करें व जीवन रक्षक दवा उपलब्ध करायी जाए. डॉक्टर पर हमला करने वाले को मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई हो.
20 मिनट कटी रही बिजली, वेंटिलेटर पर था किशोर
हंगामे के दौरान जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल के गार्ड के साथ मिल कर मरीज के परिजनों से भी मारपीट की. मरीजों ने बताया कि बिजली कटने के बाद मरीज के पिता व परिवार के लोग नर्स व डॉक्टर के पास जेनेरेटर चालू कराने को दौड़ लगा रहे थे. लेकिन, किसी ने नहीं सुनी, लगभग बीस मिनट से अधिक समय तक बिजली गुल होने से यह स्थिति बनी. इस तथ्य को जूनियर डॉक्टरों ने भी स्वीकार करते हुए कहा कि बिजली गुल होने पर बैकअप नहीं रहने से वेंटिलेटर बंद हो गया था.
जिससे कि शिशु की मृत्यु हो गयी. एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमण ने बताया कि जूनियर डॉ धर्मेंद्र कुमार व डॉ जय कुमार से हाथापायी व मारपीट की गयी. डॉ जय के मोबाइल व सोने की चेन छीन ली गयी. शाम के समय में सेंट्रल इमरजेंसी, गायनी, शिशु इमरजेंसी समेत अन्य विभाग में कार्यरत जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये.
जूनियर डॉक्टरों की कब-कब हुई हड़ताल
  • सात अगस्त 2018 को: मरीज की मौत पर हंगामे के बाद हड़ताल पर
  • नौ अप्रैल 2019 को: जूनियर डॉक्टर एसो के आह्वान पर
  • 23 सितंबर 2019 को: जूनियर डॉक्टर एसो के आह्वान पर
  • 14 जून 2019 को: पश्चिम बंगाल में हुई घटना पर हड़ताल
  • 31 जुलाई 2019 को: जूनियर डॉक्टरों के देश व्यापी अभियान में सांकेतिक हड़ताल
  • 16 नवंबर 2019 को: जूनियर डॉक्टरों की अनिश्चित कालीन हड़ताल
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