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पटना एयरपोर्ट :पार्किंग की कमी से एयर एंबुलेंस पर मंडराता खतरा, छोटे विमानों का केवल एक पार्किंग बे

अनुपम कुमार स्टेट हैंगर के भरोसे उतर रहे एयर एंबुलेंस पटना : पटना से एयर एंबुलेंस से मरीज को बाहर भेजने या बाहर से मरीज को इलाज के लिए पटना लाने से पहले एयर एंबुलेंस की पार्किंग के लिए स्टेट हैंगर से इजाजत ले लें वर्ना परेशानी होगी. इन दिनों एयर एंबुलेंस को भी पटना […]

अनुपम कुमार
स्टेट हैंगर के भरोसे उतर रहे एयर एंबुलेंस
पटना : पटना से एयर एंबुलेंस से मरीज को बाहर भेजने या बाहर से मरीज को इलाज के लिए पटना लाने से पहले एयर एंबुलेंस की पार्किंग के लिए स्टेट हैंगर से इजाजत ले लें वर्ना परेशानी होगी. इन दिनों एयर एंबुलेंस को भी पटना एयरपोर्ट पर उतरने की इजाजत पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. इसकी वजह पार्किंग के लिए जगह की कमी है.
एप्रन एरिया में जगह खाली नहीं होने के कारण स्टेट हैंगर के भरोसे एयर एंबुलेंस को उतरने की इजाजत दी जाती है. एयर एंबुलेंस के लैंडिंग टेकऑफ की इजाजत मांगने पर एयरपोर्ट ऑथोरिटी पहले आवेदक को स्टेट हैंगर के पास पार्किंग स्पेस लेने के लिए भेजती है. मेडिकल इमरजेंसी को ध्यान में रखते हुए आमतौर पर राज्य सरकार इजाजत दे देती है, लेकिन इस प्रक्रिया में कम-से-कम एक-दो दिन का समय लग जाता है.
महीने में उतर पाते हैं केवल चार-पांच एयर एंबुलेंस
लोगों के पास पैसा अधिक आने, मेडिकल बीमा का कवरेज और स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ने की वजह से एयर एंबुलेंस की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है, लेकिन इजाजत मिलने में देरी से होने वाली कठिनाइयों के कारण बमुश्किल एक तिहाई लोग ही इसका इस्तेमाल कर पा रहे हैं. पटना एयरपोर्ट पर हर महीने औसतन चार-पांच एयर एंबुलेंस ही उतर पाते हैं जबकि उनकी वास्तविक मांग इससे तीन-चार गुना है.
अक्सर भरे रहते हैं पांचों पार्किंग बे
पटना एयरपोर्ट पर पांच पार्किंग बे हैं. इसमें चार पार्किंग बे एयरबस 320 और बोइंग 737 जैसे बड़े विमानों के लिए हैं. खाली रहने पर छोटे विमानों, हेलीकॉप्टर और एयर एंबुलेंस का भी यहां पार्किंग हो सकता है, लेकिन 46 जोड़ी विमानों के हर दिन परिचालित होने से ये चारों पार्किंग बे हमेशा उनसे ही भरे रहते हैं. छोटे विमानों का यहां केवल एक पर्किंग बे है जो आमतौर पर किसी चाटर्ड विमान या हेलीकॉप्टर के पार्किंग से फुल रहता है. ऐसे में एयर एंबुलेंस को खड़े करने के लिए उसका इस्तेमाल भी नहीं हो पाता है.
जानलेवा हो जाती है इजाजत में देरी
इजाजत में देरी से गंभीर रूप से बीमार मरीज को दूसरे महानगर में स्थित बड़े अस्पताल की सेवा मिलने में देरी हो जाती है, जिससे कई बार उनकी हालत और भी खराब हो जाती है और बचने की संभावना कम हो जाती है.
पहले ले लें पार्किंग की इजाजत
एयर एंबुलेंस लेकर पटना के लिए टेकऑफ करने या यहां से बाहर जाने का निर्णय करने से पहले स्टेट हैंगर से पार्किंग की इजाजत जरूर ले लें वर्ना पार्किंग की कमी के कारण हमारे लिए उनको उतरने की इजाजत देना संभव नहीं होगा और मरीज की परेशानी बढ़ जायेगी.
—आरएस लाहौरिया, निदेशक पटना एयरपोर्ट
एयर एंबुलेंस का किराया
शहर किराया (लाख में)
दिल्ली 4
मुंबई 6
हैदराबाद 7
चेन्नई 8
लैंडिंग व पार्किंग की इजाजत मिलने में लग जाते हैं 24 से 48 घंटे
दिल्ली, मुंबई व कई दूसरे एयरपोर्ट पर जहां पार्किंग बे की समस्या नहीं है, एक से दो घंटे के भीतर एयर एंबुलेंस को उतरने की इजाजत मिल जाती है. वहीं पटना में इसे कम-से-कम एक-दो दिन लग जाते हैं.
वजह स्टेट हैंगर में भी सीमित जगह होना है. वहां राजकीय विमानों के खड़े रहने के बाद एक छोटे विमान के खड़े रहने लायक जगह ही बचती है. किसी अन्य चार्टर्ड विमान या हेलीकॉप्टर के वहां खड़े रहने पर तब तक एयर एंबुलेंस को पार्किंग की इजाजत देना संभव नहीं होता, जब तक वह जगह खाली नहीं हो जाए. स्टेट हैंगर से पार्किंग की इजाजत लेने के बाद एयरपोर्ट ऑथोरिटी से लैंडिंग और टेकऑफ का समय भी लेना पड़ता है. इसमें भी पटना एयरपोर्ट के हेवी फ्लाइट लोड के कारण दो-चार घंटे लग जाते हैं और इजाजत मिलने में सब मिला कर 24 से 48 घंटे तक का समय लग जाता है.

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