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बिहार : निकली थी खुशियों की बरात, रास्ते में ही टूटा मौत का कहर, शराब के नशे में था ड्राइवर, घंटों चीखती रहीं जिंदगियां

मसौढ़ी/पटना सिटी : बरात तो बरात होती है. एक अलग तरह की खुशी रहती है मन में. पहले से तैयारियां, दो परिवारों के बीच नये संबंधों का उत्साह, तमाम ख्वाब दिल में हिलोरें मारती हैं. नये परिधान और ठाठ-बाट से बरात निकलती है. लेकिन अगर इन खुशियों को नीयति की नजर लग गई. ठीक यही […]

मसौढ़ी/पटना सिटी : बरात तो बरात होती है. एक अलग तरह की खुशी रहती है मन में. पहले से तैयारियां, दो परिवारों के बीच नये संबंधों का उत्साह, तमाम ख्वाब दिल में हिलोरें मारती हैं. नये परिधान और ठाठ-बाट से बरात निकलती है. लेकिन अगर इन खुशियों को नीयति की नजर लग गई. ठीक यही हुआ गोपालपुर थाना क्षेत्र के अब्दुल्लाह चक के लोगों के साथ. गांव के तूफान केवट नाम के युवक की बरात निकली थी
. परिवार, नात-रिश्तेदार और गांव के लोगों को पुनपुन थाना क्षेत्र के बभौल जाना था. दिन ढल गया था, सड़क पर अंधेरा पसर चुका था. एक बस में करीब 70 लोग सवार हुए. बस में दूल्हा का भाई भी मौजूद था. अब्दुल्लाह चक से बारात निकली. तटबंध पर बने रोड होकर आगे बढ़ने लगी. बस में हंसी-मजाक चल रहा था. लोग शादी को लेकर काफी उत्साहित थे, खाने-पीने की बातें हो रही थीं, हंसी-ठिठोली चल रहा था.
इस बीच बस गौरीचक थाना क्षेत्र के कंडाप के पास पहुंची. बस फुल स्पीड में थी, बस ने थोड़ा सा लहर लिया तो लोगों ने चालक को टोका. आराम से चलाने की बात कही, पर बस और लहराने लगी. दरअसल बस पूरी तरह से अनियंत्रित हो चुकी थी. पल भर में बस तटबंध की सड़क को छोड़कर
पूरी तरह से हवा चली गयी. सड़क से करीब 25 फीट नीचे में बस गड्ढे में जा पलटी. बस तीन बार पलटी और खिलौने की तरह नीचे चलते चली गयी. चारों तरफ अंधेरा छाया था. लोग एक दूसरे पर गिर रहे थे. सड़क से काफी नीचे बस जाकर गड्ढे में गिरी. बरातियों के मुताबिक बस का ड्राइवर शराब के नशे में था.
मची रही चीख पुकार, ‘अपनों’ को पुकारते रहे लोग : सड़क से नीचे गड्ढे में चीख-पुकार मची थी.लोग अपनों को पुकार रहे थे. कोई बस की बॉडी के नीचे दबा है, तो कोई बस के अंदर फंसा है. कुछ लोग दूर जा गिरे हैं. जो बुरी तरह से घायल हैं उनकी तो आवाज ही नहीं निकल रही है. वहीं ऊपर तटबंध पर गाड़ियों का आना-जाना जारी है. लोगों को पता ही नहीं है कि नीचे हादसा हुआ. अगल-बगल के लोग बस गिरने की आवाज सुनकर जब तटबंध के पास पहुंचे तो नीचे से चीखने की आवाज सुनायी पड़ी. इसके बाद कंडाप गांव के लोगों ने पुलिस को सूचना दिया. मौके पर पूरे गांव के लोग पहुंच गये. बचाव कार्य शुरू हो गया. लेकिन घंटे भर लोगों के निकालने की प्रक्रिया जारी रही. पूरा प्रशासनिक अमला पहुंच गया और बचाव कार्य में जुट गये.
घायलों के नाम
धीरज (दूल्हे का भाई), राहुल कुमार, रंजीत केवट, मिथुन कुमार, मनीष केवट, पीयूष, लाल बहादुर, अकमल केवट, अजीत, बिट्टू, धर्मेंद्र, बेगम, राहुल, शंभु, चंद्रलोक कुमार, अजीत कुमार, सत्यनारायण कुमार, अनिल कुमार चौहान, राजू कुमार, प्रिंस, दीपक, विकास, रंजीत, प्रिंस, दीपक, विकास, रंजीत साहू, दिलीप केवट, जयनंदन कुमार, सोनू कुमार, रवि कुमार, संत महतो, महेंद्र कुमार, भत्तूमल, सोनी केवट आदि .
– एनएमसीएच में न्यूरो इलाज की सुविधा होती तो शायद बच जाती कुछ जिंदगियां
दुर्घटना के कुछ समय बाद जब घायलों को एनएमसीएच (नालंदा मेडिकल कालेज एण्ड हॉस्पीटल) भेजा गया तो वहां इलाज की सुविधा का अभाव खटक गया. दरअसल यहां न्यूरो के इलाज की सुविधा नहीं मिली़ लिहाजा 33 में से चौबीस घायलों को पीएमसीएच भेजना पड़ा. इनमें से 11 की हालत गंभीर है. इन सभी के सिर और सीने में चोट आयी है. लिहाजा आनन-फानन में घायलों को पीएमसीएच लाया गया. यहां इलाज की संतोषजनक व्यवस्था थी. हालांकि अस्पताल पहले से भरा था. बावजूद अस्पताल स्टाफ ने पहुंचे घायलों का इलाज पूरी गंभीरता से किया. जानकारों का कहना है कि पीएमसीएच में घायलों के पहुंचने से पहले काफी चिकित्सीय इंतजाम कर लिया गया था.
जब पिता को बचाया 12 साल के बच्चे ने
हादसे के दौरान रंजीत नाम का बुजुर्ग गड्ढे में फंस गये. हादसे की भयावहता के चलते वह बेहोश हो गया था. हालांकि उसके बारह साल के बेटे दीपक ने घायल होने के बाद गड्ढे में फंसे अपने पिता को ऊपर खींचा और बचा लिया़ किशोर दीपक ने प्रभात खबर को बताया कि ड्राइवर पूरी तरह शराब के नशे में था. उसने गांव से निकलने के बाद छह सात बार बस रोकी. लोग उससे नाराज भी दिखे. अंत में अचानक एक आवाज के साथ बस खाई में जा गिरी. दीपक को भी चोट आयी है, लेकिन वह ठीक नजर आया. वह घायल पिता की देखरेख कर रहा था.
सात किमी आगे मौत कर रही थी इंतजार
पटना सिटी : तूफान की शादी को लेकर पूरे गांव में सोमवार को धूम थी. शाम करीब छह बजे महिलाओं ने मंगल गीत गाया, नजर उतारी और बारात को विदा किया. पर किसे पता थी कि महज सात किलोमीटर आगे ही बरातियों का इंतजार मौत कर रही थी. बरातियों से भरी बस 25 मीटर की गहरायी में जा घुसी. इस घटना ने आठ जिंदगियां लील लीं. इसके बाद हर ओर चीख-पुकार थी.
कंडास के पास हुई इस दुर्घटना के बाद तस्वीर इतनी भयावह थी कि कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं था. हर ओर अफरा-तफरी का माहौल. बमुश्किल पुलिस तक खबर पहुंची और आसपास के लोग जुटे. जिसको जैसी सहूलियत हुई घायलों को अस्पताल की ओर रवाना किया. गांव के विजय बताते हैं कि पीपरा थाना के भबौल जाने के लिये बरात निकली थी. दूल्हा तूफान के पिता जय कुंवर खेती-बाड़ी करते हैं. जय कुंवर के तीन बेटे हैं. सबसे बड़ा तूफान है.
– बाल-बाल बचे दुल्हे के पिता और भाई
इस हादसे में दूल्हा के पिता जय कुंवर और छोटा भाई धीरज बाल-बाल बचे हैं. इन्हें हल्की चोट आयी है. ये दोनों भी बस में सवार थे. प्राथमिक उपचार के बाद जय कुंवर को घर भेज दिया गया था, जबकि धीरज अस्पताल में घायल लोगों की मदद कर रहे थे.नगर पुलिस अधीक्षक विशाल शर्मा ने बताया कि मृतकों की शिनाख्त की कोशिश की जा रही है. चार की शिनाख्त हो गयी है.
दुर्घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंचे लोगों में काफी गुस्सा था. लोग पहले चालक को खोज रहे थे, लेकिन चालक तो भाग चुका था. इसके बाद घायलों को वहां से निकालने के बाद गुस्साये लोगों ने बस में आग लगा दी. जब तक प्रशासन कुछ समझ पाता तब तक बस धू-धू कर जल उठी. एक घंटे में बस पूरी तरह से जलकर राख हो गयी. फिलहाल पुलिस व प्रशासन लोगों को इलाज कराने में जुटा रहा.

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