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Thursday, March 28, 2024

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बिहार : इलाज का खेल, वैद्य कर रहे हैं सर्जरी, हृदय रोग का उपचार

पटना : झाोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से अक्सर मरीज मौत के मुंह में जा रहे हैं. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग उन पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है. विभाग के पास ऐसे डॉक्टरों की अनुमानित संख्या तक नहीं है. ऐसे में कार्रवाई तो दूर, उनकी पहचान करने में ही काफी वक्त लग सकता […]

पटना : झाोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से अक्सर मरीज मौत के मुंह में जा रहे हैं. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग उन पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है. विभाग के पास ऐसे डॉक्टरों की अनुमानित संख्या तक नहीं है.
ऐसे में कार्रवाई तो दूर, उनकी पहचान करने में ही काफी वक्त लग सकता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि झाोलाछाप डॉक्टरों की संख्या घटने के बजाय दिनों दिन बढ़ रही है. सस्ते इलाज के चक्कर में मरीज जाते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं.
पटना से औरंगाबाद तक फैला है कनेक्शन: पटना के बाइपास एरिया में संचालित हो रहे करीब एक दर्जन ऐसे अस्पताल हैं, जहां झाोलाछाप डॉक्टर बैठते हैं. इनके पास न तो मेडिकल की डिग्री है और न ही किसी सरकारी अस्पताल का अनुभव. बावजूद ये खुलेआम मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इतना ही नहीं इनका कनेक्शन औरंगाबाद जिले तक फैला है. औरंगाबाद में इलाज कर रहे झाोलाछाप डॉक्टर पटना के नाम पर चिह्नित झाोलाछाप डॉक्टर के पास रेफर कर रहे हैं. यहां आने के बाद स्थिति और अधिक खराब हो रही है.
– क्या है झोलाछाप डॉक्टरों
का पैमाना: ऐसा कोई भी डॉक्टर, जो इंडियन मेडिकल काउंसिल व सेंट्रल काउंसिल फॉर इंडियन मेडिसिन से पंजीकृत न हो, झाोलाछाप डॉक्टर की श्रेणी में आता है. साथ ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिनियम 1956 के शेड्यूल एक, दो व तीन के तहत डॉक्टर योग्यता नहीं रखता हो, ऐसे डॉक्टरों को अवैध डॉक्टर की संज्ञा दी गयी है.
कैसे बचें झोला छाप से…
– डॉक्टरों से उनके नाम व डिग्री लिखी पर्ची लें
– क्लिनिक के बाहर
साइन बोर्ड पर डॉक्टर का नाम व डिग्रियां अंकित हैं या नहीं इसका विशेष ध्यान रखें
– इसकी जानकारी जरूर लें कि डिग्री कौन से विवि व काउंसिल से संबद्ध है
– तबीयत खराब होने पर जिला अस्पताल या पास
के स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज कराएं
– अगर डॉक्टर दवा दे रहा है, तो एक्सपायरी की तिथि जांच लें
– प्रत्येक गांव में झोला छाप डॉक्टर: विशेषज्ञों की मानें, तो न्यू बाइपास एरिया में क्लिनिक चलानेवाले लगभग 40 व गांव में 90 प्रतिशत डॉक्टरों के पास कोई डिग्री नहीं होती. इसके अलावा कई डॉक्टर ऐसे भी हैं, जो कोई डिग्री न होने के बावजूद मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. गांवों में विभिन्न नामों से झोला छाप डॉक्टरों की दुकानें चल रही हैं.
वैद्य डॉक्टर करता है हृदय रोग का इलाज
न्यू बाइपास एरिया में नस रोग विशेषज्ञ नाम से टंगा एक बोर्ड है, जहां अस्पताल खोला गया है. यहां वैद्यराज एम प्रसाद इस अस्पताल को संचालित करते हैं. इनके पास एमबीबीएस की डिग्री भी नहीं है. बावजूद ये हृदय रोग का इलाज व ऑपरेशन कर देते हैं. हृदय के अलावा गुप्त रोग, चर्म रोग का भी यह इलाज करते हैं. अस्पताल के पास भी कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है और न ही इनके अस्पताल में चल रहे क्लिनिक का कोई लेखा जोखा है. ऐसे में मरीजों का इलाज कैसे हो रहा है यह समझ से परे है.
रामरती की जिंदगी ली
औरंगाबाद जिला गोह थाना क्षेत्र के थानापुर गांव के निवासी राम प्रसाद मिस्त्री की पत्नी को गंभीर हालत के बाद उसे वहीं के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में झाोलाछाप डॉक्टर ने कैंसर की बजाय बच्चेदानी का ऑपरेशन कर दिया. इसके बाद मरीज की हालत खराब हो गयी. सरकारी अस्पताल में कैंसर होने की पुष्टि हुई. पीएमसीएच लाया गया. लेकिन हालत खराब होने के बाद उसकी मौत हो गयी.
कैसे करते हैं इलाज
झाोलाछाप डॉक्टर बुखार की जांच के लिए कोई भी टेस्ट कराने की सलाह नहीं देते हैं. उल्टी, दस्त आदि सामान्य बीमारियों के अलावा मियादी बुखार, डेंगू, मलेरिया, हैजा, पीलिया, दिमागी बुखार, चिकन पॉक्स व एलर्जी तक का इलाज करने से नहीं चूकते. बिना प्रशिक्षण के लोगों को इन्जेक्शन लगाने के साथ ग्लूकोज व अन्य दवाओं को चढ़ा देते हैं. दवा के डोज की सही जानकारी न होने के बावजूद सामान्य बीमारी में लोगों को दवा की हेवी डोज दे देते हैं.
प्रोफेशनल डोनर पर निगाह रखेगी टीम पकड़े जाने पर होगी कार्रवाई
पटना : स्वास्थ्य विभाग ने ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिया है कि राजधानी के सभी ब्लड बैंकों की हर सप्ताह रिपोर्ट बनायी जाये. इसको लेकर सभी ड्रग इंस्पेक्टर ने जांच शुरू कर दी है. अधिकारी ने कहा कि ब्लड बैंक की गुणवत्ता को लेकर लोगों के मन में सवाल रहते हैं कि जब किसी को खून की जरूरत पड़ती है, तो सरकार के स्तर पर काम करनेवाले ब्लड बैंकों में खून नहीं मिलता है. लेकिन, ब्लड बैंकों में सभी ग्रुप के खून मिल जाते हैं.
इसकी जांच हुई, तो पूर्व में यह बात भी सामने आयी कि प्रोफेशनल डोनर को टारगेट कर खून का खेल चल रहा है और निजी ब्लड बैंक खून की अधिक कीमत वसूल रहे हैं. ऐसे बैंकों के बढ़ते धंधे पर नकेल लगाने के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग मिल कर छापेमारी करेगी, जिसके लिए टीम बनायी गयी है और इसमें एसडीओ को भी शामिल किया गया है.
कई ब्लड बैंकों में पूर्व में हुई है छापेमारी, मिली है गड़बड़ियां: कई बार हुई छापेमारी में खराब खून मिल चुके हैं. बावजूद विभाग की ओर से इस धंधे को रोकने के लिए कोई खास रणनीति के तहत काम नहीं किया गया है.
ब्लड बैंकों की नियमित जांच की जायेगी. प्रोफेशनल डोनर जो पैसे के लिए खून बेच रहे हैं. वैसे ब्लड बैंक पर निगरानी शुरू की गयी है.
रवींद्र नाथ सिन्हा, ड्रग कंट्रोलर
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