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बिहार बजट : समाज कल्याण विभाग को पहले से 197.91 करोड़ ज्यादा का मिला बजट, किसानों के खाते में गये 1172 करोड़

पटना : राज्य के किसानों के खाते में सब्सिडी के रूप में 2018-19 में करीब 1172 करोड़ रुपये डाले गये है. 2019-20 के बजट में सरकार द्वारा किसानों की दी रही सहायता और राहत की भी जानकारी दी गयी है. सूखाग्रस्त किसानों को इनपुट अनुदान के रुप में अबतक 13.73 लाख किसानों के खाते में […]

पटना : राज्य के किसानों के खाते में सब्सिडी के रूप में 2018-19 में करीब 1172 करोड़ रुपये डाले गये है. 2019-20 के बजट में सरकार द्वारा किसानों की दी रही सहायता और राहत की भी जानकारी दी गयी है. सूखाग्रस्त किसानों को इनपुट अनुदान के रुप में अबतक 13.73 लाख किसानों के खाते में 901 करोड़ खरीफ में अबतक 15.66 लाख किसानों के खाते में 171 करोड़ भेजा जा चुका है.
राज्य में फसल बीमा की जगह फसल सहायता योजना शुरू की गयी है. इस योजना में किसानों को कोई प्रीमियम नहीं देना है. खरीफ 2018 के लिए 11.50 लाख किसानों ने इस योजना में निबंधन कराया है.इसमें 5.15 लाख और 6.35 लाख गैर रैयत किसान हैं. रबी के लिए अभी तक 2.32 लाख किसानों ने निबंधन कराया है. लाभुको को मार्च से भुगतान होगा. ग्राउंड वाटर लेवल में गिरावट के कारण लोगों को पेयजल संकट न झेलना पड़े इसके लिए राज्य में 1.31 लाख चापाकलों को मरम्मत कर चालू कराया गया. राज्य में जैविक केती रको बढ़ावा देने के लिए अब किसानों को छह की जगह आठ हजार इनपुट अनुदान मिलेगा. पैक्सों में कृषि यंत्र बैंक की स्थापना के लिए 1692 करोड़ की योजना स्वीकृत की गयी है. राज्य में सब्जी और खाद्यान का उत्पादन काफी बढ़ा है. सब्जी उत्पादन में बिहार पूरे देश में तीसरे और फल उत्पादन में छठे स्थान पर है. गोभी में दूसरे, आलू में तीसरे, बैंगन, हरी मिर्च और मूली में चौथे स्थान पर है. लीची एवं मखाना उत्पादन में पहले, अमरूद में तीसरे आम में पांचवे और केला में आठ वें स्थान पर है.
समाज कल्याण विभाग 2019-20 में पिछली बार की तुलना में 197.91 करोड़ रुपये अधिक खर्च करेगा. 2018-19 में 6839.81 करोड़ रुपये का बजट था. इसे बढ़ाते हुए 2019-20 के लिए 7037.73 करोड़ रुपये कर दिया गया है. आइसीडीएस में नये वित्तीय वर्ष के लिए 3153 करोड़ रुपये का प्रावधान है. उधर, सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए 2018-19 में 4194.74 करोड़ रुपये का बजट था. इसमें से मात्र 2531.37 करोड़ रुपये खर्च हो पाया है. इसको देखते हुए सरकार ने 2019-20 के लिए 2901 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
खास बातें
—— बिहार नि:शक्तता योजना में संशोधन करते हुए तेजाब हमला से पीड़ित बिहार निवासी अथवा बिहार में तेजाब हमले के शिकार व्यक्ति को पेंशन देने के लिए 40 प्रतिशत दिव्यांगता की न्यूनतम अर्हता की शर्त खत्म.
—— 2018-19 में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 62.46 लाख पेंशनरों को डीबीटी के माध्यम से पेंशन भुगतान हुआ.
—— राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना में 73.87 से बढ़ाकर 75 करोड़ का प्रावधान.
—— मुख्यमंत्री परिवार लाभ योजना में कोई बढोतरी नहीं, पांच करोड़ का प्रावधान.
—— कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना में 48.30 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ का प्रावधान.
—— मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना में 11.68 करोड़ में से 7.55 करोड़ ही खर्च हुआ. नये वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान.
—— मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में 105.61 करोड़ में से मात्र 35.42 करोड़ खर्च हुआ.
राज्य की वित्तीय प्रबंधन की क्रिसिल और रिजर्व बैंक ने की सराहना
बिहार के बेहतर वित्तीय प्रबंधन के बारे में क्रिसिल और आरबीआइ की रिपोर्ट में भी दूसरे राज्यों से तुलना करके कई बिंदुओं पर सराहना की है. क्रिसिल की राज्यों का विकास 2.0 की रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 में 11.3% के विकास दर के साथ देश के सभी राज्यों में बिहार पहले स्थान पर है. आंध्र प्रदेश दूसरा, गुजरात तीसरा और तेलंगाना चौथे स्थान पर हैं.
विकास दर के मामले में पंजाब (6.2 प्रतिशत) और केरल (5 प्रतिशत) अंतिम पायदान पर हैं. निर्माण, आधारभूत संरचना, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट और संचार क्षेत्र में गुजरात, बिहार और हरियाणा में सबसे ज्यादा रोजगार पैदा किया गया. इसमें बिहार का प्रतिशत 8.2 है. देशभर में बिहार ग्रामीण क्षेत्र में खर्च करने में दूसरे और गृह निर्माण में तीसरे स्थान पर है. आरबीआइ की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 2016-17 के बीच विकासात्मक कार्यों पर 70% और गैर-विकासात्मक कार्यों पर व्यय 25-26% रहा. बिहार 2008-09 से लगातार रेवेन्यू सरप्लस वाला राज्य बना रहा.
2018-19 में 21,311 करोड़ रेवेन्यू सरप्लस रहा. आंध्र प्रदेश, हरियाणा, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, राजस्थान और पंजाब रेवेन्यू डिफसिट वाला राज्य है. यानी इन राज्यों में पेंशन के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है. सामाजिक प्रक्षेत्र पर व्यय में बिहार अन्य राज्यों कर्नाटक, केरल, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात समेत अन्य से आगे है.
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग का 2018-19 में 1386.44 करोड़ रुपये का बजट था. इसे बढ़ाकर 1515.54 किया गया है. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट 2018-19 में 437.76 करोड़ था. इसे बढ़ाकर 459.10 करोड़ किया गया है.
-महादलित विकास मिशन में 2018-19 में 310 करोड़ दिये थे, नये वित्तीय वर्ष में 315 करोड़ रुपये मिले हैं.
-महादलित टोला में 5131 में से 3290 सामुदायिक भवन सह वर्कशेड का हो चुका है निर्माण.
-34.83 करोड़ प्रति विद्यालय की लागत से जमुई में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का निर्माण पूरा, पश्चिम चंपारण में कार्य प्रगति पर.
-अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत सहायता के लिए नये वित्तीय वर्ष में 32.68 करोड़ का प्रावधान.
-15 नये छात्रावासों के लिए 68.70 करोड़ रुपये की स्वीकृति.
-अल्पसंख्यकों के लिए बहुक्षेत्रक विकास कार्यक्रम के लिए 175 करोड़ रुपये का प्रावधान.
ओबीसी कल्याण: मेधावृत्ति में लाभ
मुख्यमंत्री मेधावृत्ति योजना में अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के करीब डेढ़ लाख विद्यार्थियों को नये वित्तीय वर्ष में लाभ देने की योजना है. इसके लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. है. 2019-20 के लिए अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे 90 हजार को लाभ मिलेगा.
-चालू वित्तीय वर्ष में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को 1524.51 करोड़ रुपये मिला था. 2019-20 में 1603.15 रुपये का प्रावधान हुआ है.
-मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग छात्रावास अनुदान योजना से नये वित्तीय वर्ष में चार हजार छात्रों के लिए 4.8 करोड़ रुपये.
-जननायक कर्पूरी ठाकुर अत्यंत पिछड़ा वर्ग छात्रावास के संचालन एवं चहारदीवारी निर्माण के लिए 6.50 करोड़ रुपये.
-तीन आवासीय विद्यालय तथा कल्याण छात्रावास की चहारदीवारी व मरम्मत पर 95 करोड़ रुपये खर्च होगा.
बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ
बिहार के वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में सामाजिक बदलाव के आंदोलन की भी चर्चा की गयी है. कहा गया है कि शराबबंदी में मिली सफलता के बाद बाल विवाह तथा दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक जन अभियान को भी जबर्दस्त जन समर्थन मिल रहा है.
मद्य निषेध लोक आसूचना केंद्र पर 12 मार्च 2018 से सात फरवरी 2019 तक 14758 शिकायत दर्ज हुई. 1543 लोग गिरफ्तार हुए. 24543 लीटर देशी और 26915 लीटर विदेशी शराब और 23976 लीटर महुआ जब्त किया गया.
अबी 3268 लोग जेल में बंद हैं. बाल विवाह में भी बिहार में काफी कमी आयी. एनएफएचएस – तीन की सेर्वे7ण 2005-06 में किया गया था. उसके अनुसार बिहार में 47.8 प्रतिशत विवाह के साथ पहले स्थान पर था. दस साल के बाद एनएफएचएस- 4 के सर्वे के अनुसार इसमें 20 प्रतिशत की कमी आयी.

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