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Thursday, March 28, 2024

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बिहार : ब्लड के नाम पर मरीजों से लूट की मिली ‘छूट’, प्रोसेसिंग फीस के नाम पर तय से ज्यादा वसूली जा रही रकम

पटना : सरकारी मशीनरी की अनदेखी से निजी ब्लड बैंकों में ब्लड के नाम पर मरीजों से लूट की ‘छूट’ मिली हुई है. खून के बदले एक्सचेंज के रूप में खून लेकर भी मरीजों से प्रोसेसिंग फीस के नाम पर तय से ज्यादा रकम वसूली जा रही है. यह धंधा राजधानी सहित पूरे प्रदेश में […]

पटना : सरकारी मशीनरी की अनदेखी से निजी ब्लड बैंकों में ब्लड के नाम पर मरीजों से लूट की ‘छूट’ मिली हुई है. खून के बदले एक्सचेंज के रूप में खून लेकर भी मरीजों से प्रोसेसिंग फीस के नाम पर तय से ज्यादा रकम वसूली जा रही है. यह धंधा राजधानी सहित पूरे प्रदेश में खुलेआम चल रहा है.
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की मानें तो राजधानी में पांच सरकारी और 15 निजी ब्लड बैंक हैं. यहां मिलने वाले खून के लिए प्रोसेसिंग फीस ली जाती है. सरकारी और निजी ब्लड बैंकों के लिये यह फीस अलग-अलग तय है. पूर्व में एसबीटीसी ने होल ब्लड स्क्रीनिंग शुल्क के रूप में निजी ब्लड बैंकों के लिए 850 रुपये और सरकारी ब्लड बैंकों के लिए 500 रुपये शुल्क तय है. लेकिन बैंकों ने 1200 से तीन हजार रुपये तक वसूलना प्रारंभ कर दिया है.
राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (एनबीटीसी) ब्लड बैंकों के लिए प्रोसेसिंग फीस तय करते हुए राज्यों को भेज देती है. इसके बाद बिहार स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (एसबीटीसी) की बैठक होती है. इसमें प्रोसेसिंग फीस कितनी रखी जाये, इस पर चर्चा के साथ एसबीटीसी निर्णय लेती है. यहां से निर्णय होने के बाद ही बिहार में सभी ब्लड बैंकों के लिये फीस निर्धारित होती है.
2014 में ही रेट रिवाइज कर दिया था एनबीटीसी ने
एनबीटीसी ने वर्ष 2014 में ही रेट रिवाइज कर दिया था. रेट को लेकर एनबीटीसी की तीन-तीन साल पर बैठक होती है. नयी गाइड लाइन के मुताबिक 1450 रुपये तक होल ब्लड स्क्रीनिंग चार्ज के रूप में लिया जा सकता है. हालांकि कई अस्पताल या ब्लड बैंक इससे अधिक भी वसूल रहे हैं. मेरे यहां सेंटर पर आने वालों से 1200 रुपये लिये जाते हैं. यहां से कई अन्य अस्पतालों में भी ब्लड भेजा जाता है.
– राजीव कुमार पांडेय, संचालक, जीवन
रेखा ब्लड बैंक
बिना एसबीटीसी के अनुमोदन के ज्यादा वसूलना गलत
बिना एसबीटीसी के अनुमोदन के ज्यादा शुल्क वसूलना गलत है. पूर्व में एसबीटीसी ने होल ब्लड स्क्रीनिंग चार्ज के लिए निजी ब्लड बैंकों के लिए 800 और सरकारी के लिए 500 रुपये तय किये थे. इसको अभी तक रिवाइज नहीं किया गया. एनबीटीसी ने जरूर शुल्क बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है, परंतु एसबीटीसी से अप्रूव होना आवश्यक है. बिना अप्रूव हुए अगर ज्यादा शुल्क वसूला जा रहा है तो गलत है.
डॉ एनके गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर (ब्लड बैंक), बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति
बिना किसी मान्यता के अस्पताल अपने यहां ही निकाल लेते हैं ब्लड
पटना : बेहतर इलाज की तलाश में राजधानी पहुंचने वाले मरीजों के साथ ऐसा छल किया जा रहा है, जिसका उनको अंदाजा भी नहीं है. सारे नियम-कानून को दरकिनार कर ब्लड को लेकर कुछ निजी अस्पतालों में गजब का खेल खेला जा रहा है.
जो काम ब्लड बैंक के माध्यम से होना चाहिए, वह अस्पताल में ही कर लिया जा रहा है. यह न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि नियमों की भी अनदेखी है. तमाम निजी अस्पताल अपने यहां ही खून निकाल लेते हैं. जबकि जिसके पास ब्लड बैंक का लाइसेंस है, वही ऐसा कर सकता है. खास बात यह कि इसके लिए ब्लड बैग इन अस्पतालों को कहां से मुहैया होता है, यह समझ से परे है. बिना लाइसेंस के ब्लड बैग भी उपलब्ध नहीं होना चाहिए.
ब्लड बैंकों के संचालन के लिए कुछ नियम-कायदे तय हैं. इसी के तहत संचालन होना चाहिए. सूत्र बताते हैं कि राजधानी सहित पूरे प्रदेश में बड़ा खेल हो रहा है. जो काम ब्लड बैंकों में होना चाहिए वही काम कुछ निजी अस्पताल अपने यहां नियमों की अनदेखी कर करते हैं.
तमाम ऐसे निजी अस्पताल हैं, जो ब्लड ले भी लेते हैं और चढ़ा भी देते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. जिसके पास ब्लड बैंक का लाइसेंस है, उसी के पास इसका अधिकार है. सरकारी मशीनरी की लचर कार्यप्रणाली भी इसके लिए जिम्मेदार है. खैर, इसी की आड़ में निजी अस्पताल वाले मरीजों से मोटी रकम भी वसूलते हैं
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