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बिहार : बैंक खातों में पड़े विभागों के चार हजार करोड़ ही लौटे सरकारी खजाने में….जानें पूरी खबर
पटना : राज्य के सभी विभागों में बड़ी संख्या में योजनाओं के रुपये सालों से बैंक खातों में पड़े हुए हैं. इन रुपये का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है.वित्त विभाग ने सभी विभागों को इसे लेकर सख्त आदेश जारी किया था कि वे इन रुपयों को सरकार खजाने में वापस जमा करवाये. लेकिन […]
पटना : राज्य के सभी विभागों में बड़ी संख्या में योजनाओं के रुपये सालों से बैंक खातों में पड़े हुए हैं. इन रुपये का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है.वित्त विभाग ने सभी विभागों को इसे लेकर सख्त आदेश जारी किया था कि वे इन रुपयों को सरकार खजाने में वापस जमा करवाये. लेकिन विभागीय स्तर पर बार-बार जारी सख्त हिदायत के बाद भी अब तक चार से साढ़े चार हजार करोड़ रुपये ही सरकार खजाने में जमा हो पाये हैं. हाल में मुख्य सचिव के स्तर पर इस मामले को लेकर समीक्षा भी की गयी थी. इसमें यह पता चला कि अब भी करीब 12 हजार करोड़ रुपये विभिन्न विभागों के अलग-अलग बैंक खातों में बिना किसी उपयोग के ही पड़े हुए हैं.
इसमें करीब पांच हजार करोड़ ऐसे हैं, जिसका कोई हिसाब ही नहीं मिला है. ये रुपये कहां और किस मद के हैं, इसका कोई सही स्रोत ही नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से इन्हें वापस खजाने में जमा करने में समस्या आ रही है कि आखिर किस मद में इन्हें जमा किया जाये.
वित्त विभाग से बार-बार जारी सख्त हिदायत के बाद भी अब तक करीब 12 हजार करोड़ हैं पड़े
करीब पांच हजार करोड़ के सही हिसाब या स्रोत का नहीं चल रहा है पता
एससी-एसटी कल्याण विभाग के सबसे ज्यादा
584 करोड़ रुपये बैंक खातों में हैं पड़े हुए
सबसे ज्यादा दो हजार 316 बैंक खाते राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, समाज कल्याण विभाग (2449 खाते), ग्रामीण विकास विभाग (1328), कृषि विभाग (1464), शिक्षा विभाग (1804), स्वास्थ्य विभाग के 3137 खाते समेत अन्य विभागों के खाते शामिल हैं. खातों की संख्या वाले विभागों के अलावा एससी-एसटी कल्याण विभाग के सबसे ज्यादा 584 करोड़ रुपये बैंक खातों में पड़े हुए हैं.
इसके अलावा शिक्षा के 239 करोड़, समाज कल्याण के 270 करोड़, नगर विकास एवं आवास विभाग के 434 करोड़, बीसी-ईबीसी कल्याण के 331 करोड़, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 62 करोड़, कृषि विभाग के 130 करोड़ समेत अन्य विभागों के भी करोड़ों रुपये खातों में पड़े हैं. इसमें कई रुपये खातों में 8 से 10 साल पहले के पड़े हुए हैं, जिनका कोई हिसाब भी संबंधित विभाग को पता नहीं है.
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