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बिहार : 60% हीरे का कारोबार नॉन-ब्रांडेड कंपनी का, हर वर्ष पटना में 300 करोड़ का होता है कारोबार

पटना : पीएनबी के साढ़े 11 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के बाद गीतांजलि कंपनी के पटना समेत पूरे देश में मौजूद फ्रेंचाइजी और एक्सक्लूसिव स्टोर्स पर ताबा-तोड़ छापेमारी चल रही है. परंतु पटना में स्थिति थोड़ी अलग है. यहां ब्रांडेड कंपनी का कारोबार कुल हीरे के कारोबार का 40 फीसदी के आसपास ही है. […]

पटना : पीएनबी के साढ़े 11 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के बाद गीतांजलि कंपनी के पटना समेत पूरे देश में मौजूद फ्रेंचाइजी और एक्सक्लूसिव स्टोर्स पर ताबा-तोड़ छापेमारी चल रही है. परंतु पटना में स्थिति थोड़ी अलग है. यहां ब्रांडेड कंपनी का कारोबार कुल हीरे के कारोबार का 40 फीसदी के आसपास ही है. पिछले दो-तीन वर्ष से ब्रांडेड हीरे के प्रति थोड़ा क्रेज बढ़ा था, लेकिन इसकी कीमत सामान्य हीरे से 50 फीसदी ज्यादा होने के कारण इसके प्रति लोगों में आकर्षण कम है.
एक अनुमान के अनुसार, बिहार में सालाना 200 से 300 करोड़ रुपये का औसतन हीरे का कारोबार होता है, जिसमें 40 फीसदी यानी 90 से 120 करोड़ का कारोबार ब्रांडेड कंपनी के हीरों का होता है. खास त्योहार के मौके पर इनकी बिक्री में काफी इजाफा होता है. शहर में पिछले तीन-चार साल के दौरान ही कई ब्रांडेड कंपनी के शोरूम खुले हैं. इससे पहले शहर के जितने भी बड़े ज्वेलरी शॉप हैं, उनमें नन-ब्रांडेड हीरे ही मिलते थे. बड़े ज्वेलरी शॉप वाले मेल के तौर पर कुछ संख्या में ब्रांडेड हीरे बेचते हैं.
शहर के बोरिंग रोड, बाकरगंज और डाक बंगाल स्थित कई बड़े एवं मध्यम आकार के ज्वेलरी स्टोर के मालिकों ने बताया कि ब्रांडेड हीरे और सामान्य हीरे की कीमत में 50 फीसदी का अंतर होता है. सामान्य हीरे की तुलना में ब्रांडेड हीरे की कीमत करीब दोगुनी होती है. इस वजह से यहां के लोग सिर्फ ब्रांड के नाम पर ज्यादा पैसे खर्च करने के पक्ष में नहीं होते हैं.
अधिकतम मध्यम वर्गीय परिवार की संख्या यहां ज्यादा होने के कारण भी ब्रांडेड हीरे के प्रति आकर्षण कम है. ऐसे में यहां के अधिकांश ज्वेलरी शॉप में 70 से 80 फीसदी हीरे सामान्य ही मिलते हैं. इसमें भी दो तरह की श्रेणी है. एक हीरे में शुद्धता समेत अन्य मानकों का उल्लेख करते हुए एक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है, जो आईजीआई (इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीच्यूट) या एनजीआई (नेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीच्यूट) की तरफ से जारी किया रहता है.
मुंबई से मंगवाते हैं हीरे
सर्राफा व्यापारियों ने बताया कि वे बिना ब्रांड वाले हीरे सीधे सूरत, मुंबई या अहमदाबाद से मंगवाते हैं. आम लोगों के लिए इसके साथ दिया जाने वाला सर्टिफिकेट ही इसकी शुद्धता की कसौटी है.
हालांकि आम लोगों के लिए असली नकली की पहचान करना संभव नहीं है. यहां सबसे ज्यादा हीरे मुंबई से मंगवाये जाते हैं. इसमें एकमात्र विश्वास ही शुद्धता का सही रूप से पैमाना है. इससे अधिकांश मामलों बड़े स्तर पर धांधली होती है.
धीरे-धीरे बढ़ रहा बाजार
पिछले कुछ साल में ब्रांडेड हीरों का बाजार धीरे-धीरे पसरने लगा था. इस वजह से गीतांजलि जैसे ब्रांडेड स्टोर की संख्या भी बढ़ने लगी थी. अन्य ब्रांड के स्टोर भी तेजी से खुल रहे थे.
पटना, गया, मुजफ्फरपुर समेत बिहार के अन्य बड़े शहरों में गीतांजलि ने अपना कारोबार फैलाना शुरू ही किया था. इस वजह से यहां इस तरह के मामले कम हैं कि कंपनी ने पैसे लेकर भी फ्रेंचाइजी या स्टोर खोलने का लाइसेंस नहीं दिया. बाजार में नया होने, ब्रांड के प्रति विश्वास और लोगों में जानकारी की कमी के कारण भी कंपनी की तरफ से खराब क्वालिटी के हीरे की सप्लाई का मामला भी कम ही सामने आया है.
हीरा पहचानना कठिन आम लोगों के लिए असल हीरे की पहचान करना लगभग नामुमकिन है. पटना में बेहद ही कम लोग हैं, जिन्हें इसकी पहचान करने की थोड़ी-बहुत समझ है. लोग सिर्फ दुकानदार के भरोसे और हीरे के साथ दिये जाने वाले सर्टिफिकेट के आधार पर ही इसकी शुद्धता पर विश्वास करना पड़ता है.
कुछ ब्रांडेड हीरे में पहचान करने की खास लेजर मार्किंग होती है, लेकिन इसकी जानकारी भी बहुत ही कम लोगों को ही है. कुछ लोगों को ही सर्टिफिकेट के आधार पर शुद्धता मापने की समझ होती है. करीब 80 से 85 फीसदी लोग सिर्फ दुकानदार के भरोसे ही हीरे को खरीदते हैं. इस वजह से इसमें ब्रांडेड से लेकर आम दुकानदार तक सभी जमकर धांधली करते हैं. बड़ी तादाद में लोग ठगी के शिकार भी होते हैं, लेकिन इसकी जानकारी उन्हें नहीं हो पाती है.

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