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भोजपुरी गीतों पर भी छाया लोकसभा चुनाव का खुमार

रविशंकर उपाध्याय, पटना : सुन ए राहुल गांधी, मोदी जी के चलल बा आंधी.. गीत से कोई बीजेपी का प्रचार कर रहा है तो कोई कांग्रेस के पक्ष में अपील करते हुए कह रहा है कि देखिह वोट दिह न चौकीदार के. इस बीच बिहार में लहराता ललटेनिया से राजद के पक्ष में वोट की […]

रविशंकर उपाध्याय, पटना : सुन ए राहुल गांधी, मोदी जी के चलल बा आंधी.. गीत से कोई बीजेपी का प्रचार कर रहा है तो कोई कांग्रेस के पक्ष में अपील करते हुए कह रहा है कि देखिह वोट दिह न चौकीदार के.

इस बीच बिहार में लहराता ललटेनिया से राजद के पक्ष में वोट की गुजारिश की जा रही है तो नीतीश के छोड़ला से साथ बिहार में परेशान भइले लालू के लाल से नीतीश कुमार के पक्ष में हवा बनायी जा रही है. हम बात भोजपुरी गीतों की कर रहे हैं.
भोजपुरी गीतों के गायकों के लिए लोकसभा चुनाव की खुमारी सर चढ़कर बोल रही है. जिस प्रकार भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता रवि किशन, निरहुआ, नगमा जैसे स्टार जहां लोकसभा चुनाव में अपना प्रतिनिधित्व पेश कर रहे हैं, लोकसभा चुनाव का असर कुछ ऐसा है कि भोजपुरी गीतों में सभी पार्टियों का दबदबा देखा जा रहा है.
भोजपुरी फिल्मों के गीतों की तर्ज पर ही ज्यादातर चुनावी गीत
बिहार और यूपी सहित देश के उत्तर और उत्तर पूर्व के कई राज्यों में भोजपुरी गीतों के काफी प्रशंसक हैं. लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही विभिन्न राजनीतिक दलों का जोर इस पर हो गया है. न केवल प्रत्याशी बल्कि उनके प्रतिनिधि अपना बायोडाटा के साथ अपने बारे में सारी जानकारियां देकर उनसे जोशीले गीत बनाने का आग्रह करने पहुंचते हैं.
भोजपुरी फिल्मों के लिए कम्यूनिकेशन का काम करने वाले हरिओम उत्तम की मानें तो चुनावी गीत फटाफट तैयार होते हैं. सभी प्रमुख गायकों के द्वारा तैयारी लंबे समय से होती है इसके साथ ही कुछ नये गायक भी ऐसे लाये जाते हैं जो तेजी से गीत रिकॉर्ड करवा दें. औसतन एक प्रत्याशी के लिए तैयार होने वाले एक ऑडियो में चार से पांच गाने होते हैं. इसके साथ ही कुछ डॉयलॉग्स भी उसमें रहते हैं. कई राजनीतिक दलों के नेता लगातार संपर्क करते हैं.
हिट गीतों के आधार पर तैयार होते ट्रैक
चुनावी गीतों के लिए आमतौर पर पहले से ही हिट भोजपुरी फिल्मी गीतों के आधार पर ट्रैक तैयार कर लिये जाते हैं बाद में नेताओं की फरमाइश पर उन ट्रैकों पर गीत के बोल भरे जाते हैं. इसके संगीतकार पहले से ही ट्रैक तैयार करके रखे रहते हैं. संजीव कुमार के मुताबिक कई बड़े नेताओं द्वारा ताजा और अलग तरीके के गीत की भी फरमाइश की जाती है, जिसमें यह फार्मूला नहीं चलता है.
वे पंद्रह साल से चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के लिए चुनावी गीत, डॉयलॉग आदि बनाते रहे हैं. उनके अनुसार चुनावी गीत ज्यादातर हिट भोजपुरी गीतों पर ही आधारित होते हैं. पर्व-त्योहार के दौरान प्रत्याशी लोकगीतों की तर्ज पर ही चुनावी गीत बनाने की फरमाइश करते हैं.

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