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महागठबंधन में सबकुछ ठीकठाक नहीं, RJD और HAM के बीच खिंची तलवारें

पटना : बिहार में विपक्षी महागठबंधन में सबकुछ ठीकठाक नहीं है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के यह कहने के बाद कि यदि यह गठबंधन अगले साल सत्ता हासिल करता है, तो वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और एचएएम शुक्रवार को आमने-सामने आ गये. मई, […]

पटना : बिहार में विपक्षी महागठबंधन में सबकुछ ठीकठाक नहीं है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के यह कहने के बाद कि यदि यह गठबंधन अगले साल सत्ता हासिल करता है, तो वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और एचएएम शुक्रवार को आमने-सामने आ गये.

मई, 2014 से फरवरी, 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे मांझी ने गुरुवार को मीडिया के सामने यह बयान दिया. उन्होंने लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव की अनुभवहीनता के बारे में भी चर्चा की, जिन्हें आरजेडी पहले ही मुख्मयंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर चुका है. महागठबंधन का एक अन्य घटक दल कांग्रेस भी 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने को लेकर ऊहापोह में है.

उल्लेखनीय है कि एचएएम अध्यक्ष आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं, जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में महज 25 साल की उम्र में राजनीतिक उपस्थिति दर्ज करायी थी और उन्हें सीधे उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. मांझी ने मुख्यमंत्री पद से हटने और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लौटने के वास्ते मार्ग प्रशस्त करने के लिए कहे जाने पर विरोध स्वरूप जेडीयू छोड़ दिया था और नयी पार्टी एचएएम बनायी थी.

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से निकलने और महागठबंधन में शामिल होने के बाद आरजेडी की मदद से अपने बेटे को विधान परिषद में भेज चुके मांझी के मन में लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के बहुत खराब प्रदर्शन पर तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर संशय पैदा हो गया. पांच दलों के महागठबंधन को बिहार में संसदीय चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी और 19 सीटों पर चुनाव लड़ने वाल आरजेडी को एक भी सीट नहीं मिली थी.

आम चुनाव के बाद के महीनों में तेजस्वी यादव के लंबे समय तक निष्क्रिय रहने और महीने भर चले विधानसभा के मानसून सत्र में नहीं आने पर राजद के सहयोगी दलों में उनके नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ता गया. इसके अलावा, जब हाल ही में मांझी ने राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से मुलाकात की, तो कई भृकुटियां तन गयीं. पूर्व राजद सांसद पप्पू यादव तेजस्वी यादव के कटु आलोचक है, उन्हें (पप्पू यादव को) लालू यादव ने पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर निष्कासित कर दिया था. इसके बाद उन्होंने जन अधिकार पार्टी बनायी थी.

मांझी के इन कदमों पर राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने एक बयान जारी कर एचएएम अध्यक्ष पर अधीर होने का आरोप लगाया और शिकायत की कि उन्होंने नेतृत्व का मुद्दा इसी हफ्ते के प्रारंभ में हुई महागठबंधन की बैठक में नहीं उठाया और अब सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने को हंसी का पात्र बना रहे हैं और विरोधियों को हमपर व्यंग्य करने का मौका दे रहे हैं. यदि उनकी कोई आकांक्षा या शिकायत है, तो उन्हें महागठबंधन के अंदर रखना चाहिए और उसे सार्वजनिक रूप से नहीं बोलना चाहिए. इस पर एचएएम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने तीखा प्रहार करते हुए तिवारी को लालू प्रसाद की कैद में होने के लिए जिम्मेदार ठहराया. जनता दल के अलग धड़े समता पार्टी के नेता रहने के दौरान तिवारी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये के चारा घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थी.

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