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11.3% विकास दर का मतलब तीन से पांच साल में खत्म हो जायेगी गरीबी

वीएस दुबे, पूर्व मुख्य सचिव यह बड़ी आर्थिक समृद्धि का सूचक पटना : राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण में बिहार का ग्रोथ रेट 11.3 प्रतिशत होना वास्तव में पूरी तरह से सही है, तो यह राज्य की बेहतर आर्थिक स्थिति को दर्शाता है. अमूमन किसी राज्य की इतनी ज्यादा विकास दर सामान्य तौर पर नहीं होती […]

वीएस दुबे, पूर्व मुख्य सचिव
यह बड़ी आर्थिक समृद्धि का सूचक
पटना : राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण में बिहार का ग्रोथ रेट 11.3 प्रतिशत होना वास्तव में पूरी तरह से सही है, तो यह राज्य की बेहतर आर्थिक स्थिति को दर्शाता है. अमूमन किसी राज्य की इतनी ज्यादा विकास दर सामान्य तौर पर नहीं होती है. लेकिन बिहार में ऐसा है, तो यह बड़ी आर्थिक समृद्धि का सूचक है.
राज्य को इस बात को सेलिब्रेट करना चाहिए. राज्य लगातार तरक्की और चहुंमुखी विकास की तरफ बढ़ रहा है. अगर यह स्थिति बरकरार रही तो तीन से पांच साल के दौरान राज्य से गरीबी पूरी तरह से खत्म हो जायेगी. यह अपने आप में बड़े विकास की ओर छलांग लगाता दिखाता है. इसका मतलब है कि राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसी मूलभूत जरूरतों पर खर्च के अलावा सिंचाई, नहर, उद्योग, सड़क समेत तमाम आधारभूत परियोजनाओं पर काफी पैसे खर्च हो रहे हैं.
साथ ही इनका विकास में योगदान भी साफतौर पर प्रतीत हो रहा है. इतनी ज्यादा विकास दर देश में किसी दूसरे राज्य की नहीं है, इसका भी साफ मतलब है कि अन्य सभी राज्यों की तुलना में बिहार के विकास की रफ्तार कहीं तेज रहेगी. साथ ही राज्य की आर्थिक समृद्धि भी उसी गति से बढ़ेगी.
कृषि के विकास पर खास ध्यान देने की जरूरत
बिहार को कृषि व इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में विकास दर को बढ़ाने पर खासतौर से ध्यान देना होगा, क्योंकि प्राथमिक क्षेत्र में सबसे कम विकास दर आंकी गयी है. जबकि सेकेंडरी व तृतीयक सेक्टर में ग्रोथ रेट काफी बेहतर होने से राज्य की विकास दर काफी बेहतर तरीके से सामने आयी है.
सरकार को कृषि क्षेत्र पर भी खासतौर से फोकस करना चाहिए. इससे यह विकास दर लंबे और स्थायी रूप से बनी रहेगी. इसके लगातार कुछ वर्ष बने रहने का मतलब राज्य से गरीबी का काफी हद तक खत्म होना है. राज्य की बहुआयामी तरीके से प्रगति होगी. इसकी बदौलत सभी क्षेत्रों में एक समान विकास करने पर खासतौर से बल मिलेगा.

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