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साहित्योत्सव संग पुस्तक मेला
पुस्तक मेले का आयोजन साहित्य के हित में होता है. इसलिए मेरा मानना है कि पुस्तक के हित के लिए भी साहित्योत्सव के साथ ही पुस्तक मेले का भी आयोजन हो. यह दोनों के हित के लिए अच्छा है. देखा जाये, तो साहित्य की कई विधाएं विलुप्ति होने की कगार पर खड़ी हैं. गजलें, कविताएं […]
पुस्तक मेले का आयोजन साहित्य के हित में होता है. इसलिए मेरा मानना है कि पुस्तक के हित के लिए भी साहित्योत्सव के साथ ही पुस्तक मेले का भी आयोजन हो. यह दोनों के हित के लिए अच्छा है. देखा जाये, तो साहित्य की कई विधाएं विलुप्ति होने की कगार पर खड़ी हैं. गजलें, कविताएं और कहानियां ही साहित्य में आजकल ज्यादा पढ़ी-सुनी जाती हैं. इसलिए इन विधाओं की ही ज्यादा पुस्तकें मिलती हैं.
लेकिन बाकी विधाओं की पुस्तकें नहीं मिलतीं हैं. इसलिए मेरा मानना है कि साहित्योत्सवों में इस बात की पड़ताल की जाये और उनके साथ ही पुस्तक मेलाें का हर गांव और शहर में आयोजन किया जाये, ताकि साहित्य-रसिकों को कहीं और न सही तो इन जगहों पर कम से कम साहित्य की सभी विधाओं की सामग्री भी मिल जाये.
संजय वर्मा, धार, मध्य प्रदेश
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