दिल्ली में जेएनयू की स्थापना इसलिए की गयी थी, ताकि भारत के गरीब घर के बच्चे विश्वस्तरीय ज्ञानार्जन कम पैसे में कर सकें. मगर जिस तरह से पिछले पांच सालों के दौरान जेएनयू में लगातार समस्याएं खड़ी की जाती रही हैं, उससे साफ है कि इसके नाम को मिट्टी में मिलाने पर कुछ लोग आमादा हैं.
चूंकि जेएनयू के विद्यार्थी खुलकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इजहार करते हैं, इसलिए प्रशासन द्वारा वहां कुछ विद्यार्थियों पर राष्ट्रद्रोह का झूठा मुकदमा फाइल किया गया. आज तक उन मुकदमों में पुलिस आरोपपत्र तक दाखिल नहीं कर पायी है. उसके बाद संकाय अध्यापकों की संख्या में कटौती की जाने लगी. अब जेएनयू में फीस में कई गुना की बढ़ोतरी कर दी गयी है. इसलिए छात्र वहां प्रदर्शन कर रहे हैं. शिक्षण और अनुसंधान के लिए यह एक विश्व प्रसिद्ध केंद्र है. अतः सरकार को इसकी स्वायत्तता के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर