हाल में देश में उग्र भीड़ से हो रही हत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को इसे रोकने के लिए कड़ी हिदायत दी है. उग्र एवं अनियंत्रित भीड़ कानून को ताक पर रखकर खुद निर्णय लेने लगती है. लेकिन कोई जरूरी नहीं है कि भीड़ का शिकार व्यक्ति दोषी ही हो.
कई बार भीड़ अफवाहों या सोशल मीडिया द्वारा फैलाई गयी भ्रामक तथ्यों से उत्तेजित होकर बेरहम सलूक करती है, जिससे उसकी मृत्यु भी हो जाती है. अक्सर लोग सच्चाई को जाने बिना भीड़ का हिस्सा तो बन जाते हैं. इसे रोका जाना चाहिए. और सबसे बड़ी बात हम भीड़ का हिस्सा न बनें. निर्णय लेने के लिए पुलिस प्रशासन एवं न्यायालय हैं. बिना कुछ जाने हुए किसी अंजाम तक कैसे पहुंच सकते हैं? केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों को इसे रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए.
अंकित कुमार, इमेल से