बीते दिनों हिंदुत्ववादी संगठनों के द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के परिसर में वहां के छात्रों पर की गयी हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा की जाने की ज़रूरत है. आखिर एक सभ्य समाज कैसे इस प्रकार की अराजकता को बर्दाश्त कर सकता है. जिन्ना की तस्वीर का मुद्दा आज अचानक क्याें आ गया?
क्या देश के एक बेहतरीन विश्वविद्यालय के छात्रों पर इस तरह की हिंसा हमारे देश की संस्कृति का हिस्सा हो सकती है? जिस तरह से पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की सुरक्षा की अनदेखी की गयी, वह भी सवाल खड़े करता है. विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाओं के समय वहां के परिसर में अशांति पैदा करना कहां की राष्ट्रभक्ति है.
फरहान सुम्बुल, डोरंडा, रांची