हम डॉक्टर को भगवान का दर्जा देते हैं, क्योंकि जब हमारा कोई अपना बीमार होता है या हॉस्पिटल में होता है, तो हमारी एकमात्र उम्मीद डॉक्टर से ही होती है. अगर डॉक्टर ही साथ न दें, तो कैसा लगेगा?
एक तो आपको इस बात की चिंता खाये जाती है कि मरीज ठीक कब होगा और उधर डॉक्टर इस सोच में रहते हैं कि पैसे की उगाही कैसे ज्यादा-से-ज्यादा की जा सकती है? जिनके पास पैसा है, उनका तो ठीक है, पर जिनके पास पैसा नहीं है, वे तो अपना सब कुछ बेच कर आते हैं.