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कश्मीर के लिए अस्पष्ट नीति
कश्मीर घाटी के शोपियां इलाके में सेना की कार्रवाई में तीन नागरिक मारे गये. आश्चर्य हुआ जब राज्य सरकार ने सेना के खिलाफ हत्या के जुर्म में एफआइआर दर्ज करवा दिया. इतना ही नहीं, इसके दो दिन के बाद खुद सेना ने भी भीड़ के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवा दिया. ये हो क्या रहा है? […]
कश्मीर घाटी के शोपियां इलाके में सेना की कार्रवाई में तीन नागरिक मारे गये. आश्चर्य हुआ जब राज्य सरकार ने सेना के खिलाफ हत्या के जुर्म में एफआइआर दर्ज करवा दिया. इतना ही नहीं, इसके दो दिन के बाद खुद सेना ने भी भीड़ के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवा दिया. ये हो क्या रहा है? घाटी में तो अफ्स्पा लागू है. ऐसे में सेना को उसके किसी कार्रवाई के लिए कैसे कठघरे में खड़ा किया जा सकता है? ऐसा लगता है मुख्यमंत्री महबूबा मतदाताओं को कुछ संदेश देना चाह रही हैं.
पर, अब बहुत देर हो चुकी है. गठजोड़ को जनता ने कभी स्वीकार नहीं किया, क्योंकि यह सरकार दो विपरीत विचारधारा के मेल से बना था. बहुत संभव है चुनाव के करीब आते-आते यह सरकार गिर जाये. भाजपाइयों पर अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि वे उस पार्टी के साथ हाथ मिला चुके हैं जो अफजल गुरु को शहीद मानता है.
जंग बहदुर सिंह, इमेल से
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