स्नातक स्तरीय परीक्षा को पुनर्जीवन
जेएसएससी द्वारा 2016 में स्नातक-स्तरीय परीक्षा का आयोजन किया गया, लेकिन त्रुटिपूर्ण विज्ञापन के कारण सरकार ने परिणाम प्रकाशित होने के बाद परीक्षा ही रद्द घोषित कर दिया.मामला हाईकोर्ट में गया और कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया कि सिर्फ विशेष विषयों के अर्हता वाले पदों की परीक्षा रद्द करे और सामान्य […]
जेएसएससी द्वारा 2016 में स्नातक-स्तरीय परीक्षा का आयोजन किया गया, लेकिन त्रुटिपूर्ण विज्ञापन के कारण सरकार ने परिणाम प्रकाशित होने के बाद परीक्षा ही रद्द घोषित कर दिया.मामला हाईकोर्ट में गया और कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया कि सिर्फ विशेष विषयों के अर्हता वाले पदों की परीक्षा रद्द करे और सामान्य स्नातक पदों की अब मुख्य परीक्षा ले. कोर्ट ने यह फैसला सरकार द्वारा दिये गये तथ्यों के आधार पर किया है.
सरकार छात्रों के भविष्य से क्यों खिलवाड़ कर रही है, पता नहीं. यह अटपटा लगता है कि एक साथ ली गयी परीक्षा के कुछ पद रद्द हों और कुछ पद यथावत रहे. इसकी भी कोई गारंटी नहीं कि आगे इस परीक्षा पर विवाद ना हो. खैर इस फैसले से वे छात्र तो खुश हैं जो प्रारंभिक परीक्षा में पास हुए थे और उन्हें मायूसी हुई जो फेल कर गये थे.
देर से प्राप्त न्याय भी अन्याय ही कहलाता है, क्योंकि फिर से प्रारंभिक परीक्षा होने की आस में छात्रों का धन और समय दोनों नष्ट हुआ है. सरकार को यह समझना चाहिए कि छात्र हित में सभी नियुक्तियां पारदर्शी तरीके से नियमपूर्वक करें ताकि छात्रों को न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा न खटखटाना पडे.
राजन राज, रांची
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