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पलामू में जल स्तर नीचे जाने की एक वजह अत्यधिक भूमिगत जलस्रोत

मेदिनीनगर : पलामू में जल स्तर नीचे जाने की एक वजह अत्यधिक भूमिगत जलस्रोत का दोहन भी है. आंकड़े बताते हैं कि पलामू में सरकार द्वारा चापाकल लगाने का जो मानक निर्धारित किया है, उस निर्धारित मानक से यहां अधिक चापाकल लग गये हैं. भूमिगत जलस्रोत का दोहन तो किया गया. लेकिन जल संरक्षण पर […]

मेदिनीनगर : पलामू में जल स्तर नीचे जाने की एक वजह अत्यधिक भूमिगत जलस्रोत का दोहन भी है. आंकड़े बताते हैं कि पलामू में सरकार द्वारा चापाकल लगाने का जो मानक निर्धारित किया है, उस निर्धारित मानक से यहां अधिक चापाकल लग गये हैं.

भूमिगत जलस्रोत का दोहन तो किया गया.
लेकिन जल संरक्षण पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया. यही कारण है कि जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. जानकारों की माने तो इस स्थिति से निबटने के लिए यह आवश्यक है कि बरसात के पानी को रोका जाये. न सिर्फ शहर में बल्कि गांवों में भी जो पुराने जलस्रोत उनका रख रखाव सही तरीके से नहीं किया गया. इसलिए शहर जैसी स्थिति अब गांवों में भी देखने को मिल रही है.
मुहल्लों में धड़ल्ले से जारी है डीप बोरिंग
क्या है मानक
जानकारों की माने तो पहले 250 की आबादी पर एक चापाकल का प्रावधान किया गया था. बाद में इसे घटा कर 150 की आबादी पर एक चापाकल का प्रावधान किया गया. लेकिन इस मानक से भी अधिक चापाकल पलामू में लगे हैं.
अनुमति के लिए नहीं आया एक भी आवेदन
मेदिनीननगर नगर निगम के कई इलाके ऐसे हैं, जो गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं. इन इलाकों में कैसे भी पानी मिले, इसके लिए लोग डीप बोरिंग करा रहे हैं. यदपि डीप बोरिंग के बाद भी पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. लेकिन लोग अपने स्तर से प्रयास करने में पीछे नहीं है. जल स्तर नीचे जाने की एक वजह डीप बोरिंग भी है. जानकारों की माने, तो डीप बोरिंग कराने के पहले निगम से इजाजत लेनी है. लेकिन शहर में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. निगम सूत्रों की माने, तो डीप बोरिंग को लेकर निगम से अनुमति लेने का प्रावधान किया है, यह प्रावधान तीन साल से है, लेकिन अब तक निगम के पास एक भी आवेदन नहीं आया है. इसके बावजूद निगम क्षेत्र में इस अवधि में सैकड़ों जगह पर डीप बोरिंग हुए है.
क्या कहते हैं
कार्यपालक अभियंता
पेयजल व स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार सिंह का कहना है कि यह सही है कि पलामू में मानक से अधिक चापाकल लगे हैं. जल संरक्षण के प्रति गंभीर होने की जरूरत है. नहीं तो जो स्थिति है, उससे आने वाले वर्षों में जल संकट और भी गहरायेगा. क्योंकि जल दोहन अधिक हो रहा है, संचयन कम. जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक पलामू में 75 की आबादी पर एक चापाकल है. जो मानक से अधिक है. इसलिए विभाग ने अब नये चापाकल लगाने पर रोक लगा दी है.
डीप बोरिंग के लिए अनुमति लेना जरूरी है
नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार साव का कहना है कि जहां तक जल दोहन व संचयन का मामला है, तो इसके लिए नियम प्रावधान तो है. लेकिन सिर्फ इससे ही काम नहीं चलेगा. इसके लिए जन जागरूकता जरूरी है. डीप बोरिंग के लिए अनुमति लेना जरूरी है. लेकिन कोई आवेदन ही नहीं आ रहा है. कुछ लोग शिकायत करते हैं, लेकिन तब जब बोरिंग हो जाती है तब. ऐसी स्थिति में निगम मामले की जांच कराती है. मामला सही पाये जाने पर कार्रवाई की जाती है. लेकिन अधिकतर बोरिंग रात में होती है और शिकायत दूसरे दिन मिलती है. इसलिए यह आवश्यक है कि इसमें जनता भी अपेक्षित जागरूकता दिखाये और इसमें आगे आये. बोरिंग जैसे ही शुरू हो तत्काल प्रशासन को सूचना दे कार्रवाई होगी.

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