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पाकिस्तान सरकार के विवादास्पद चांद कैलेंडर को पेशावर हाईकोर्ट में दी गयी चुनौती

पेशावर : पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी की ओर से जारी किये गये विवादित चांद कैलेंडर को सोमवार को पेशावर हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी. याचिका में कहा गया है कि यह कैलेंडर इस्लामी शिक्षा के अनुरूप नहीं है. याचिकाकर्ता ने मंत्री को बर्खास्त करने की भी मांग की. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री […]

पेशावर : पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी की ओर से जारी किये गये विवादित चांद कैलेंडर को सोमवार को पेशावर हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी. याचिका में कहा गया है कि यह कैलेंडर इस्लामी शिक्षा के अनुरूप नहीं है. याचिकाकर्ता ने मंत्री को बर्खास्त करने की भी मांग की. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी सहयोगी चौधरी ने ईद-उल-फित्र से पहले देश की पहली चांद देखने वाली वेबसाइट की शुरुआत मई में की थी, जिससे कई उलेमा (कई सारे धर्मगुरु) खफा हो गये थे.

इसे भी देखें : पाकिस्तान ने वैज्ञानिक चंद्र कैलेंडर तैयार किया

चौधरी ने पिछले महीने ऐलान किया था कि पाकिस्तान की सरकार पांच जून को ईद मनायेगी, जबकि सऊदी अरब में ईद का त्योहार चार जून को मनाया गया. याची ने दलील दी है कि मंत्री की ओर से जारी किया गया चांद कैलेंडर इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप नहीं है. ‘ एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने याचिकाकर्ता के हवाले से कहा कि मंत्री ने पहले लोगों को ईद-उल-फित्र (पांच जून) को मनाने के लिए मजबूर किया. अब ऐलान किया है कि ईद-उल-अज़हा (बकरीद) 12 अगस्त को मनायी जायेगी.

उन्होंने कहा कि ईद उल अज़हा के दिन को तय करने के लिए पुष्टि की जरूरत होती है. उन्होंने याचिका में दावा किया कि पवित्र कुरान को पढ़े बिना मंत्री ने ईद के दिनों को तय कर दिया. याचिकाकर्ता ने इस चांद कैलेंडर को पाकिस्तान में जारी नहीं करने का अनुरोध किया. उन्होंने अदालत से मंत्री को पद से भी हटाने की गुजारिश की. उधर, पाकिस्तान की इस्लामी विचारधारा परिषद (सीआईआई) ने कहा है कि वह सरकार की ओर से जारी चांद कैलेंडर की समीक्षा करेगी. इसके बाद कोई फैसला किया जायेगा.

सीआईआई के अध्यक्ष डॉ किबला एयाज़ ने पहले मीडिया से कहा है कि उलेमा से सलाह-मशविरे के बिना चांद कैलेंडर पर आखिरी फैसला नहीं किया जा सकता है. चौधरी ने रूअत-ए-हिलाल कमेटी के चांद देखने के पारंपरिक तरीकों को खत्म कर दिया है, जिससे इस्लाम के अहम त्योहारों को लेकर विवाद होता था. इससे उलेमा नाराज हो गये हैं.

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