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Terror Funding पर FATF की कार्रवाई, ‘ग्रे सूची” से बाहर नहीं निकल सका पाकिस्तान

पेरिस : आतंकवाद को मुहैया कराये जाने वाले धन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ‘एफएटीएफ’ ने शुक्रवार को पाकिस्तान को अगले साल फरवरी तक के लिए अपनी ‘ग्रे सूची’ में रख दिया. धन शोधन (मनी लाउंड्रिंग) और आतंकवाद को धन मुहैया कराये जाने के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई करने में इस्लामाबाद के नाकाम रहने […]

पेरिस : आतंकवाद को मुहैया कराये जाने वाले धन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ‘एफएटीएफ’ ने शुक्रवार को पाकिस्तान को अगले साल फरवरी तक के लिए अपनी ‘ग्रे सूची’ में रख दिया.

धन शोधन (मनी लाउंड्रिंग) और आतंकवाद को धन मुहैया कराये जाने के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई करने में इस्लामाबाद के नाकाम रहने को लेकर यह कदम उठाया गया है. वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की यहां पांच दिवसीय पूर्ण बैठक संपन्न होने के बाद यह फैसला लिया गया. इसमें इस बात का जिक्र किया गया कि पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के लिए दी गयी 27 सूत्रीय कार्ययोजना में इस्लामाबाद सिर्फ पांच पर ही काम करने में सक्षम रहा. उल्लेखनीय है भारत में सिलसिलेवार हमलों के लिए ये दोनों आतंकी संगठन जिम्मेदार रहे हैं. बैठक में यह आमराय रही कि इस्लामाबाद को दी गयी 15 महीने की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना पर खराब प्रदर्शन किया.

अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान को उसकी ‘ग्रे सूची’ में कायम रखते हुए एफएटीएफ ने धन शोधन और आतंकवाद को मुहैया कराये जा रहे धन को रोकने में नाकाम रहने को लेकर इस्लामाबाद को कार्रवाई की चेतावनी दी. एफएटीएफ पाकिस्तान की स्थिति के बारे में अगले साल फरवरी में अंतिम फैसला लेगा. एफएटीएफ ने पाकिस्तान पर अपना फैसला सार्वजनिक करते हुए वैश्विक वित्तीय संस्थानों को नोटिस दिया है कि वे फरवरी 2020 में किसी अकस्मात स्थिति के लिए अपनी प्रणालियों को तैयार रखें. उल्लेखनीय है कि यदि पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में कायम रखा जाता है या ‘डार्क ग्रे’ सूची में डाला जाता है, तो उसकी वित्तीय हालत कहीं अधिक जर्जर हो जायेगी. ऐसी स्थिति में इस देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद मिलनी बहुत मुश्किल हो जायेगी.

इस घटनाक्रम से नजदीकी तौर पर जुड़े एक अधिकारी ने कहा, एक बार फिर से आमराय से यह फैसला लिया गया कि एफएटीएफ पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाये रखेगा और पाकिस्तान को यह चेतावनी दी कि यदि उसने कार्रवाई योजना का पूरी तरह से पालन नहीं किया और महत्वपूर्ण एवं सतत प्रगति नहीं दिखायी तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. इस तरह की कार्रवाई में वैश्विक वित्तीय संस्थानों को पाकिस्तान के साथ कारोबारी संबंध और लेनदेन पर विशेष ध्यान देने की अपील की जा सकती है. गौरतलब है कि ईरान के लिए भी इसी भाषा का इस्तेमाल किया गया था, जिसे काली सूची में रखा गया है.

एफएटीएफ ने समीक्षा के दायरे में रहे सभी क्षेत्राधिकारों पर चर्चा की. इसमें पाकिस्तान भी शामिल है और उस पर आमराय भी बनी. अब, फरवरी 2020 में पाकिस्तान को औपचारिक रूप से काली सूची में डाले जाने की संभावना बढ़ गयी है. एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संस्था है. धन शोधन, आतंकवाद को धन मुहैया कराये जाने और अन्य संबद्ध खतरों का मुकाबला करने के लिए 1989 में इसकी स्थापना की गयी थी. पेरिस के इस निगरानी संगठन ने पिछले साल जून में पाक को ग्रे सूची में रखा था और उसे एक कार्य योजना सौंपते हुए उसे अक्तूबर 2019 तक पूरा करने या ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ‘काली सूची’ में डाले जाने के जोखिम का सामना करने को कहा गया था.

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