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Friday, March 29, 2024

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कश्मीर और पीओके पर UN ने जारी की पहली Report, भारत ने किया खारिज

जिनेवा/नयी दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट गुरुवारको जारी की और इन उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की. रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए भारत ने इसे ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित’ बताकर खारिज कर दिया और संयुक्त राष्ट्र […]

जिनेवा/नयी दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट गुरुवारको जारी की और इन उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की. रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए भारत ने इसे ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित’ बताकर खारिज कर दिया और संयुक्त राष्ट्र में अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया.

विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से पूर्वाग्रह से प्रेरित है और गलत तस्वीर पेश करने का प्रयास कर रही है. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है. संपूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. पाकिस्तान ने भारत के इस राज्य के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है. मानवाधिकार उच्चायुक्त के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने पाकिस्तान से शांतिपूर्वक काम करनेवाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंक रोधी कानूनों का दुरुपयोग रोकने और असंतोष की आवाज के दमन को भी बंद करने को कहा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवाधिकार उल्लंघन की अतीत की और मौजूदा घटनाओं के तुरंत समाधान की जरूरत है. इसमें कहा गया है, ‘कश्मीर में राजनीतिक स्थिति के किसी भी समाधान में हिंसा का चक्र रोकने के संबंध में प्रतिबद्धता और पूर्व में तथा मौजूदा मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर जवाबदेही होनी चाहिए.’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ लोगों पर नुकसानदेह असर पड़ा है और उन्हें मानवाधिकार से वंचित किया गया या सीमित किया गया.’ जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है, जबकि पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर में मनमाने तरीके से पाकिस्तानी राजनयिक को वहां का प्रमुख नियुक्त किया जाता है.

कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में ‘जून 2016 से अप्रैल 2018 तक भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर में घटनाक्रम और आजाद जम्मू कश्मीर तथा गिलगित-बालटिस्तान में मानवाधिकार से जुड़ी आम चिंताएं’ विषय को शामिल किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1980 के दशक के अंत से जम्मू कश्मीर राज्य में विभिन्न तरह के हथियारबंद समूह सक्रिय हैं. भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. इस तरह के प्रत्यक्ष सबूत हैं कि इन समूहों ने आम नागरिकों का अपहरण और उनकी हत्याएं, यौन हिंसा सहित विभिन्न तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन समूहों को किसी भी तरह के समर्थन से पाकिस्तान सरकार के इनकार के दावों के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा के पार कश्मीर में उनकी गतिविधियों में सहयोग करती है.’ रिपोर्ट में सशस्त्र बल (जम्मू कश्मीर) विशेषाधिकार कानून, 1990 को तुरंत निरस्त करने और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपी सुरक्षा बलों के खिलाफ अदालतों में मुकदमा चलाने के लिए केंद्र सरकार से पूर्व की अनुमति की बाध्यता को भी हटाने की मांग की गयी है. पहली बार यूएनएचआरसी ने कश्मीर और पीओके में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर कोई रिपोर्ट जारी की है.

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