भुवनेश्वर: एक शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. कुछ लोग एक शव को कपड़ों में लपेट कर बांस से टांगकर ले जाते दिखे. बताया जाता है कि एक एनजीओ में इलाज के दौरान शख्स की मौत हो गयी. मृतक के परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने शव को घर तक ले जाने के लिये शव वाहन की मांग की तो अधिकारियों ने मना कर दिया. इनका कहना था कि हम सोमवार को गाड़ी नहीं चलाते. ये पूरी घटना ओड़िसा स्थित गनूपुर के कालाहांडी की है.
बता दें कि ये पहला वाकया नहीं है जब देश के किसी हिस्से से ऐसी शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आयी हैं. पिछले महीने ही राजस्थान के देवथला से भी एक तस्वीर सामने आयी थी जब अस्पताल में एक महिला की मौत के बाद उसकी सास और ननद ने महिला के शव को आधा किलोमिटर तक कंधे पर ढोया.
Odisha: Relatives of a man, who died during treatment at an NGO in Gunupur, Kalahandi, carry his body on a sling made of clothes, after they were allegedly not given a hearse van. Say, "We asked for a van but medical officers told us they don't run van on Mondays" pic.twitter.com/TNnv5TmE53
— ANI (@ANI) July 19, 2019
पहले भी हुआ है शर्मनाक वाकया
ओड़िसा की ही एक और घटना अभी भी लोगों के जेहन में ताजा है. अगस्त 2017 में दाना मांझी का मामला काफी सुर्खियों में रहा था. इलाज के दौरान दाना के पत्नी की अस्पताल में मौत हो गयी. आरोप था कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें शव वाहन मुहैया नहीं कराया. तब उन्होंने पत्नी के शव को कंधे पर उठाकर करीब 14 किलोमिटर तक ढोया. जब कुछ लोगों की नजर इस पर पड़ी तो चंदा इकट्ठा कर गाड़ी का इंतजाम किया गया.
हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत हो गयी. इस दौरान भी कई लोग अपने बच्चों के शव को कंधे पर या गोद में अस्पताल से ले जाते हुये दिखे. केंद्र और राज्य सरकारें स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी-बड़ी घोषणा और वादे करती है बावजूद इसके यदि किसी मृतक के लिये अस्पतालों में शव वाहन तक उपलब्ध नहीं है तो वाकई ये चिंताजनक है.