रायपुर : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में स्वास्थ्य सेवा कानून के वादे को शामिल करने पर विचार कर रही है ताकि सभी के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जा सके.
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ‘आयुष्मान भारत’ स्वास्थ्य योजना की भी आलोचना की. उन्होंने यहां एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चिकित्सकीय पेशेवरों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, हम अपने घोषणापत्र में तीन चीजों पर विचार कर रहे हैं. हम सभी भारतीयों के लिए निश्चित न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा अधिकार कानून शामिल करने, स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र में व्यय को देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत से बढ़ाने और चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं. राहुल ने यह भी कहा कि यदि उनकी पार्टी 2019 के आम चुनावों में सत्ता में आती है, तो उसका ध्यान स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा में व्यय बढ़ाने पर केंद्रित होगा.
उन्होंने कहा, भारत ग्रामीण व्यवस्था से शहरी व्यवस्था में तबदील हो रहा है. बड़े स्तर पर स्थानांतरण हो रहा है और यह दुखदायी है. राहुल ने कहा कि 21वीं सदी में किसी भी सरकार को भारतीय नागरिकों की रक्षा करने के लिए तीन चीजें करनी होंगी. उन्होंने कहा, पहला हमें बेरोजगारी की समस्या से निपटना होगा और दूसरा कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मुहैया करानी होगी. तीसरा हमें बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सुनिश्चित करनी होगी. राहुल गांधी ने कहा, मेरे हिसाब से इन चीजों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. यदि हम ये सब नहीं करते हैं, तो हम सफल नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि फिर से गरीब होने का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य सेवा है. उन्होंने कहा, हर कोई यह जानता है. स्वास्थ्यसेवा आधार है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह आधार मजबूत हो.
राहुल गांधी ने आयुष्मान भारत योजना के बारे में कहा, मैं इसे एक सीमित योजना के तौर पर देखता हूं जिसमें सीमित स्वास्थ्यसेवा मामलों को लक्ष्य बनाया गया है. यदि मैं स्पष्ट कहूं तो यह भारत के चुनिंदा 15-20 अमीर कारोबारियों के हाथ में है. हम इस प्रकार की योजना नहीं लायेंगे. उन्होंने कहा, मैं आयुष्मान भारत योजना की मुख्य रूप से इसलिए आलोचना करता हूं कि यह अस्पताल एवं चिकित्सकीय पेशेवरों की उचित समर्थन संरचना के बिना बीमा मुहैया कराती है. स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की क्षमता के बिना कोई बीमा प्रणाली काम नहीं कर सकती. राहुल गांधी ने कहा, स्वास्थ्यसेवा एवं शिक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यय की आवश्यकता है. निजी संस्थाओं, बड़े कारोबारों और बीमा की भी इसमें भूमिका है, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की ही होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह शिक्षा में जीडीपी का पांच से छह प्रतिशत व्यय करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. राहुल गांधी ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्यसेवा में नाटकीय असफलता का मुख्य कारण विकास को लेकर भाजपा एवं आरएसएस के सोचने के तरीके में अंतर है.