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प्रकाश पर्वः गुरु नानक देव के ये 10 उपदेश जो बदल देंगे आपका जीवन

आज 12 नवंबर है. साथ ही है कार्तिक पूर्णिमा. सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. यही वजह है कि इस दिन को सिख धर्म के अनुयायी बड़े ही धूमधाम से प्रकाश उत्सव और गुरु पर्व के रूप में मानते हैं. हालांकि उनका जन्म 15 […]

आज 12 नवंबर है. साथ ही है कार्तिक पूर्णिमा. सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. यही वजह है कि इस दिन को सिख धर्म के अनुयायी बड़े ही धूमधाम से प्रकाश उत्सव और गुरु पर्व के रूप में मानते हैं. हालांकि उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था. अंधविश्वास और आडंबरों के कट्टर विरोधी गुरु नानक देव जी की इस बार 550वीं जयंती मनाई जा रही हैं. इस उपलक्ष्य में करतारपुर कॉरिडोर भी खुल चुका है.
गुरु नानक जी पंजाब के तलवंडी नामक स्थान पर एक किसान के घर जन्मे थे. उनके मस्तक पर शुरू से ही तेज आभा थी. रावी नदी के किनारे तलवंडी (पाकिस्तान के लाहौर से 30 मील पश्चिम) गुरु नानक का नाम साथ जुड़ने के बाद आगे चलकर ननकाना कहलाया. गुरु नानक के प्रकाश उत्सव पर प्रति वर्ष भारत से सिख श्रद्धालुओं का जत्था ननकाना साहिब जाकर वहां अरदास करता है.
नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम कल्याण या मेहता कालू जी था और माता का नाम तृप्ती देवी था. 16 वर्ष की उम्र में इनका विवाह गुरदासपुर जिले के लाखौकी नाम स्‍थान की रहने वाली कन्‍या सुलक्‍खनी से हुआ. इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थें. दोनों पुत्रों के जन्म के बाद गुरुनानक देवी जी अपने चार साथी मरदाना, लहना, बाला और रामदास के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े.
ये चारों ओर घूमकर उपदेश देने लगे. 1521 तक इन्होंने तीन यात्राचक्र पूरे किए, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया. इन यात्राओं को पंजाबी में "उदासियाँ" कहा जाता है. गुरुनानक देव जी मूर्तिपूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में रहें. नानक जी के अनुसार ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही है.
तत्कालीन इब्राहीम लोदी ने इनको कैद तक कर लिया था. आखिर में पानीपत की लड़ाई हुआ, जिसमें इब्राहीम हार गया और राज्य बाबर के हाथों में आ गया. तब इनको कैद से मुक्ति मिली. नानक जी ने करतारपुर (पाकिस्तान) नामक स्‍थान पर एक नगर को बसाया और एक धर्मशाला भी बनवाई. नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर 1539 ईस्वी को हुआ. गुरुनानक देव को अपने चमत्कारों के लिए भी जाना जाता था.
गुरु नानक देव भाईचारा, एकता और जातिवाद को मिटाने के लिए कई उपदेश दिए. इन उपदेशों को पढ़कर आप अपना जीवन बदल सकते हैं. आज जिसे हम पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के नाम से जानते हैं, उसके शुरुआती 940 शबद नानक जी के ही हैं। आदिग्रंथ की शुरुआत मूल मंत्र से होती है, जिसमें हमारा ‘एक ओंकार’ से साक्षात्कार होता है.
01. गुरु नानक देव ने इक ओंकार का नारा दिया यानी ईश्वर एक है. वह सभी जगह मौजूद है. हम सबका “पिता” वही है इसलिए सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए.
02. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो.
3. ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है.
4. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता.
5. ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए.
6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं.
7. सदैव प्रसन्न रहना चाहिए. ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए.
8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.
9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं.
10. भोजन शरीर को जि़ंदा रखने के लिए ज़रूरी है पर लोभ−लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है.

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