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महाराष्ट्र में तीसरी बार लागू हुआ राष्ट्रपति शासन, जानिए कब-कब हुआ ऐसा

मुंबई : महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की. राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक […]

मुंबई : महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की. राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई और प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाने का राष्ट्रपति से अनुरोध करने का निर्णय किया गया. राष्‍ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रपति शासन लग गया.

इधर शिवसेना ने राष्‍ट्रपति शासन को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. महाराष्ट्र के इतिहास में इससे पहले अब तक दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है.महाराष्ट्र 1 मई 1960 को अस्तित्व में आया था.

पहली बार 17 फरवरी 1980 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार को विधानसभा में पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद सदन भंग कर दिया गया था. इसकी वजह से राज्य में 17 फरवरी से 8 जून 1980 तक लगभग 112 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा.

दूसरी बार 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. उस वक्त राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सहित अन्य दलों के साथ अलग हुआ था और विधानसभा को भंग किया गया था. इस कारण 28 सितंबर 2014 से लेकर 30 अक्तूबर तक लगभग 32 दिनों तक राष्‍ट्रपति शासन लगा.

* ऐसा रहा पूरा घटनाक्रम

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्‍तूबर को आया. जिसमें 288 सदस्यीय सदन में भाजपा 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि 56 विधायकों के साथ शिवसेना दूसरी बड़ी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 54 विधायकों के साथ राज्‍य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही. कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं.

इस बीच भाजपा और शिवसेना के बीच विवाद बढ़ता गया और दोनों के बीच 30 वर्षों का साथ टूट गया. भाजपा ने राज्‍यपाल को मिलकर कह दिया कि उसके पास प्रयाप्‍त संख्‍या बल नहीं है, इसलिए पार्टी सरकार नहीं बनाएगी. भाजपा के इनकार के बाद राज्‍यपाल ने शिवसेना को न्‍योता दिया और 24 घंटे का समय दिया. तय समय पर शिवसेना राज्‍यपाल के सामने अपना दावा पेश नहीं कर पायी, नतीजा हुआ कि राज्‍यपाल ने राज्‍य की तीसरी बड़ी पार्टी एनसीपी को न्‍योता दिया.

शिवसेना ने सोमवार को दावा किया था कि राकांपा और कांग्रेस ने उसे महाराष्ट्र में भाजपा के बिना सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है, लेकिन राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा समाप्त होने से पहले वह समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही.

इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस के समर्थन और ‘तीनों दलों’ के विचार-विमर्श के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा को मंगलवार शाम साढ़े आठ बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कहा था.

लेकिन कोश्यारी ने मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी. कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किये गये एक बयान के अनुसार, वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, (और इसलिए) संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है.

अनुच्छेद 356 को आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ से संबंधित है. वहीं, शिवसेना ने सरकार गठन के लिए और समय दिये जाने से महाराष्ट्र के राज्यपाल के इनकार करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

बहरहाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने के फैसले पर कांग्रेस की तरफ से की गई देरी को लेकर हो रही आलोचनाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया.

सरकार बनाने के लिए क्या कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने पर सहमत हुई थी, यह पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो उनकी पार्टी ने सोमवार को दिल्ली में इतनी लंबी चर्चाए नहीं की होतीं. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के संबंध में मंगलवार को लगाई जा रही अटकलों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू भी होता है तो जब दलों के पास संख्या बल हो और वे सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हों तो उसे हटाया भी जा सकता है.

महाराष्ट्र में गैर-भाजपाई सरकार बनाने के शिवसेना के प्रयासों को सोमवार को झटका लगा था जब कांग्रेस ने अंतिम क्षण में कहा कि वह उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को समर्थन देने के विषय पर अपनी सहयोगी राकांपा से कुछ और चर्चाएं करना चाहती है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को होने जा रहा अपना मुंबई दौरा टाल दिया है. दोनों नेता महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए मंगलवार को मुंबई जाने वाले थे.

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध 19वें दिन में प्रवेश कर गया है और कोई भी दल सरकार बनाने में अब तक सफल नहीं हुई है. इससे पहले रविवार को प्रदेश में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा ने कहा कि उसके पास सरकार बनाने के लिये जरूरी संख्या नहीं है.

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