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अमित शाह का कश्मीर दौराः लिया सुरक्षा स्थिति का जायजा, शहीद इंस्पेक्टर के परिवार से मिले

श्रीनगरःगृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ग्रिड के एकीकृत मुख्यालय की बैठक की अध्यक्षता की और राज्य की समग्र सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे गृह मंत्री ने कश्मीर में शांति बहाल करने और चरमपंथ रोधी अभियानों पर विशेष बल देने […]

श्रीनगरःगृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ग्रिड के एकीकृत मुख्यालय की बैठक की अध्यक्षता की और राज्य की समग्र सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे गृह मंत्री ने कश्मीर में शांति बहाल करने और चरमपंथ रोधी अभियानों पर विशेष बल देने के साथ राज्य की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने बताया कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक, गृह मामलों में उनके प्रभारी सलाहकार के. विजय कुमार, मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह, डीजीपी दिलबाग सिंह, विभिन्न खुफिया एजेंसियों एवं अर्द्धसैनिक बलों के प्रमुख इस बैठक में शामिल हुए.

इससे पहले शाह ने 12 जून को अनंतनाग आतंकवादी हमले में शहीद हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के निरीक्षक अरशद अहमद खान के परिवार से मुलाकात की. सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच वह शहर के बल्गार्दें इलाके में परिवार से मिलने पहुंचे. इस आतंकवादी हमले में 37 साल के खान घायल हो गए थे जिन्हें बाद में विशेष उपचार के लिए दिल्ली लाया गया था. हालांकि एम्स में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. खान के परिवार में उनकी पत्नी और एक साल एवं चार साल के दो बेटे हैं.

बता दें कि इस आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे. जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने अर्द्धसैनिक बल के गश्ती दल पर हमला कर दिया था. शाह ने पंचायत प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की जो पिछले साल के चुनाव में चुने गए थे. गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद बुधवार को वह पहली बार राज्य के दौरे पर पहुंचे. उनका यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को दिए जाने वाले महत्त्व को दर्शाता है. पद संभालने के बाद से शाह का यह नयी दिल्ली से बाहर का पहला आधिकारिक दौरा है.

अधिकारियों ने बताया कि प्रोटोकॉल से हटकर राज्य के राज्यपाल ने अपने सलाहकारों और राज्य प्रशासन के कुछ शीर्ष अधिकारियों के साथ हवाईअड्डे पर शाह का स्वागत किया. पूर्व में राज्यपाल सामान्य तौर पर केवल प्रधानमंत्री को लेने पहुंचते थे. गृह मंत्री ने एक जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के लिए भी सुरक्षा व्यवस्था का बुधवार को जायजा लिया. साथ ही उन्होंने राज्य के लिए 2015 में नरेंद्र मोदी की तरफ से घोषित 80,000 करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री विकास पैकेज समेत अन्य विकास कार्यों की भी समीक्षा की.

कश्मीर घाटी में आतंकवाद के तीन दशकों के बीच ऐसा पहली बार हुआ है कि अलगाववादी संगठनों ने किसी गृह मंत्री के दौरे के वक्त बंद की अपील नहीं की.शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे की खास बात यह है कि अलगाववादी संगठनों की तरफ से बुधवार को कोई बंद नहीं बुलाया गया. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सैयद अली शाह गिलानी हों या मीरवाइज उमर फारूक, किसी भी धड़े की ओर से बंद की अपील नहीं की गयी. यही नहीं किसी भी अलगाववादी नेता ने कोई बयान जारी नहीं किया.
पिछले तीन दशक के दौरान जब भी केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि के दौरे में अलगाववादी समूह घाटी में बंद बुलाते रहे हैं. तीन फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब घाटी का दौरा किया था, उस वक्त गिलानी, मीरवाइज और जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक की अगुआई वाले संगठन संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व ने घाटी में पूर्ण बंद बुलाया था.

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