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HAL ने कहा – राफेल में अब उसकी रुचि नहीं, राजनीतिक लड़ाई से मनोबल नहीं गिरा

बेंगलुरु : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने राफेल सौदे पर राजनीतिक लड़ाई के बीच बृहस्पतिवार को कहा कि इस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान की ऑफसेट परियोजना में अब उसकी रुचि नहीं है. साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने कहा कि सरकार उसकी अनदेखी नहीं कर रही है. एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर माधवन […]

बेंगलुरु : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने राफेल सौदे पर राजनीतिक लड़ाई के बीच बृहस्पतिवार को कहा कि इस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान की ऑफसेट परियोजना में अब उसकी रुचि नहीं है. साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने कहा कि सरकार उसकी अनदेखी नहीं कर रही है.

एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर माधवन ने यह भी कहा कि राफेल पर राजनीतिक रार से सार्वजनिक क्षेत्र की इस इकाई का मनोबल और कारोबारी संभावनाएं प्रभावित नहीं हुई है. माधवन ने कहा, हां, जब बुरी चीजें होती हैं तब हमें खराब तो लगता है, लेकिन यह हमें प्रभावित नहीं करता. हमारे कर्मचारी और मध्यम प्रबंधन (मिडिल मैनजमेंट) कहीं अधिक उत्साही हैं. यह कहीं से हमारे कामकाज को प्रभावित नहीं करता. उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी की रुचि ऑफसेट और सीधी खरीद में नहीं है. माधवन ने यहां एयरो इंडिया 2019 एयर शो में संवाददाताओं से कहा, इसे सीधी खरीद के तौर पर लेने के बारे में सरकार का फैसला है और हमारी इसमें रुचि नहीं है. यदि हमारे पास यह एक काम के तौर पर आता है तो हम इसमें रुचि लेंगे.

राफेल का विनिर्माण करने में एचएएल द्वारा लगनेवाले काम के घंटों के मुद्दे पर माधवन ने कहा कि हमेशा ही सीखने का एक समय होता है और एचएएल के प्रथम विमान की तुलना दूसरों के 100 वें विमान के साथ नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि आप सुखोई-30 पर गौर करें तो हमने इसके विनिर्माण में मूल निर्माता से कम समय लगाया. उन्होंने कहा, इसलिए आप हमारे 50वें विमान की तुलना उनके 50वें विमान से करें. माधवन ने कहा कि उनकी तुलना में हमारी श्रम लागत भी कम है और इस परियोजना में श्रम लागत बहुत छोटा विषय है. गौरतलब है कि भारत ने 36 राफेल विमानों की आपूर्ति के लिए एक अंतर सरकारी समझौते पर फ्रांस के साथ समझौता किया है. शुरुआती प्रस्ताव को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया.

दरअसल, शुरुआती प्रस्ताव में 18 विमान खरीदे जाने और 108 अन्य को एचएएल द्वारा पूर्ण रूप से तैयार किया जाना था. वहीं, एचएएल प्रमुख ने मिराज 2000 दुर्घटना पर विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की एक टिप्पणी को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह घटना वैसी नहीं थी, जैसा कि मीडिया में आई खबरों में बताया गया और वह ‘कोर्ट ऑफ इनक्वायरी’ (सीओआई) पूरी होने का इंतजार करेंगे. माधवन ने कहा, हमारी क्षमताएं किसी अन्य के समान है. इन मोर्चों पर कोई कमी नहीं है. कोई भी ऐसी टिप्पणी कर सकता है. मिराज दुर्घटना के बाद मीडिया में खबरें आयी, लेकिन हमने सीओआई पूरी होने तक कुछ भी नहीं कहने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, दुर्घटना वैसी नहीं थी जैसा कि मीडिया में बताया गया और लोगों ने पूरे तथ्य जाने बगैर एचएएल को जिम्मेदार ठहराया.

गौरतलब है कि सेवानिवृत्त थल सेना प्रमुख सिंह ने बेंगलुरु में मिराज 2000 की हालिया घटना के बाद एचएएल की आलोचना करते हुए कहा था, जरा एचएएल की हालत देखिये. हमारे दो पायलट मारे गये. बड़े ही अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि एचएएल में कार्यक्रम साढ़े तीन साल विलंब से चल रहे हैं. उन्होंने कहा था, विमान के पुर्जे रनवे पर गिर रहे हैं. क्या यह क्षमता है? वहीं दूसरी ओर, हम कहते हैं कि एचएएल को काम (राफेल) नहीं मिल रहा. गौरतलब है कि इस दुर्घटना में दो पायलटों की मौत हो गयी थी. वे एचएएल में अपग्रेड किये गये मिराज के उड़ान परीक्षण पर थे. माधवन ने यह दलील खारिज कर दी कि एचएएल की अनदेखी की जा रही है जैसा कि खास तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है. दरअसल, वह (राहुल) मोदी सरकार पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उसने पीएसयू को दरकिनार किया और अनिल अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी को नजरअंदाज किया जा रहा है या उसके साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है, माधवन ने कहा कि यदि यह मामला होता तो कंपनी को काफी सारे आर्डर नहीं मिले होते. एचएएल की वित्तीय हालत ज्यादा अच्छी नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर इसके वरिष्ठ अधिकारी शेखर श्रीवास्तव ने कहा कि जहां तक नकदी का सवाल है इस मोर्चे पर कोई मुद्दा नहीं है. दरअसल, नकदी की स्थिति थल सेना, नौसेना और वायुसेना सहित एचएएल के चार ग्राहकों के पुनर्भुगतान में देर के चलते प्रभावित हुई है. श्रीवास्तव ने कहा कि एचएएल के पास निर्यात के लिए कई ग्राहक हैं जो उससे खुश हैं.

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