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OMG: 650 रुपये की नौकरी पाने में लग गये 40 लाख रुपये

-आपबीती:हरियाणवी युवक ने घुसपैठिये के रूप में अमेरिका की कठिन यात्रा को किया याद इक्कीस साल के गुरकृपा सिंह (काल्पनिक नाम) संभवत: उन कुछ भाग्यशाली लोगों में शामिल हैं जो अमेरिका में गैरकानूनी रूप से घुसने, एक महीने से भी कम समय जेल में बिताने के बावजूद नौकरी पाने में कामयाब रहे हैं. अंबाला निवासी […]

-आपबीती:हरियाणवी युवक ने घुसपैठिये के रूप में अमेरिका की कठिन यात्रा को किया याद

इक्कीस साल के गुरकृपा सिंह (काल्पनिक नाम) संभवत: उन कुछ भाग्यशाली लोगों में शामिल हैं जो अमेरिका में गैरकानूनी रूप से घुसने, एक महीने से भी कम समय जेल में बिताने के बावजूद नौकरी पाने में कामयाब रहे हैं. अंबाला निवासी इस शख्स को अमेरिका में घुसपैठिये के रूप में घुसने, राजनीतिक शरण के आवेदन और ओरेगॉन प्रांत के एक स्थानीय किराने की दुकान में दस डॉलर प्रति घंटे (650 रुपये) की नौकरी पाने में करीब 60 दिन और 60 हजार डॉलर (40 लाख रुपये से अधिक) की राशि लगी.

पांच एकड़ से अधिक भूमि के स्वामित्व वाले गुरकृपा के माता पिता ने कृषिभूमि और उनकी संपत्ति पर ऋण लेकर इस साल मई में हरियाणा के एक एजेंट को 17 लाख रुपये दिये थे ताकि वह गुरकृपा को दक्षिणी मेक्सिको सीमा से होकर अमेरिका में गैरकानूनी प्रवेश दिलाने में मदद करे. इस सप्ताह अपनी नौकरी के आठवें दिन ओरेगॉन के इस शहर में एक छोटी-सी किराने की ग्रामीण दुकान में काम करते हुए गुरकृपा ने कहा कि हम भारत से मेक्सिको उड़ान भरकर पहुंचे.

हरियाणा से ओरेगॉन आने में कई किलोग्राम वजन कम करने वाले गुरकृपा ने कहा कि उनके समूह में हरियाणा और पंजाब के उनके आयुवर्ग के सात अन्य भारतीय शामिल थे जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. जेल से छूटने के बाद उनकी राजनीतिक शरण का आवेदन अब भी विचाराधीन है. इस प्रक्रिया में कई वर्ष लग सकते हैं.

दीवार फांद कर पहुंचे थे अमेरिका
मेक्सिको से गुरकृपा समेत सात लोगों को टेक्सास की अमेरिकी सीमा तक पहुंचाया गया जहां उन्होंने अपने पासपोर्ट और मोबाइल फोन फेंकने के बाद करीब पांच फुट ऊंची दीवार कूदकर अमेरिकी धरती पर कदम रखा. यहां अमेरिकी सीमा गश्त अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अंग्रेजी नहीं जानने के कारण अधिकारियों ने इन लोगों से सचिन तेंदुलकर, शाहरुख खान आदि के बारे में बात की. इसके बाद उन्हें टेक्सास की एक जेल में ले जाया गया. गुरकृपा ने कहा कि वह कुल 22 दिन जेल में रहा.

छूटने के लिए गढ़ी गयी झूठी कहानी
पंजाबी और हिंदी बोलने वाले गुरकृपा ने कहा कि उन्होंने न्यायाधीश से कहा कि वह भारत से इसलिए आया क्योंकि उन्हें भारतीय अधिकारियों के हाथों ‘राजनीतिक दमन’ का डर था. उन्होंने कहा कि मुझे जज को यही कहानी बताने को कहा गया था. उनके एजेंट ने उन्हें 2.5 लाख रुपये में एक अटार्नी की सेवाएं लेने में मदद की. जज ने उनकी बातों से सहमत होकर उन्हें 15 लाख रुपये के बांड पर रिहा कर दिया. फिर पांच लाख में जमानतदार का इंतजाम हुआ. गुरकृपा 28 जून को सीटल जेल से रिहा हुआ.

माता-पिता को पैसे भेजने का कर रहे इंतजार
रिहा होने के बाद उन्हें रोजगार कार्ड मिल गया जिसका हर साल नवीनीकरण कराना होगा. इस कार्ड से वह काम कर सकते हैं. इसके तुरंत बाद गुरकृपा ने श्रमिक परमिट के लिए आवेदन कर दिया. किराने की दुकान का मालिक उन्हें दस डॉलर प्रति घंटा (650 रुपये) देता है. वह अपने पहले वेतन का इंतजार कर रहे हैं ताकि कुछ धन भारत में रह रहे माता पिता को भेजा जा सके.

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