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सिर्फ फिल्म जगत में नहीं दूसरी जगहों पर भी हो रहे हैं यौन उत्पीड़न : आमिर खान

नयी दिल्ली : यौन उत्पीडन के तमाम बडे मामलों के बीच हिन्दी फिल्मों के अभिनेता आमिर खान का मानना है कि इस लिंगभेद संबंधी सामाजिक दिक्कत को दूर करने के लिए लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कलाकार और रचनात्मक क्षेत्र के लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. महिला सशक्तिकरण को अपनी […]

नयी दिल्ली : यौन उत्पीडन के तमाम बडे मामलों के बीच हिन्दी फिल्मों के अभिनेता आमिर खान का मानना है कि इस लिंगभेद संबंधी सामाजिक दिक्कत को दूर करने के लिए लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कलाकार और रचनात्मक क्षेत्र के लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

महिला सशक्तिकरण को अपनी फिल्मों दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार का विषयवस्तु बनाने वाले आमिर खान का मानना है कि यह सारा मसला सीधे तौर पर पितृसत्ता से जुडा हुआ है. हार्वी वेंस्टिन वाले मामले के संबंध में सवाल करने पर अभिनेता ने कहा, मुझे लगता है कि, आपका लिंग चाहे कोई भी हो, यौन उत्पीडन किसी के साथ होने वाली बहुत दुखद घटना है. यौन उत्पीडन गलत है. उनका कहना है कि ऐसे मामले ना सिर्फ फिल्म जगत में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी हो रहे हैं.
फिल्हाल थाईलैंड में ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान की शूटिंग कर रहे आमिर ने साक्षात्कार में कहा, मुझे लगता है कि लोग जिसके साथ चाहें, रोमांटिक संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन आप किसी को अपने साथ शारिरीक संबंध बनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. ऐसा सिर्फ फिल्मों में नहीं होता है, यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होता है. आमिर खान का कहना है कि यौन उत्पीडन को सिर्फ किसी अलग-थलग मुद्दे के रुप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि यह समाज की रुपरेखा तय करने वाली लिंगात्मक भूमिकाओं से जुडा है.
अभिनेता का मानना है कि रचानात्मक लोग ऐसे दृष्टिकोण में बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.उन्होंने कहा, यह बडे मुद्दे से जुडा हुआ है. ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में, यह पितृसत्तात्मक सोच कि पुरुष ज्यादा शक्तिशाली हैं और ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, यह चीजों को कई ओर ले जाती है. यौन उत्पीडन उनमें से एक है. अभिनेता-सह-निर्माता का मानना है कि कलाकार लोगों के विचार बनाने बदलने में मददगार हो सकते हैं. आमिर का कहना है, रचनात्मक लोगों की भूमिका ऐसी है कि वह पुरुषों और महिलाओं को इस रुप में पेश करें कि लोग इससे सही दिशा में प्रभावित हों। मुझे लगता है कि इसमें हमारी भी जिम्मेदारी बनती है.

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