34.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

आरबीआइ पर अकारण विवाद

डॉ अश्वनी महाजन एसोसिएट प्रोफेसर, डीयू ashwanimahajan@rediffmail.com भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के निदेशक मंडल द्वारा गठित बिमल जालान समिति द्वारा दिये गये सुझावों के अंतर्गत बैंक ने 1.76 लाख करोड़ रुपये भारत सरकार को हस्तांतरित कर दिये हैं. अक्तूबर 2018 में आरबीआइ के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि रिजर्व बैंक द्वारा […]

डॉ अश्वनी महाजन

एसोसिएट प्रोफेसर, डीयू

ashwanimahajan@rediffmail.com

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के निदेशक मंडल द्वारा गठित बिमल जालान समिति द्वारा दिये गये सुझावों के अंतर्गत बैंक ने 1.76 लाख करोड़ रुपये भारत सरकार को हस्तांतरित कर दिये हैं. अक्तूबर 2018 में आरबीआइ के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि रिजर्व बैंक द्वारा उसकी आरक्षित निधि को सरकार को हस्तांतरित करना अत्यंत खतरनाक होगा. इस बयान के बाद मीडिया और विपक्षी दलों ने सरकार द्वारा रिजर्व बैंक पर निग्रह हस्तांतरिक करने हेतु दबाव के आरोप लगाये थे.

इस संदर्भ में एक प्रसांगिक सवाल यह है कि रिजर्व बैंक के लाभों अथवा संचित लाभों पर आखिर किसका अधिकार है?

भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम (आरबीआइ एक्ट) के अनुसार, आरबीआइ को पांच करोड़ रुपये का रिजर्व फंड बनाना था. रिजर्व बैंक की ‘बैलेंस शीट’ बनाने का अधिकार बैंक के निदेशक मंडल के पास है, हालांकि बोर्ड को इसके लिए केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी होगी. कुछ साल पहले रिजर्व बैंक निदेशक मंडल ने आरबीआई एक्ट की धारा 47 के तहत अपनी संपत्ति के मूल्य में उथल-पुथल से निपटने और अपनी अप्रत्याशित जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से एक ‘ऑपरेशनल रिजर्व एवं रिवैल्यूएशन एकाउंट’ बनाया. इसके तहत जून 2018 तक रिजर्व बैंक के पास कुल संचित भंडार 9.63 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो उसकी संपत्ति का लगभग 28 प्रतिशत था. दुनियाभर में किसी भी केंद्रीय बैंक के पास आनुपातिक रूप से इतना बड़ा फंड नहीं है.

केंद्रीय बैंक कोई साधारण बैंक नहीं होता. जहां सामान्य बैंकों के साथ जोखिम होता है, केंद्रीय बैंक के साथ यह जोखिम नगण्य होता है. इसलिए किसी भी केंद्रीय बैंक के लिए संचित भंडार यानी रिजर्व की आवश्यकता लगभग नगण्य होती है. इसलिए किसी केंद्रीय बैंक के रिजर्व हेतु वाणिज्यिक बैंकों के लिए निर्धारित मानदंड लागू नहीं किये जा सकते.

दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों के मुनाफे को उनकी सरकारों को हस्तांतरित कर दिया जाता है. यानी कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आरबीआई का अपने लाभों और संचित लाभों पर कोई अधिकार नहीं है. हालांकि, बिना वैधानिक मंजूरी के रिजर्व बैंक के भंडार बहुत ज्यादा बढ़ गये हैं, लेकिन इन भंडारों का अचानक केंद्र सरकार को हस्तांतरण कठिनाई उत्पन्न कर सकता है, लेकिन इसकी समय सीमा और हस्तांतरण की प्रक्रिया पर चर्चा जरूरी है.

विरल आचार्य ने यह शिकायत की थी कि रिजर्व बैंक पर जो आरक्षित निधि को हस्तांतरित करने का दबाव बनाया जा रहा है, उसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं. इस संबंध में अर्जेंटीना का उदाहरण भी दिया गया था.

जहां तक दोनों देशों के वित्तीय प्रबंधन का सवाल है, भारत और अर्जेंटीना के बीच बहुत अंतर है. अर्जेंटीना ने विदेशी ऋणों के पुनर्भुगतान में कई बार चूक की है, इसलिए उसकी क्रेडिट रेटिंग बहुत कम है. जहां तक कानून का सवाल है, रिजर्व बैंक के मुनाफे पर केंद्र सरकार का ही अधिकार होता है. इसके अलावा रिजर्व बैंक को आरक्षित निधि बनाने हेतु केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं थी. बैंक का निदेशक मंडल इन भंडारों के उपयोग हेतु नियम बनाने में भी विफल रहा. रिजर्व बैंक की 2015 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि रिजर्व बैंक का निदेशक मंडल इक्विटी पूंजी के लिए ढांचा बनायेगा, जो नहीं बनाया गया.

जब केंद्र सरकार के लिए रिजर्व बैंक के आरक्षित निधि के हस्तांतरण के संबंध में बहस विवाद के रूप में बदल गयी, तो रिजर्व बैंक का आर्थिक पूंजी ढांचा यानी इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) की समीक्षा करने हेतु रिवर्ज बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर, 2018 को एक छह सदस्ययी समिति का गठन किया गया.

वित्त मंत्रालय ने यह इच्छा जाहिर की थी कि रिजर्व बैंक इस संबध में उच्चतम वैश्विक परंपराओं का पालन करे और सरकार को अधिशेष हस्तांतरित किया जाये. वित्त मंत्रालय का यह विचार था कि रिजर्व बैंक द्वारा अपनी सकल संपत्ति के 28 प्रतिशत के बराबर का अधिशेष रखना, 14 प्रतिशत के वैश्विक मानदंड से काफी ज्यादा था. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर पूर्व में तीन समितियां अपनी राय दे चुकी हैं. साल 1997 में वी सुब्रमण्यम, 2004 में उषा थोराट और 2013 में वाईएच मालेगांव समितियों ने अपनी राय दी थी.

जहां सुब्रमण्यम समिति ने 12 प्रतिशत आकस्मिक रिजर्व बनाने की सफारिश की थी, थोराट समिति ने इससे अधिक 18 प्रतिशत का सुझाव दिया था. रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने तब थोराट समिति की सिफारिश को लागू नहीं किया और सुब्रमण्यम समिति की सिफारिशें ही जारी रखी.

बिमल जालान समिति ने उल्लेख किया है कि केंद्रीय बैंक के संचालन के दौरान कभी-कभार सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मतभिन्नता हो सकती है.

लेकिन, इस संबंध में सरकार और रिजर्व बैंक के उद्देश्यों में हमेशा सामंजस्य बनाये रखने की जरूरत होगी. जब रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का निर्णय ले लिया, तब रिजर्व बैंक की तरफ से इस बहस पर रोक लग गयी. लेकिन, इसके बावजूद मीडिया और राजनीतिक दलों में बहस जारी है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के अधिशेष को लूट लिया है. इन बातों में कोई दम नहीं है. इस बहस में संलग्न लोग या तो वास्तविकताओं से अनजान हैं या जानना नहीं चाहते.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें