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वैश्विक सूचकांकों में भारत

सतीश सिंह आर्थिक विशेषज्ञ singhsatish@sbi.co.in जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा हर साल वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक जारी किया जाता है. वर्ष 2019 के सूचकांक में भारत 58वें स्थान से 10 स्थान फिसलकर 68वें पायदान पर आ गया है. इस साल सभी सूचकांकों में भारत का औसत स्कोर 100 में 61.4 रहा, जो पिछले साल […]

सतीश सिंह

आर्थिक विशेषज्ञ

singhsatish@sbi.co.in

जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा हर साल वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक जारी किया जाता है. वर्ष 2019 के सूचकांक में भारत 58वें स्थान से 10 स्थान फिसलकर 68वें पायदान पर आ गया है. इस साल सभी सूचकांकों में भारत का औसत स्कोर 100 में 61.4 रहा, जो पिछले साल के 62.1 से कम है. कहा जा रहा है कि बुनियादी ढांचा, संस्थानों, स्वास्थ्य, वित्तीय बाजार, संचार और प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, नवोन्मेष, श्रम बाजार आदि मानकों पर इस साल भारत ने पिछले साल की तुलना में खराब प्रदर्शन किया है.

वैसे, कुछ क्षेत्रों जैसे, कॉरपोरेट गवर्नेंस में भारत ने 15वां स्थान हासिल किया है, जबकि शेयर होल्डर गवर्नेंस में दूसरा और बाजार आकार के मामले में तीसरा स्थान पाया है. नवोन्मेष के मामले में भारत 35वें स्थान पर है, जो अधिकतर विकासशील देशों से बेहतर है. परिवहन और विद्युत जैसे बुनियादी क्षेत्र में विगत दो सालों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. विद्युतीकरण की दर वर्ष 2017 में करीब 90 प्रतिशत रही, जो 2015 की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक है.

डब्ल्यूईएफ द्वारा जारी सूचकांक में भारत को ब्राजील के साथ ब्रिक्स देशों की सूची में सबसे खराब प्रदर्शन करनेवाली अर्थव्यवस्था बताया गया है. ब्रिक्स देशों में भारत, चीन से 40 स्थान पीछे रहा है. चीन ने वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक में 28वां स्थान हासिल किया है. इस सूची में ब्राजील 71वें स्थान पर है, जबकि रूस का 43वां है. दक्षिण अफ्रीका 60वें स्थान पर है. पाकिस्तान 110वें, श्रीलंका 84वें, बांग्लादेश 105वें और नेपाल 108वें स्थान पर है. कई छोटे देशों का स्कोर भारत के स्कोर के आसपास रहा है. सिंगापुर ने अमेरिका को पीछे छोड़कर रैकिंग में पहला स्थान हासिल किया है, जबकि अमेरिका दूसरे, हांगकांग तीसरे, नीदरलैंड चौथे और स्विट्जरलैंड पांचवें स्थान पर है.

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है और भारतीय बैंकिंग प्रणाली कमजोर हुई है. हालांकि, वृहद आर्थिक स्थायित्व के मामले में भारत 43वें स्थान पर है, जबकि 2018 में यह 49वें स्थान पर था. हालांकि, आर्थिक स्थायित्व के मामले में भारत के प्रदर्शन में जो उछाल आया है, उस पर सवाल उठाये जा रहे हैं, क्योंकि जानकार लोग सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की संभावना पर संदेह जता रहे हैं. सरकार ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है.

मुद्रास्फीति को काबू में रखने की वजह से वृहद आर्थिक स्थायित्व के मोर्चे पर भारत को बढ़त मिली है. इस मोर्चे पर शत-प्रतिशत अंक हासिल करनेवाले देशों में भारत शीर्ष पर रहा है. वित्तीय क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन विगत वर्ष की तुलना में खराब रहा है और वह 2018 के 35वें स्थान से फिसलकर 40वें स्थान पर आ गया है. हालांकि, डब्ल्यूईएफ ने कहा कि कर्ज भुगतान में चूक दर अधिक होने के बावजूद भारत का वित्तीय क्षेत्र में प्रदर्शन सुदृढ़ और स्थिर है.

बाजार दक्षता के मामले में भारत ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है. इस क्षेत्र में पिछले साल की 110वीं रैंकिंग में सुधार करते हुए भारत ने 101वां स्थान हासिल किया है. संस्थानों के संदर्भ में भारत 112वें स्थान से लुढ़क कर 114वें स्थान पर आ गया है. सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी को अपनाने की गति के मामले में भारत का प्रदर्शन खराब रहा है. प्रशासन के संबंध में भारत ने 59वां स्थान हासिल किया है.

भारत को अपनी कुशलता बढ़ाने की जरूरत है. इस क्षेत्र में भारत ने 107वां स्थान हासिल किया है. जीवन प्रत्याशा के मामले में भारत 109वें स्थान पर है. इस मामले में भारत एशियाई देशों में सबसे निचले स्तर पर है. तकनीक अपनाने, लैंगिक असमानता (पुरुष कामगारों के मुकाबले महिलाओं का अनुपात 0.26 होने) आदि को कदापि अच्छा नहीं माना जा सकता है. इस क्षेत्र में भारत 128वें पायदान पर है.

कहा जा सकता है कि डब्ल्यूईएफ द्वारा जारी 2019 के सूचकांक के अनेक क्षेत्रों में भारत ने उम्दा प्रदर्शन किया है. आज वैश्विक स्तर पर मंदी की स्थिति है. फिर भी मुद्रास्फीति को काबू में रखने में भारत सफल रहा है. वित्तीय क्षेत्र में भारत पांच स्थान फिसल गया है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में उसकी वित्तीय स्थिति अपेक्षाकृत ज्यादा सुदृढ़ और स्थिर है. वृहद आर्थिक स्थायित्व के मामले में भी भारत ने छह स्थानों का सुधार किया है. बुनियादी क्षेत्रों के दो महत्वपूर्ण स्तंभों परिवहन और विद्युतीकरण के क्षेत्र में भारत ने काफी सुधार किया है. इसके अलावा कॉरपोरेट गवर्नेंस में भारत ने 15वां स्थान हासिल किया है, जबकि शेयर होल्डर गवर्नेंस में उसे दूसरा स्थान मिला है.

कुछ क्षेत्रों, जैसे कौशल निर्माण, कारोबार में खुलापन, लैंगिक असमानता, मजदूरों के अधिकारों का संरक्षण, जीवन प्रत्याशा, बैंकिंग आदि क्षेत्रों में भारत को सुधार करने जरूरत है. हालांकि, इन क्षेत्रों में भारत पहले से ही सुधारात्मक कदम उठा रहा है.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, कारोबारी सुगमता बढ़ाने की पहल और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ समेत 10 योजनाओं का सरकार द्वारा संचालन, श्रम सुधार की पहल, आयुष्मान भारत योजना और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाये हैं. ऐसे में, यह माना जा रहा कि डब्ल्यूईएफ की आगामी रिपोर्ट में भारत के प्रदर्शन में निश्चित रूप से बेहतर सुधार होगा.

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