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आराधना के साथ पर्युषण महापर्व का समापन

नवादा : जैन धर्मावलंबियों के आत्मशोधन का दस दिवसीय महापर्व पर्युषण यानी 10 लक्षण पर्व हर्षोल्लास के साथ भक्तिमय माहौल में संपन्न हो गया. इस महापर्व के दसवें एवं अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने 10 लक्षण धर्म के दशम एवं अंतिम स्वरूप उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की विशेष आराधना की. शहर के दो प्रमुख जैन मंदिरों में […]

नवादा : जैन धर्मावलंबियों के आत्मशोधन का दस दिवसीय महापर्व पर्युषण यानी 10 लक्षण पर्व हर्षोल्लास के साथ भक्तिमय माहौल में संपन्न हो गया. इस महापर्व के दसवें एवं अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने 10 लक्षण धर्म के दशम एवं अंतिम स्वरूप उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की विशेष आराधना की. शहर के दो प्रमुख जैन मंदिरों में इस पर्व को लेकर जैन धर्मावलंबियों में काफी उत्साह देखने को मिला. दोनों मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धा के साथ लोग त्योहार के अंतिम दिन पूजा-अर्चना करने की होड़ लगी रही.

दीपक जैन ने बताया चर्य का महत्व : जैनियों के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी की निर्वाण भूमि नवादा स्थित श्री गोणावां जी दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र पर समाजसेवी दीपक जैन ने कहा कि ब्रह्म एवं चर्य का योग है ब्रह्मचर्य.
ब्रह्म का अर्थ होता है आत्मा एवं चर्य का अर्थ होता है रहना अर्थात अपनी आत्मा में रहना. ब्राह्मणी आत्मनि चरितीति ब्रह्मचार्यहः, यानि ब्रह्मस्वरूप आचरण कर आत्मा में लीन हो जाना ब्रह्मचर्य धर्म है. इस दौरान श्रद्धालुओं ने कुत्सित व्यसनों से बचने का संकल्प लिया.
मौके पर रमेश चंद जैन, राजेश जैन, विनोद जैन गर्ग, अशोक कुमार जैन, आकाश जैन, महेश जैन, अजितेश जैन, अशोक कुमार जैन, विमल जैन, सोनू जैन, शुभम जैन, मुकेश जैन टिंकू, लक्ष्मी जैन, सुनीता जैन, श्रुति जैन, श्रेया जैन, शीला जैन, अनिता जैन, ममता जैन, सरिता जैन, वीणा जैन, खुशबू जैन, केतमती देवी जैन सहित अन्य श्रद्धालुओं शामिल थे.
तन के राग का करें त्याग : संतोष : ब्रह्मचारी संतोष भैया ने कहा कि इस संसार के इंद्रियों के विषय और बुरी आदतों के साथ तन के राग का त्याग कर अपनी ब्रह्म स्वरूप आत्मा में रमण करना ही उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म है. ब्रह्मचर्य धर्म के पालन से शरीर दर्द एवं ज्ञान की वृद्धि होती है.
ब्रह्मचर्य में शिक्षा सिखाता है, उन परी ग्रहों का त्याग करना जो हमारे भौतिक संपर्क से जुड़ी हुई है. ब्रह्म जिसका मतलब आत्मा और चरिया मतलब रखना इसको मिलाकर ब्रह्मचर्य शब्द बना है. ब्रह्मचर्य का मतलब अपनी आत्मा में रहना है. इस दौरान पूजन के बाद निर्माण कांड का सामूहिक उच्चारण कर मोक्ष के प्रतीक स्वरूप निर्माण लड्डु चढ़ाया गया.
शांतिनाथ भगवान के प्रथम कलश करने का सौभाग्य मानिक चंद गंगवाल एवं दूसरे कलश करने का अवसर विनोद काला एवं 100 धर्म इंद्र बनने का सौभाग्य रौनक काला को, महेंद्र इंद्र बनने का अवसर मनोज जैन को, कुबेर इंद्र बनने का सौभाग्य संजय जैन को एवं यज्ञ नायक बनने का सौभाग्य विजय जैन एवं उनके परिवार को मिला. अखंड दीप महिला मंडल के द्वारा जलाया गया एवं वासु पूज्य भगवान के प्रथम निर्माण लड्डु गोदर मल जी, विनोद कुमार जी काला परिवार के द्वारा चढ़ाया गया.
मौके पर भीम राज जैन, अभय जैन, जय कुमार जैन, मुकेश बडजात्या, अनिल गंगवाल, अशोक गंगवाल, विकास काला, निशांत बड़जात्या, सुरेश काला, अभिषेक जैन, प्रभात जैन, विवेक जैन, संदीप जैन, आलोक जैन एवं महिलाओं में संतोष जैन, ममता जैन, मीना जैन, सरोज जैन, सुनीता जैन, सपना जैन, रीता जैन, मंजू जैन, आशा जैन, गीता जैन, नेहा जैन, मधु जैन, विनीता जैन, नीतू जैन, राजुल जैन, स्वीटी जैन तथा सुनीता बड़जात्या आदि शामिल थे.

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