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प्लेटफाॅर्म पर यात्री सुविधाओं का अभाव

नवादा नगर : नवादा रेलवे स्टेशन पर अपनी प्यास बुझाने के लिए 15 से 20 रुपये खर्च करनेवाले यात्रियों को भी शुद्ध पानी पीने को नहीं मिल रहा है. यहां का हाल यह है कि रेलवे प्रशासन के सामने लोकल स्तर पर तैयार पानी की बोतलें यात्रियों को बेची जा रही हैं़ रेलवे स्टेशन पर […]

नवादा नगर : नवादा रेलवे स्टेशन पर अपनी प्यास बुझाने के लिए 15 से 20 रुपये खर्च करनेवाले यात्रियों को भी शुद्ध पानी पीने को नहीं मिल रहा है. यहां का हाल यह है कि रेलवे प्रशासन के सामने लोकल स्तर पर तैयार पानी की बोतलें यात्रियों को बेची जा रही हैं़ रेलवे स्टेशन पर गाड़ी खड़ी होते ही हाथों में बाल्टी लिए ठंडा, आइसक्रीम व पानी की बोतलें बेचनेवाले अवैध वेंडरों का शोर ट्रेन की बोगियों में सुनायी देने लगती है. प्लेटफाूर्म और ट्रेन की बोगियों में उन्हीं वेंडरों की मनमानी चलती है.

ग्राहक रेल नीर की डिमांड करते रहे जाते हैं, लेकिन उन्हें मजबुरी में लोकल बोतलबंद पानी ही 15 से 20 रुपये में खरीदना पड़ता है. रेलवे के द्वारा स्टेशन पर एक बुकस्टॉल सह जेनरल शॉप की दुकान को लाइसेंस मिला हुआ है. लेकिन, अवैध वेंडर ही पूरे स्टेशन पर तरह-तरह के खाने-पीने के सामान बेचते दिखते हैं.

अधिकारियों के आने के समय दिखती है सख्ती
रेलवे प्रशासन द्वारा वरीय अधिकारियों के विजिट के समय प्लेटफाॅर्म व बाहरी हिस्से में अवैध रूप से लगायी गयी दुकानें व गुमटियों को हटा लिया जाता है, लेकिन जैसे ही अधिकारी जाते हैं, पुरानी स्थिति दोबारा बरकरार हो जाती है़ रेलवे स्टेशन की सफाई व अन्य सुविधाओं को बढ़ाने की बात अधिकारी द्वारा कही जा रही है़ लेकिन ,इसका असर धरातल पर नहीं दिखता है.
दोहरीकरण व विद्युतीकरण में आयी तेजी
गया-किऊल रेलखंड का विद्युतीकरण व दोहरीकरण पर लगभग 1500 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. गया से तिलैया व नवादा तक विद्युतीकरण पूरा हो गया है. शेष स्थानों पर नया पोल गाड़ने व तार लगाया जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार इस साल के अंत तक पूर्ण रूप से विद्युतीकरण का काम पूरा हो जायेगा. इलेक्ट्रिक लाइन होने से यात्रियों को कम समय में अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने में सुविधा होगी. जबकि 2020 तक दोहरीकरण भी पूरा कर लिया जायेगा. डीआरएम के हाल के दौरे में उन्होंने कहा था कि इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा होने पर ईएमयू गाड़ियां इस रूट में शुरू कर दी जायेंगी जबकि रेलवे पटरियों की दोहरीकरण से रूट में बड़ी दूरी की गाड़ियां चलनी शुरू हो जायेंगी. वारिसलीगंज के आगे तक इलेक्ट्रिक तार बिछाने का काम पूरा हो गया है.
घड़े के पानी से मिलेगी राहत, रहेंगे स्वस्थ भी
स्वास्थ्य के साथ कारीगर भी रहेगा खुशहाल
फ्रिज का पानी लगातार पीने से होंगे नुकसान
मिट्टी के घड़े बनाने में जितनी मेहनत और खर्च है, उसकी मजदूरी भी नहीं मिल पाती है. बिहार में मिट्टी के बर्तनों के कारीगरी का कोई मोल नहीं है. इसकेनिर्माण में जितनी मेहनत और समय लगता है उस हिसाब से मोल नहीं मिल पाता है. इससे कुम्हार जाति इसे दामन छुड़ाने लगे हैं. एक दिन में पूरे परिवार द्वारा कड़ी मेहनत के बाद मात्र 15 घड़े ही बना पाते हैं. मार्केट में एक घड़े की कीमत मात्र 110 रुपये है. नवादा में सुराही की मांग नहीं रहने से इसका निर्माण कम हो गया है.
जयराम पंडित गोंदापुर
स्टेशन पर टंकी का पानी गर्म रहता है. मजबूरी में बोतल वाला पानी पीना पड़ता है. रेल नीर के बजाय लोकल मार्केट का पानी 20 रुपये में बेचा जाता है. लोगों को नुकसान होने के साथ रेलवे को भी घाटा हो रहा है़
दिलीप कुमार, नियमित यात्री

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