By Prabhat Khabar | Updated Date: Jan 14 2015 8:29PM
नयी दिल्लीः दक्षिण भारत के प्रख्यात लेखक पेरुमल मुरुगन अपनी किताब के विरोध से इतना खफा हो गए हैं कि उन्होंने लिखना बंद कर दिया है. यही नहीं, अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि उनकी मौत हो गई है. पेरुमल मुरुगन ने सोमवार रात को अपनी फेसबुक वॉल पर एक सूइसाइड नोट लिखा. इस नोट में उन्होंने लिखा कि "लेखक पी मुरुगन की मौत हो चुकी है. वह भगवान नहीं है. वह फिर नहीं आएगा. इसलिए अब सिर्फ पी मुरुगन, एक शिक्षक जिंदा है."
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, मुरुगन ने यह किताब 2010 में लिखी थी. कोंगू वेल्लाला गाउंडर समुदाय के लोगों ने उनकी किताब का विरोध किया है. समुदाय का कहना है कि किताब के जरिए उनके समुदाय की महिलाओं का अपमान किया है और हिंदू धर्म को नीचा दिखाया है.
नोट में उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया गया है जिन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी और उनके उपन्यास का समर्थन किया है. नोट में पब्लिशर्स से अपील की गई है कि वह उनके उपन्यास को न बेचें, साथ ही वादा किया गया है कि उनके घाटे की भारपाई की जाएगी. साथ ही उन्होंने धार्मिक, जातिगत और राजनीतिक समूहों से अपील की है कि वे अपना विरोध-प्रदर्शन खत्म कर दें क्योंकि उपन्यास की सभी प्रतियां वापस ले ली गई हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले मुरुगन की 2010 में आई तमिल किताब माथोरुभागन को लेकर काफी विवाद हुआ था. कोंगू वेल्लाला गाउंडर समुदाय के लोगों ने उनकी किताब का विरोध किया था. इस समुदाय का कहना था कि किताब के जरिए उनके समुदाय की महिलाओं का अपमान किया है और हिंदू धर्म को नीचा दिखाया है.