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एनीमिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने की पहल

बिहारशरीफ : केंद्र सरकार द्वारा एनीमियामुक्त भारत कार्यक्रम को लेकर स्कोर कार्ड जारी किया गया है. इसमें बिहार जहां वर्ष 2018-19 में पूरे देश में एनीमिया रोकथाम में 21 वें पायदान पर था. वहीं कार्यक्रम के शुरू होने के केवल पांच महीने बाद ही यानी दिसंबर, 2019 में 15वें पायदान पर पहुंच गया है. स्वास्थ्य […]

बिहारशरीफ : केंद्र सरकार द्वारा एनीमियामुक्त भारत कार्यक्रम को लेकर स्कोर कार्ड जारी किया गया है. इसमें बिहार जहां वर्ष 2018-19 में पूरे देश में एनीमिया रोकथाम में 21 वें पायदान पर था. वहीं कार्यक्रम के शुरू होने के केवल पांच महीने बाद ही यानी दिसंबर, 2019 में 15वें पायदान पर पहुंच गया है. स्वास्थ्य के कई मानकों में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले राज्यों में शुमार केरल एवं तेलंगाना जैसे अन्य राज्य बिहार से निचली पायदान पर हैं, जो राज्य की एक अहम उपलब्धि मानी जा सकती है.

जनजागरूकता से बदलेगी तस्वीर
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अवधेश कुमार ने बताया कि एनीमिया एक लोक स्वास्थ्य समस्या है. इसमें एनीमियामुक्त भारत कार्यक्रम अहम भूमिका अदा कर रहा है. इसलिए इस कार्यक्रम के प्रति लोगों में जागरूकता महत्वपूर्ण है. जिले में कार्यक्रम के तहत विभिन्न आयु वर्ग के छह समूहों को चिह्नित किया गया है.
इसमें छह माह से 59 माह तक के बालक एवं बालिकाओं के लिए हफ्ते में दो बार ऑटोडिस्पेंसर की मदद से एक मिलीलीटर दवा दी जाती है. वहीं पांच वर्ष से नौ माह तक के बच्चों को हफ्ते में एक गुलाबी गोली एवं 10 से 19 वर्ष के किशोर एवं किशोरों को सप्ताह एक गुलाबी गोली प्रत्येक बुधवार को स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाती है.
साथ ही 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएं (जो गर्भवती अथवा धात्री न हो) को हफ्ते में एक लाल गोली, गर्भवती माताओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से 180 दिनों तक की खुराकें एवं धात्री माताओं को प्रसव के बाद 180 दिनों तक वीएचएसएनडी स्थल पर आयरन की गोली दी जाती है.
आने वाले समय में बेहतर प्रदर्शन की संभावना
एनीमिया का खतरा प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को रहता है. इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत बच्चों से लेकर धात्री माताओं तक के विभिन्न आयु वर्ग की छह समूहों के लिए एनीमियामुक्त भारत कार्यक्रम की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा की गयी है. बिहार में 31 जुलाई, 2019 को इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी.
क्या कहते हैं आंकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 4 (2015-16) के अनुसार जिले में पांच वर्ष से कम आयु के 59 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं और जिले की 15 से 49 वर्ष की 51.2 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं.

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