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मुजफ्फरपुर आश्रय गृहकांड :‘कोशिश’ को पीड़ितों से बात की अनुमति

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज (टीआइएसएस) की कार्य परियोजना ‘कोशिश’ को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन हिंसा मामले की पीड़ितों और उनके परिजनों से बातचीत करने की अनुमति दे दी, ताकि वह उनके पुनर्वास की योजना तैयार कर सके. टीआइएसएस की रिपोर्ट से ही बिहार के मुजफ्फरपुर में एक गैर […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज (टीआइएसएस) की कार्य परियोजना ‘कोशिश’ को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन हिंसा मामले की पीड़ितों और उनके परिजनों से बातचीत करने की अनुमति दे दी, ताकि वह उनके पुनर्वास की योजना तैयार कर सके.
टीआइएसएस की रिपोर्ट से ही बिहार के मुजफ्फरपुर में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित आश्रय गृह में अनेक लड़कियों के यौन शोषण का मामला सुर्खियों में आया था. शीर्ष अदालत को केंद्र ने सूचित किया कि वह बच्चों के यौनशोषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के इरादे से चार से छह महीने के भीतर ही बाल संरक्षण नीति को अंतिम रूप दे देगा. न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार सरकार के एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान टिस को यह अनुमति प्रदान की.
राज्य सरकार ने बच्चों को परिजनों को सौंपने की अनुमति मांगी
राज्य सरकार ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह के 44 बच्चों को उनके परिवारों को सौंपने की अनुमति मांगी है. बिहार सरकार के वकील ने कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह के बच्चों को इस समय अलग-अलग बाल देखरेख संस्थाओं में रखा गया है. वकील ने कहा कि वे (कुछ बच्चे) महसूस करते हैं कि वे बंधक हैं और उन्हें ज्यादा संरक्षण वाले माहौल में रखा गया है. उन्होंने इन संस्थाओं से भागने के भी प्रयास किये हैं.

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