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कहीं देर से आते हैं शिक्षक, तो कहीं समय से पढ़ाई नहीं

सरकारी स्कूल. गुरुजी गप हांकने में व्यस्त, बच्चे उछलकूद में मस्त, शिक्षा व्यवस्था चौपट, विभाग उदासीन मुजफ्फरपुर : सरकारी स्कूलों की व्यवस्था कैसी है? स्कूलों में उपस्थिति कैसी है? शिक्षक समय पर आते हैं या नहीं? इसकी पड़ताल के लिए प्रभात खबर की टीम ने शहर के कुछ सरकारी स्कूलों का जायजा लिया. लगभग सभी […]

सरकारी स्कूल. गुरुजी गप हांकने में व्यस्त, बच्चे उछलकूद में मस्त, शिक्षा व्यवस्था चौपट, विभाग उदासीन

मुजफ्फरपुर : सरकारी स्कूलों की व्यवस्था कैसी है? स्कूलों में उपस्थिति कैसी है? शिक्षक समय पर आते हैं या नहीं? इसकी पड़ताल के लिए प्रभात खबर की टीम ने शहर के कुछ सरकारी स्कूलों का जायजा लिया. लगभग सभी स्कूलों में अव्यवस्था दिखी. कहीं शिक्षक गप्पे मारने में व्यवस्त दिखे, तो कहीं बच्चे खेलने में मस्त. कहीं शिक्षक समय पर उपस्थित नहीं दिखे, तो कहीं धूप सेंकते दिखे. यह हाल शहर के स्कूलों का है, जो शिक्षा व्यवस्था का सच बता रहे हैं. खास बात यह कि जब शहरी क्षेत्र के स्कूलों में इस तरह लेटलतीफी चल रही है, तो ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में क्या हाल होगा. सरकार व विभाग की ओर से शिक्षकों के नियमित
स्कूल आने और पढ़ाने के लिए फरमान जारी किया जा रहा है, लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा. तभी तो सुबह स्कूल खुलने के घंटों बाद तक पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त रहती है. बच्चे और शिक्षक आते भी है, तो पढ़ाई की बजाय खेलकूद और बतियाने में ही घंटों का समय निकल जाता है. विभागीय अधिकारियों की ओर से नियमित निरीक्षण नहीं होने के कारण लापरवाही बढ़ती जा रही है.
समय : सुबह 10.05 बजे
प्रार्थना के लिए बच्चे कतार में खड़े थे. यहां नौ शिक्षकों की तैनाती है, जबकि प्रार्थना के समय तक केवल चार शिक्षक ही मौजूद थे. प्रार्थना के दौरान एक शिक्षिका पहुंचीं. बताया गया कि सुबह नौ बजे से स्कूल खुलने का टाइम है. हालांकि किस वजह से देर हुई, कोई शिक्षक बता नहीं सके. बाकी शिक्षक कब तक आयेंगे, या फिर नहीं आयेंगे, यह भी किसी को जानकारी नहीं थी.
समय : सुबह 10.30 बजे
कैंपस में बच्चे उछलकूद मचा रहे थे. कुछ बच्चे बरामदे में थे, तो कुछ परिसर में खेल रहे थे. वहीं कोने में कुर्सी लगाकर शिक्षिकाएं बात करने में व्यस्त दिखीं. पास में दो शिक्षिकाएं खड़ी होकर बात कर रही थीं. जैसे ही उनकी नजर अनजान लोगों पर पड़ी, अफरा-तफरी का माहौल बन गया. शिक्षिकाएं क्लास रूम की ओर भागी और बच्चे सिर पर कुर्सी लेकर पीछे से दौड़ पड़े.
समय : सुबह 10.35 बजे
एक कमरे में बच्चों की पढ़ाई हो रही थी, जबकि अन्य कमरों में कोई नहीं था. कार्यालय में कुछ शिक्षक बैठे थे, तो कुछ बाहर कुर्सी लगाकर धूप सेंक रहे थे. बच्चे इधर-उधर खेल रहे थे. जब उन्हें जानकारी हुई कि उनकी गतिविधियों पर किसी की नजर है, तो वे क्लास रूम की ओर भागे. शिक्षक तो पहले ही कमरे में पहुंच गये. पीछे से बच्चे सिर पर कुर्सी लेकर दौड़ रहे थे.
समय : सुबह 10.45 बजे
मेन गेट बंद था और अंदर छात्राएं उछलकूद मचा रही थीं. बाहर दो शिक्षिकाएं थीं, जो आपस में बात कर रही थीं. अंदर का नजारा देखकर नहीं लग रहा था कि किसी कमरे
में पढ़ाई भी हो रही हो. छात्राओं की मस्ती देखकर अंदाजा लग गया कि कोई कंट्रोल नहीं है. छात्राओं का कहना था कि जब टीचर आयेंगी तो क्लास शुरू होगा. अभी पढ़ाने वाला कोई नहीं है.

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