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बीआरए बिहार विवि में दो साल पुरानी प्रश्न पत्र, कॉपी सहित अन्य रिकॉर्ड कबाड़ में बेचने की थी तैयार, फिर…

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में दो साल पुरानी परीक्षा के प्रश्न पत्र व कॉपी सहित अन्य रिकॉर्ड कबाड़ में बेचने की तैयारी चल रही थी. जिसे छात्रों के दबाव में रोका गया. विवि की ओर से 2013 तक के बेकार हो चुके रिकॉर्ड व कॉपी बेचने का आदेश हुआ है. लेकिन, कर्मचारियों ने मनमानी […]

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में दो साल पुरानी परीक्षा के प्रश्न पत्र व कॉपी सहित अन्य रिकॉर्ड कबाड़ में बेचने की तैयारी चल रही थी. जिसे छात्रों के दबाव में रोका गया. विवि की ओर से 2013 तक के बेकार हो चुके रिकॉर्ड व कॉपी बेचने का आदेश हुआ है. लेकिन, कर्मचारियों ने मनमानी तरीके से 2014, 15 व 16 के रिकॉर्ड भी ट्रक पर लोड करा दिया. इसकी भनक लगने पर छात्र नेताओं ने ट्रक को कब्जे में लेते हुए परीक्षा विभाग के तीन कर्मचारियों को भी पकड़ लिया. उनके पास जो आदेश था, उस पर भी 2013 तक के रिकॉर्ड हटाने की बात थी. इसको लेकर छात्र नेताओं ने हंगामा किया. कर्मचारियों को लेकर परीक्षा नियंत्रक डॉ ओपी रमण के पास पहुंचे. परीक्षा नियंत्रक ने कर्मचारियों को फटकार लगाई. देर शाम मामला कुलपति डॉ अमरेंद्र नारायण यादव के पास पहुंच गया. छात्र नेता दोषी कर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे. उसके बाद छात्र वीसी के आश्वासन पर वे वापस लौट गये.

पहले भी बेच चुके हैं दो-तीन ट्रक रिकॉर्ड
छात्र नेताओं का आरोप है कि कर्मचारियों ने पहले भी दो-तीन ट्रक रिकॉर्ड बेच दिया है. उसमें क्या है, किसी को नहीं पता. एलएस कॉलेज के छात्र प्रतिनिधि ठाकुर प्रिंस ने बताया कि ट्रक पर कॉपियों का बंडल लादते देख जब पास पहुंचा, तो उस पर वर्ष 2016 तक के रिकॉर्ड दिखे. जब आदेश की कॉपी मांगी, तो उस पर 2013 तक के स्क्रैप हटाने का आदेश था . प्रिंस ने इसकी सूचना अन्य छात्र नेताओं को दी तो कुछ देर में विवि छात्र संघ अध्यक्ष बसंत कुमार सहित अन्य पहुंचे. ट्रक को कब्जे में लेकर विवि थाने के हवाले कर दिया. प्रिंस ने कहा कि मिलीभगत से छात्रों का रिकॉर्ड बेचने का खेल चल रहा है.

फेल से पास कराए गये छात्रों की भी थीं काॅपियां
विवि में एक ट्रक में पकड़ी गयी काॅपियों में पार्ट 2 (2016) में फेल से पास कराये गये छात्रों की भी काॅपियां थीं. परीक्षा नियंत्रक की जांच में मामला सामने आने के बाद अभी विवि प्रशासन इसकी जांच में ही जुटा है. विवि सूत्रों के अनुसार परीक्षा विभाग के कुछ कर्मचारी जांच पूरी होने से पहले ही काॅपियों को ठिकाना लगाना चाहते थे. क्योंकि विवि नियम के अनुसार तीन साल से पहले कोई काॅपी नहीं बेची जा सकती है. अगर इन कॉपियों को बेचना था तो 2019 में बेचा जा सकता है.

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