मुंगेर : बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर बुधवार से दवा के थौक व खुदरा दुकानदार तीन दिनों के लिए हड़ताल पर चले गये है. हड़ताल के कारण जिले के लगभग 900 दवा दुकानों में ताला लटक गया है. हालांकि एसोसिएशन ने इमरजेंसी में सदर अस्पताल के सामने वाली दवा दुकान एवं मेडिसिन हाउस बेकापुर को बंदी से मुक्त रखा.
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दवा दुकानदारों की हड़ताल शुरू, जिले के 900 दवा दुकानों में लटके ताले, मरीज हुए परेशान
मुंगेर : बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर बुधवार से दवा के थौक व खुदरा दुकानदार तीन दिनों के लिए हड़ताल पर चले गये है. हड़ताल के कारण जिले के लगभग 900 दवा दुकानों में ताला लटक गया है. हालांकि एसोसिएशन ने इमरजेंसी में सदर अस्पताल के सामने वाली दवा दुकान एवं मेडिसिन […]
जबकि सभी प्रखंड मुख्यालय में एक-एक इमरजेंसी काउंटर खोला गया. जिसकी सूची एसोसिएशन के एक शिष्टमंडल ने एसिस्टेंट ड्रग कंट्रोल से मिलकर सौंपा. इधर दवा दुकानों के बंद रहने से मरीजों एवं उसके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
दवा दुकानदारों के हड़ताल से सबसे अधिक परेशानी मरीजों व उसके परिजनों को झेलनी पड़ी. मुंगेर शहर में 300 से अधिक दवा दुकानें हैं. जबकि जमालपुर सहित सभी प्रखंडों में भी दवा की दर्जनों दुकानें है.
लेकिन हड़ताल के कारण सभी दवा दुकान बंद हो गया. अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को तो अस्पताल एवं अस्पताल के सामने दुकान खुले रहने से कुछ मदद मिला. लेकिन अधिकांश दवाईयों के लिए अस्पताल के मरीजों को इधर-उधर भटकते देखा गया.
जबकि नर्सिंग होम में इलाज कराने वालों को चोरी-छिपे दवाईयां मुहैया करायी गयी. लेकिन निजी क्लिनिक में इलाज कराने वालों को दवाई के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. हड़ताल के पहले ही दिन लोगों की परेशानी देखकर लगता है कि अगले दो दिन लोग बिना दवाई के कैसे काटेंगे.
अस्पताल रोड सहित प्रखंड मुख्यालय में खोला गया इमरजेंसी काउंटर : एसोसिएशन के पदाधिकारियों का एक शिष्टमंडल ने सहायक ड्रग कंट्रोलर से मिल कर इमरजेंसी काउंटर खोलने की सूचना दी गयी. सचिव अभिषेक बॉबी ने बताया कि मानवीय आधार पर सदर अस्पताल के समीप सभी दवा दुकानों को बंदी से मुक्त रखा गया है.
जबकि शहर के बेकापुर स्थित मेडिसीन हाउस को भी इमरजेंसी काउंटर के तौर खोल कर रखा गया है. जबकि जमालपुर, बरियारपुर, नौवागढ़ी, हवेली खड़गपुर, तारापुर, संग्रामपुर, असरगंज एवं धरहरा में भी एक-एक इमरजेंसी काउंटर खोल कर रखा गया है. ताकि मरीजों एवं उनके परिजनों को जरूरत पड़ने पर दवा उपलब्ध हो सके.
दवा के लिए भटक रहे मरीज के परिजनों की जुबानी
शहर के माधोपुर निवासी राजा कुमार ने बताया कि वह अपने पिता के लिए दवाई खरीदने घर से निकला. कहीं भी दवा दुकानें खुली नहीं मिली. उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकारी नहीं थी कि दवा दुकानदार हड़ताल पर हैं.
शहर के दवा दुकानों का चक्कर लगाने के बाद पता चला कि अस्पताल रोड में सिर्फ इमरजेंसी में दवा दुकान खुला हुआ है. वहां जाकर दवाई खरीदना पड़ा. शहर के गांधी चौक निवासी 70 वर्षीय वृद्ध विद्या सागर केसरी ने कहा कि वह अपनी पत्नी के ब्लड प्रेशर की दवाई के खरीदने के लिए कई मेडिकल दुकान पर गया.
लेकिन सभी बंद मिला. जिसके कारण वह दवा नहीं खरीद पाया. लखीसराय जिले के अभयपुर से इलाज कराने पहुंचे मरीज श्रवण कुमार ने बताया कि वह प्राइवेट डॉक्टर से दिखाने आया था. डॉक्टर ने पुर्जे पर दवाई तो लिख दिया. लेकिन दुकान बंद रहने के कारण दवा नहीं मिल सका. उन्होंने कहा कि जब हड़ताल की पूर्व सूचना है तो सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था करना चाहिए था. दवा ऐसी चीज है जिसके बिना लोगों की जान भी जा सकती है.
बंद को सफल बनाने के लिए घूमते रहे एसोसिएशन के पदाधिकारी
मुंगेर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरनाथ प्रसाद ललन एवं सचिव अभिषेक बॉबी के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने मुंगेर एवं जमालपुर में घूम-घूम कर हड़ताल में शामिल दुकानों का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि हर दुकान में एक फर्मासिस्ट रहे.
लेकिन बिहार में 5 से 6 हजार ही फर्मासिस्ट हैं. लेकिन सरकार के पास इसका कोई आंकड़ा भी नहीं है. जबकि बिहार में लगभग 52 हजार दवा की दुकानें हैं. ऐसी परिस्थिति में कहां से दुकानों में फर्मासिस्ट को लाकर रखा जायेगा.
पहले सरकार फर्मासिस्ट को बहाल करे फिर नियम को लागू करें. सरकार द्वारा नियम जारी करने के बाद विभागीय स्तर पर दवा दुकानदारों को परेशान और शोषण करने का खेल जारी हो गया है. एसोसिएशन ने कई बार सरकार से राहत देने की मांग की. लेकिन सरकार ने मांग को दरकिनार कर दिया. दुकानदारों को शोषण से बचाने के लिए ही हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है.
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