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जमालपुर में बन रहा वाष्प इंजन के आकार का ऑडिटोरियम

जमालपुर(मुंगेर) : भारतीय रेल के गौरवशाली इतिहास को संजोते हुए जमालपुर में डब्लपी स्टीम इंजन की आकृति का हेरिटेज वैल्यू वाला अत्याधुनिक ऑडिटोरियम का निर्माण हो रहा है. पूरी तरह वाष्प इंजन के स्वरूप में बननेवाली यह अनोखी बिल्डिंग यहां भारतीय रेल यांत्रिक व विद्युत अभियंत्रण संस्थान (इरिमी) परिसर में तैयार किया जा रहा है. […]

जमालपुर(मुंगेर) : भारतीय रेल के गौरवशाली इतिहास को संजोते हुए जमालपुर में डब्लपी स्टीम इंजन की आकृति का हेरिटेज वैल्यू वाला अत्याधुनिक ऑडिटोरियम का निर्माण हो रहा है. पूरी तरह वाष्प इंजन के स्वरूप में बननेवाली यह अनोखी बिल्डिंग यहां भारतीय रेल यांत्रिक व विद्युत अभियंत्रण संस्थान (इरिमी) परिसर में तैयार किया जा रहा है. इसका निर्माण रेलवे के आर्किटेक्चर यूनिट की ओर से किया जा रहा है और इस पर लगभग नौ करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.
200 रेल अधिकारियों के बैठने की होगी व्यवस्था : भारतीय रेल का यह अनोखा भवन ऑडिटोरियम के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा, जो अनेकों अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा. ऑडिटोरियम की ऊंचाई 20 मीटर की होगी, जो रेल कारखाना के शेड से भी ऊंचा होगा. ऑडिटोरियम के ऊपरी तले तक जाने के लिए लिफ्ट लगेंगे. इसके अंदर छोटा कॉन्फ्रेंस हॉल, मीटिंग रूम के अतिरिक्त एक कॉमन रूम व सर्कुलेटिंग एरिया का निर्माण किया जायेगा.
यहां लगभग 200 रेल अधिकारी एक साथ बैठ कर भारतीय रेल के उत्थान के लिए परिचर्चा कर सकेंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि इस मीटिंग या कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठने वालों को स्टीम इंजन के ब्वाॅयर में बैठने का अनुभव प्राप्त होगा. क्योंकि, डब्ल्यूपी स्टीम इंजन की प्रतिकृति वाले इस भवन में मुख्य ऑडिटोरियम इंजन के ब्वाॅयर में ही बनाया गया है.
सबसे पुराना कारखाना रहा है जमालपुर
जमालपुर की पहचान एशिया के सबसे पुराने स्टीम इंजन के कारखाने के रूप में रही है. यहां उच्च गुणवत्ता के साथ स्टीम इंजन का पीओएच किया जाता था. इसी वजह से यहां हेरिटेज वैल्यू वाले इस ऑडिटोरियम का निर्माण किया जा रहा है. भारतीय रेल में व्याप्त वर्तमान आधुनिक तकनीक को और भी विकसित करने की रणनीति यहां तैयार की जायेगी, क्योंकि भारतीय रेल के जगमगाते सितारे के रूप में यहीं पर भारतीय रेल विद्युत व यांत्रिक अभियंत्रण संस्थान (इरिमी) स्थित है.
भारतीय रेल की धड़कन है इरिमी
जमालपुर. जमालपुर स्थित इंडियन रेलवेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेकैनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (इरिमी) रेलवे का एक केंद्रीय संस्थान है, जिसे भारतीय रेल की धड़कन माना जाता है. यही वह संस्थान है जिसने भारतीय रेल को कई उपलब्धियां दी हैं. दर्जन भर एससीआरए इसी संस्थान से पढ़ कर भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन हुए हैं, जबकि सैकड़ों की संख्या में यहां के छात्र रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में महाप्रबंधक व अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. यहां विद्युत एवं यांत्रिक अभियंताओं की उपज होती है.
यही अभियंता भारतीय रेल के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवा देकर रेल परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वर्ष 1828 ई. में तकनीकी स्कूल के रूप में इसकी स्थापना की गयी थी. वर्ष 1950 में यूरोपियन अप्रेंटिस तथा 1911 में यहां आर्टिजन अप्रेंटिस का प्रशिक्षण आरंभ हुआ था. प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय रेल की कमजोरी दृष्टिगोचर होने के बाद इंडियन इंडस्ट्रियल कमीशन के गठन के बाद भारतीय अप्रेंटिस मेकैनिक्स को सुपरवाइजर के रूप में प्रशिक्षण यहीं आरंभ हुआ.
उसके बाद 14 फरवरी, 1927 को स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस के पहले बैच ने यहां ज्वाइन किया था. वर्तमान में भले ही संघ लोक सेवा आयोग ने स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस की प्रवेश परीक्षा पर रोक लगा दी हो, लेकिन देश के चार रेलवे विश्वविद्यालयों में से एक की स्थापना यहां किये जाने की मांग लगातार हो रही है.

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