मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित बस स्टैंड में यात्री विश्राम गृह होने के बावजूद यात्रियों को इसका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं बस स्टैंड में चारों तरफ गंदगी व साफ-सफाई का अभाव बना रहता है. यात्री विश्राम गृह होने के बावजूद विश्राम गृह का उपयोग यात्री नहीं कर पाते हैं.
विश्राम गृह के पास लगा रहता है कचरे का ढेर, दुर्गंध के कारण खड़े रहना भी दूभर
मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित बस स्टैंड में यात्री विश्राम गृह होने के बावजूद यात्रियों को इसका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं बस स्टैंड में चारों तरफ गंदगी व साफ-सफाई का अभाव बना रहता है. यात्री विश्राम गृह होने के बावजूद विश्राम गृह का उपयोग यात्री नहीं कर पाते हैं. विश्राम गृह […]
विश्राम गृह के आस पास कचरे का ढेर लगा रहता है. साथ ही विश्राम गृह के सामने पेड़ पौधे निकल आये है. वहीं विश्राम गृह के अंदर काफी गंदगी फैली रहती है, जो यात्रियों के आराम करने के लायक नहीं है.
विश्राम गृह सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. वहीं बस स्टैंड में प्रवेश द्वार के पास नाली का पानी जमा रहता है. इससे यात्रियों सहित आम लोगों को भारी परेशानियों का करना पड़ता है. बस पड़ाव पर लोग जहां भटकते नजर आते हैं. गंदगी फैले रहने के कारण वहां कोई नहीं जाता है.
यात्री विश्राम गृह है बेकार: बस स्टैंड पर यात्री विश्राम गृह लोगों के लिए शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. साफ सफाई नहीं होने से विश्राम गृह में मुसाफिर जाना नहीं पसंद करते है. विश्राम गृह में धूल व कचरा बिखरा पड़ा रहता है. विश्राम गृह के बगल में कूड़े का ढेर लगा हुआ है.
आस पास लोग मूत्र भी त्याग करते है. इससे विश्राम गृह के पास दुर्गंध फैली रहती है. वहीं विश्राम गृह के अंदर यात्रियों के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. अंदर बेंच है, वह भी टूटा है. बस के इंतजार में यात्री इधर-उधर भटकते रहते हैं. विशेष कर महिला यात्रियों को बस के इंतजार में घंटों खड़ा रहना पड़ता है.
फैली रहती है गंदगी: बस स्टैंड के अंइर कूड़ा-कचरा बिखरा पड़ा रहता है. इसकी सफाई शायद ही कभी होती है. वहीं नाले की भी साफ सफाई नहीं होने के कारण गंदगी फैली रहती है. धूल मिट्टी उड़ने के कारण यात्री परेशान नजर आते हैं. वहीं बस स्टैंड के अंदर चारों तरफ फैली गंदगी के कारण यात्रियों सहित आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
नालियों की नहीं होती सफाई: बस स्टैंड में नालियों की सफाई नहीं होने से उसमें पड़े कूड़े कचरे से दुर्गंध फैलती रहती है. लोग नालियों का यूरिनल की तरह भी उपयोग करते हैं. कभी डीडीटी पाउडर का छिड़काव नहीं होता है. गंदगी के कारण यात्रियों के साथ – साथ वाहन चालकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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